म्यूचुअल फंड का एनबीएफसी में निवेश मई में 32.5% बढ़कर 2.77 लाख करोड़ रुपए पहुंचा: एक विस्तृत विश्लेषण
नई दिल्ली: भारतीय वित्तीय बाजार में गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) में म्यूचुअल फंड का निवेश इस वर्ष मई में एक महत्वपूर्ण उछाल के साथ 32.5 प्रतिशत बढ़कर 2.77 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। यह जानकारी हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में दी गई है, जो देश के वित्तीय परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाती है। यह वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं बनी हुई हैं, लेकिन भारतीय बाजार में तरलता और निवेश के अवसरों की तलाश जारी है।
एनबीएफसी में म्यूचुअल फंड का बढ़ता निवेश: एक विस्तृत विश्लेषण
केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की रिपोर्ट के अनुसार, एनबीएफसी में म्यूचुअल फंड के निवेश में यह सालाना वृद्धि मुख्य रूप से कमर्शियल पेपर्स (सीपी) और कॉर्पोरेट डेट (कॉर्पोरेट ऋण) के कारण हुई है। यह उल्लेखनीय है कि पिछले लगातार 14 महीनों से यह निवेश 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक बना हुआ है, जो एनबीएफसी क्षेत्र में म्यूचुअल फंडों के बढ़ते विश्वास और तरलता की उपलब्धता को दर्शाता है। यह निरंतर निवेश एनबीएफसी के लिए पूंजी जुटाने का एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है, जिससे उन्हें अपनी ऋण गतिविधियों का विस्तार करने में मदद मिल रही है।
यह आंकड़ा एक नया रिकॉर्ड भी स्थापित करता है, क्योंकि पिछला रिकॉर्ड इस वर्ष अप्रैल में 2.69 लाख करोड़ रुपए और जुलाई 2018 में 2.64 लाख करोड़ रुपए का था। यह दर्शाता है कि म्यूचुअल फंड अब एनबीएफसी को एक आकर्षक निवेश गंतव्य के रूप में देख रहे हैं, खासकर उनकी विविध ऋण पेशकशों और उच्च रिटर्न की संभावनाओं के कारण। एनबीएफसी, जो अक्सर बैंकों की तुलना में अधिक लचीले होते हैं, विभिन्न क्षेत्रों में ऋण प्रदान करते हैं, जिनमें खुदरा ऋण, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) वित्तपोषण, और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शामिल हैं। म्यूचुअल फंडों का यह बढ़ता निवेश इन क्षेत्रों में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा देगा, जिससे समग्र आर्थिक विकास को गति मिलेगी।
एनबीएफसी क्रेडिट की हिस्सेदारी में कमी: एक विरोधाभास
हालांकि, इस सकारात्मक निवेश वृद्धि के बावजूद, आंकड़ों से एक विरोधाभासी तस्वीर भी सामने आती है। रिपोर्ट से पता चलता है कि कुल बैंक क्रेडिट में एनबीएफसी क्रेडिट की हिस्सेदारी मई 2024 में 9.3 प्रतिशत से घटकर इस वर्ष मई में 8.5 प्रतिशत हो गई है। यह गिरावट इस बात का संकेत हो सकती है कि बैंकों द्वारा सीधे ऋण देने में वृद्धि हुई है, या एनबीएफसी की ऋण वृद्धि दर बैंकों की तुलना में धीमी रही है। यह भी संभव है कि नियामक परिवर्तनों या बाजार की बदलती गतिशीलता ने एनबीएफसी की ऋण वितरण क्षमताओं को प्रभावित किया हो।
यह विरोधाभास वित्तीय बाजार की जटिल प्रकृति को उजागर करता है। जहां म्यूचुअल फंड एनबीएफसी में निवेश बढ़ा रहे हैं, वहीं कुल बैंकिंग प्रणाली में एनबीएफसी की ऋण हिस्सेदारी में कमी आ रही है। विश्लेषकों का मानना है कि यह स्थिति वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए नियामक निकायों द्वारा किए जा रहे प्रयासों का परिणाम हो सकती है, जो एनबीएफसी क्षेत्र में अत्यधिक जोखिम लेने पर अंकुश लगाना चाहते हैं।
म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का समग्र प्रदर्शन: एयूएम में रिकॉर्ड वृद्धि
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री का कुल एसेट अंडर मैनेजमेंट (एयूएम) अप्रैल में 70 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर मई में 72.2 लाख करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग के तेजी से बढ़ते आकार और निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है।
इस महीने के दौरान इंडस्ट्री में 29,108 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ, जिसमें 65 प्रतिशत निवेश इक्विटी कैटेगरी से हुआ। यह इक्विटी बाजारों में निवेशकों की बढ़ती रुचि और भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रति उनके सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। इक्विटी में यह मजबूत प्रवाह बाजार में तरलता बनाए रखने और कंपनियों को पूंजी जुटाने में मदद करेगा।
इक्विटी और हाइब्रिड फंडों का दबदबा
सकारात्मक निवेश और मार्क-टू-मार्केट (एमटीएम) लाभ के कारण इक्विटी फंडों का एयूएम मासिक आधार पर 4.83 प्रतिशत बढ़कर 32.05 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह दर्शाता है कि इक्विटी फंड भारतीय निवेशकों के बीच पसंदीदा विकल्प बने हुए हैं, जो लंबी अवधि में धन सृजन की तलाश में हैं।
इक्विटी कैटेगरी में, फ्लेक्सी कैप फंडों में सबसे अधिक निवेश देखा गया, जिसमें 3,841 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ। यह लगातार तीसरा महीना है जब फ्लेक्सी कैप ने इक्विटी कैटेगरी में सबसे अधिक निवेश आकर्षित किया है। फ्लेक्सी कैप फंड विभिन्न बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों में निवेश करने की स्वतंत्रता प्रदान करते हैं, जिससे वे बाजार की बदलती परिस्थितियों के प्रति अधिक लचीले होते हैं।
हाइब्रिड फंड एसेट्स में भी मजबूत वृद्धि देखी गई, जिसमें 4.43 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 9.55 लाख करोड़ रुपए हो गया। यह इस कैटेगरी के लिए 20,765 करोड़ रुपए के उच्चतम मासिक शुद्ध निवेश और एमटीएम लाभ के कारण हुआ। हाइब्रिड फंड, जो इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करते हैं, निवेशकों को जोखिम और रिटर्न के बीच संतुलन प्रदान करते हैं। इस कैटेगरी में आर्बिट्रेज फंड में सबसे अधिक निवेश हुआ, जो 15,702 करोड़ रुपए दर्ज किया गया। आर्बिट्रेज फंड बाजार की अक्षमताओं का लाभ उठाते हैं, जिससे वे अस्थिर बाजारों में भी आकर्षक रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
पैसिव फंड और गोल्ड ईटीएफ में बदलते रुझान
पैसिव फंड कैटेगरी में इस महीने के दौरान 5,525 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ, जो लगातार 55वें महीने शुद्ध निवेश का संकेत है। पैसिव फंड, जैसे इंडेक्स फंड और ईटीएफ, बाजार सूचकांकों को ट्रैक करते हैं और कम लागत वाले निवेश विकल्प प्रदान करते हैं। उनकी लगातार लोकप्रियता निवेशकों के बीच सरल और लागत प्रभावी निवेश समाधानों की बढ़ती मांग को दर्शाती है।
भू-राजनीतिक तनाव, बाजार में उतार-चढ़ाव और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के कारण गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में पिछले दो महीनों की तुलना में इस महीने शुद्ध निवेश दर्ज किया गया। सोने को अक्सर अनिश्चितता के समय में एक सुरक्षित निवेश माना जाता है। भू-राजनीतिक तनाव और बाजार की अस्थिरता निवेशकों को सोने में निवेश करने के लिए प्रेरित करती है, क्योंकि यह इक्विटी बाजार में संभावित गिरावट के खिलाफ एक बचाव के रूप में कार्य करता है। ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी सोने को आकर्षक बनाती हैं, क्योंकि कम ब्याज दरें अक्सर गैर-उपज वाली संपत्ति जैसे सोने की अपील को बढ़ाती हैं।
मई 2025 में एनबीएफसी में म्यूचुअल फंड का बढ़ता निवेश, साथ ही म्यूचुअल फंड उद्योग के समग्र एयूएम में रिकॉर्ड वृद्धि, भारतीय वित्तीय बाजार में मजबूत तरलता और निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है। इक्विटी और हाइब्रिड फंडों में लगातार निवेश, विशेष रूप से फ्लेक्सी कैप और आर्बिट्रेज फंडों में, निवेशकों की बदलती प्राथमिकताओं और बाजार की गतिशीलता के प्रति उनके अनुकूलन को दर्शाता है।
हालांकि, कुल बैंक क्रेडिट में एनबीएफसी की हिस्सेदारी में गिरावट एक ऐसा पहलू है जिस पर नजर रखने की जरूरत है। गोल्ड ईटीएफ में शुद्ध निवेश का पुनरुत्थान वैश्विक भू-राजनीतिक और आर्थिक कारकों के प्रति निवेशकों की संवेदनशीलता को उजागर करता है। कुल मिलाकर, भारतीय म्यूचुअल फंड उद्योग मजबूत बना हुआ है और देश के वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जो विभिन्न क्षेत्रों में पूंजी प्रवाह को बढ़ावा दे रहा है और निवेशकों को विविध अवसर प्रदान कर रहा है।