Paush Month Festivals 2025: दिसंबर–जनवरी में पड़ेंगे 15 बड़े पर्व और व्रत, खरमास की वजह से शुभ कार्य रहेंगे बंद
नेशनल डेस्क | धर्म समाचार - पौष मास 2025 हिंदू पंचांग का वह विशेष समय है, जब सूर्य पूजा, पितृ तर्पण और दान-पुण्य का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस वर्ष पौष मास 5 दिसंबर 2025 से शुरू होकर जनवरी 2026 के मध्य तक चलेगा। शास्त्रों में इस मास को आध्यात्मिक साधना और तपस्याओं का उत्तम काल माना गया है, क्योंकि इस समय सूर्य अपनी प्रकाश ऊर्जा के साथ स्थिरता और उत्साह प्रदान करते हैं।
धर्मग्रंथों के अनुसार, पौष मास में पूजा-पाठ, नियम, व्रत, और दान करने से भगवान विष्णु, सूर्य देव और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
पौष महीने में प्रमुख व्रत व त्योहार (पूरा कैलेंडर)
| तिथि | पर्व / व्रत |
|---|---|
| 5 दिसंबर 2025 | रोहिणी व्रत |
| 7 दिसंबर 2025 | अखुरथ संकष्टि चतुर्थी |
| 11 दिसंबर 2025 | कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी |
| 15 दिसंबर 2025 | सफला एकादशी |
| 16 दिसंबर 2025 | धनु संक्रांति, खरमास प्रारंभ |
| 17 दिसंबर 2025 | बुध प्रदोष व्रत |
| 18 दिसंबर 2025 | मासिक शिवरात्रि |
| 19 दिसंबर 2025 | पौष अमावस्या |
| 24 दिसंबर 2025 | विघ्नेश्वर चतुर्थी |
| 27 दिसंबर 2025 | गुरु गोविंद सिंह जयंती |
| 30 दिसंबर 2025 | पौष पुत्रदा एकादशी |
| 1 जनवरी 2026 | रोहिणी व्रत, प्रदोष व्रत, नव वर्ष |
| 3 जनवरी 2026 | पौष पूर्णिमा, माघ स्नान प्रारंभ |
सूर्य पूजा का महत्व
पौष मास में सूर्य देव की पूजा, अर्घ्य, रविवार का व्रत और सूर्य मंत्रों का जप विशेष फलदायी माना गया है। शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की कृपा से तेज, बल, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास बढ़ता है। मान्यता है कि सूर्य देव प्रसन्न होने पर शनि से संबंधित कष्ट भी कम होते हैं।
खरमास: शुभ कार्यों पर विराम
16 दिसंबर 2025 को धनु संक्रांति के साथ खरमास शुरू होगा, जो मकर संक्रांति तक चलेगा। इस दौरान:
• विवाह
• गृह प्रवेश
• नए व्यवसाय और शुभ कार्य
शास्त्रों के अनुसार वर्जित माने जाते हैं।
इस समय पूजा-पाठ, दान और भगवान विष्णु की उपासना का फल कई गुना बढ़ जाता है।
स्नान–दान का फल
पौष अमावस्या और पौष पूर्णिमा दोनों दिनों पवित्र नदियों में स्नान एवं गरीबों को तिल, गुड़, कंबल और वस्त्र दान श्रेष्ठ माना गया है। यह काल पितरों की स्मृति और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
हमारी राय में
पौष मास केवल पर्वों का महीना नहीं बल्कि आध्यात्मिक उत्थान, ध्यान और साधना का उत्तम अवसर है। यदि कोई व्यक्ति इस समय धर्म, दान और पूजा के नियमों का पालन करे, तो उसके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और मानसिक शांति की अनुभूति अवश्य होती है।
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