प्रेमानंद महाराज: घर के मंदिर में न रखें ये चीजें, वरना आएगी दरिद्रता और धनहानि
नई दिल्ली: वृंदावन के केलीकुंज आश्रम में रहने वाले प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं। राधारानी को अपना इष्ट मानने वाले महाराज जी रोजाना सत्संग के माध्यम से भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन देते हैं। उनके प्रवचन की वीडियो क्लिप्स इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही हैं और देश-विदेश से हजारों लोग उनके दर्शन और सत्संग में शामिल होने आते हैं। हाल ही में प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो चर्चा में है, जिसमें एक भक्त ने पूछा कि घर के मंदिर में कौन सी चीजें नहीं रखनी चाहिए? जानिए इस पर प्रेमानंद महाराज ने क्या कहा...
मंदिर में क्या न रखें? प्रेमानंद महाराज ने दी महत्वपूर्ण सलाह
प्रेमानंद महाराज ने नीचे दी गई इन चीजों को घर के मंदिर में रखने से साफ मना किया है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जीवन में दरिद्रता आती है, धनहानि और सेहत खराब होती है।
- पूर्वजों की फोटो मंदिर में न रखें: महाराज जी के अनुसार, पूर्वजों की तस्वीरें घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। इसके लिए घर में एक अलग स्थान निर्धारित करना उचित होता है।
- फटी हुई भगवान की तस्वीरें और फटी हुई धार्मिक किताबें मंदिर में न रखें: खंडित या फटी हुई धार्मिक सामग्री को मंदिर में रखना अशुभ माना जाता है। ऐसी चीजों को सम्मानपूर्वक विसर्जित कर देना चाहिए।
- भगवान पर चढ़ाए सूखे फूल कई दिनों तक मंदिर में न रखें: पूजा के बाद भगवान पर चढ़ाए गए फूल सूखने के बाद तुरंत हटा देने चाहिए। सूखे फूल नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं।
- खंडित मूर्तियां भी पूजा घर में न रखें: यदि कोई मूर्ति खंडित हो गई है, तो उसे मंदिर में नहीं रखना चाहिए। खंडित मूर्तियों की पूजा वर्जित मानी जाती है।
- किसी जीवित साधु, संत या धर्मगुरु की तस्वीर मंदिर में लगाने से बचें: प्रेमानंद महाराज ने विशेष रूप से जोर दिया कि किसी जीवित साधु, संत या धर्मगुरु की तस्वीर मंदिर में लगाने से दरिद्रता, धनहानि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं आती हैं। उनका मानना है कि मंदिर केवल देवी-देवताओं के लिए है।
महाराज जी का जीवन परिचय: एक आध्यात्मिक यात्रा
संत श्री हित प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज का बचपन का नाम अनिरुद्ध पांडेय है। उनका जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने मात्र 13 साल की उम्र में घर त्याग दिया था और आध्यात्मिक ज्ञान की तलाश में बनारस (काशी) चले गए थे। वृंदावन आने से पहले उन्होंने कई साल काशी में व्यतीत किए, जहां उन्होंने गहन साधना और अध्ययन किया। उनके गुरु का नाम श्री गौरांगी शरण जी महाराज है, जिनसे उन्होंने आध्यात्मिक दीक्षा प्राप्त की।
महाराज जी के सत्संग में रोजाना सैकड़ों लोग शामिल होते हैं और उनकी शिक्षाओं से प्रेरणा लेते हैं। उनके सरल और गहरे प्रवचन भक्तों को जीवन की जटिलताओं को समझने और आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ने में मदद करते हैं। महाराज जी के सत्संग में कई नामी हस्तियां भी पहुंच चुकी हैं, जिनमें भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान विराट कोहली, उनकी पत्नी और अभिनेत्री अनुष्का शर्मा, प्रसिद्ध पहलवान ग्रेट खली और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत जैसे बड़े नाम शामिल हैं। यह उनकी लोकप्रियता और उनके आध्यात्मिक प्रभाव को दर्शाता है।
प्रेमानंद महाराज की शिक्षाएं भक्तों को न केवल आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करती हैं, बल्कि उन्हें अपने दैनिक जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी प्रेरित करती हैं। घर के मंदिर में कुछ विशेष चीजों को न रखने की उनकी सलाह, भारतीय परंपराओं और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि बनाए रखना है। उनके जीवन की सादगी और उनके प्रवचनों की गहराई उन्हें आज के समय में एक प्रेरणादायक आध्यात्मिक गुरु बनाती है।