भारत में प्राइवेट इक्विटी गतिविधियों में 2025 की दूसरी छमाही में तेजी की उम्मीद
नई दिल्ली, 11 जून (दी ट्रेंडिंग पीपल ) – भारत में प्राइवेट इक्विटी (पीई) गतिविधियों में वर्ष 2025 की दूसरी छमाही के दौरान महत्वपूर्ण तेजी देखने को मिल सकती है। बुधवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई, जिसमें मार्केट वैल्यूएशन के स्थिर होने और निवेश से बाहर निकलने (एक्जिट) के अवसरों में वृद्धि को इस संभावित उछाल का प्रमुख कारण बताया गया है। यह रुझान भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेशकों के बढ़ते विश्वास और मजबूत बुनियादी सिद्धांतों को दर्शाता है।
मई में डील गतिविधि: एक संक्षिप्त अवलोकन
ग्रांट थॉर्नटन भारत द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, मई माह में देश में कुल 4.5 बिलियन डॉलर मूल्य के 179 सौदे दर्ज किए गए। हालांकि, प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) और योग्य संस्थागत प्लेसमेंट (क्यूआईपी) को छोड़कर, बाजार में 4.2 बिलियन डॉलर मूल्य के 175 सौदे हुए हैं। यह आंकड़ा अप्रैल की तुलना में वॉल्यूम (मात्रा) में 17 प्रतिशत और मूल्य में मामूली 4 प्रतिशत की गिरावट को दर्शाता है। यह एक छोटी अवधि की नरमी हो सकती है, लेकिन दीर्घकालिक संभावनाएं सकारात्मक बनी हुई हैं।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि आउटबाउंड विलय और अधिग्रहण (M&A) गतिविधियों में वृद्धि देखी गई है। यह वैश्विक विस्तार और रणनीतिक विविधीकरण में भारतीय कॉर्पोरेट्स के बढ़ते विश्वास का एक महत्वपूर्ण संकेत है। भारतीय कंपनियां अब अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपनी उपस्थिति मजबूत करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भाग लेने के लिए अधिक उत्सुक दिख रही हैं।
ग्रांट थॉर्नटन भारत में ग्रोथ पार्टनर शांति विजेता ने वर्तमान परिदृश्य पर टिप्पणी करते हुए कहा, "मई में प्राइवेट इक्विटी सेंटीमेंट में नरमी के कारण कुल मिलाकर डील गतिविधि में थोड़ी मंदी देखी गई।" हालांकि, उन्होंने आगे कहा, "दो यूनिकॉर्न का उभरना और कॉरपोरेट इंडिया के आउटबाउंड सौदों में तेजी से डील के लिए आशाजनक संभावनाएं दिख रही हैं।" यह दर्शाता है कि बाजार में नई कंपनियों के विकास और भारतीय व्यवसायों के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार से भविष्य में सौदों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है। विजेता ने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि "आईपीओ बाजार में तेजी के आउटलुक से दूसरी छमाही में सौदों में तेजी आने की उम्मीद है।" यह संकेत देता है कि आने वाले महीनों में सार्वजनिक लिस्टिंग के माध्यम से भी पूंजी जुटाने की गतिविधियां बढ़ेंगी।
विलय और अधिग्रहण (M&A) में स्थिरता और वृद्धि
मई में विलय और अधिग्रहण (M&A) गतिविधियां अपेक्षाकृत स्थिर रहीं। इस दौरान 2.4 बिलियन डॉलर मूल्य के 68 सौदे हुए, जो अप्रैल की तुलना में सौदा मूल्य में 75 प्रतिशत की उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि, मात्रा में मामूली 1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, लेकिन सौदों का बढ़ा हुआ मूल्य बड़े और रणनीतिक अधिग्रहणों की ओर रुझान को इंगित करता है।
बीते महीने आउटबाउंड एम एंड ए गतिविधि में विशेष रूप से तेज वृद्धि देखी गई। अप्रैल में केवल दो सौदों की तुलना में मई में 15 सौदे हुए। यह लगभग एक दशक के बाद सीमा पार विकास और एकीकरण को आगे बढ़ाने के लिए भारतीय कॉरपोरेट्स के बीच नए आत्मविश्वास का संकेत है। यह वैश्विक स्तर पर भारतीय कंपनियों की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और उनकी बढ़ती क्षमता को दर्शाता है।
पूंजी बाजार में मंदी और क्षेत्रीय रुझान
मई में पूंजीगत बाजारों में थोड़ी मंदी देखी गई, जहां दो आईपीओ ने करीब 0.3 अरब डॉलर की पूंजी जुटाई। यह पिछले कुछ महीनों की तुलना में आईपीओ गतिविधियों में एक हल्की गिरावट को दर्शाता है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति अस्थायी है और आने वाली तिमाहियों में इसमें सुधार होगा।
क्षेत्रीय प्रदर्शन के संदर्भ में, बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं ने सौदे के मूल्य पर अपना दबदबा बनाए रखा। मई में कुल सौदों में इस क्षेत्र का 42 प्रतिशत का बड़ा योगदान रहा। इसमें सुमितोमो मित्सुई द्वारा यस बैंक में 1.6 बिलियन डॉलर का महत्वपूर्ण निवेश शामिल है, जो बैंकिंग क्षेत्र में विदेशी निवेशकों के बढ़ते भरोसे को दर्शाता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि खुदरा और उपभोक्ता क्षेत्र ने मजबूत सौदे की गति बनाए रखी। यह शुरुआती चरण की उद्यम पूंजी (वीसी) गतिविधि और फैशन रिटेल सेगमेंट में सिटीकार्ट द्वारा 68 मिलियन डॉलर जुटाए गए जैसे बड़े निवेशों से प्रेरित थी। यह दर्शाता है कि उपभोक्ता खर्च में वृद्धि और खुदरा क्षेत्र में नवाचार निवेशकों को आकर्षित कर रहे हैं।
भविष्य का दृष्टिकोण और निष्कर्ष
कुल मिलाकर, ग्रांट थॉर्नटन भारत की रिपोर्ट भारत के प्राइवेट इक्विटी और विलय-अधिग्रहण बाजार के लिए एक आशावादी दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। बाजार मूल्यांकन में स्थिरता और एक्जिट के बढ़ते अवसर दूसरी छमाही में डील गतिविधि को बढ़ावा देंगे। भारतीय कॉर्पोरेट्स का वैश्विक विस्तार और विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत निवेश का प्रवाह देश की आर्थिक वृद्धि की निरंतरता को इंगित करता है। चुनौतियों के बावजूद, भारत एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है, और आने वाले महीनों में पूंजी बाजार में और अधिक गति देखने की उम्मीद है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में मदद मिलेगी।