मखाना: एक पौष्टिक और स्वादिष्ट स्नैक, जानें इसके फायदे और उत्पादन प्रक्रिया
नई दिल्ली, 11 जून (दी ट्रेंडिंग पीपल ) – भारतीय घरों में व्रत और हल्के स्नैक के रूप में लोकप्रिय मखाना, जिसे अंग्रेजी में 'फॉक्स नट्स' (Fox Nuts) भी कहा जाता है, न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि पौष्टिक गुणों से भी भरपूर है। यह एक हल्का, आसानी से पचने वाला खाद्य पदार्थ है और इसमें प्रोटीन, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और पोटेशियम जैसे आवश्यक पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि इसे 'फॉक्स नट्स' क्यों कहते हैं? आइए जानते हैं इस अनोखे नाम के पीछे का कारण, इसके उत्पादन की प्रक्रिया और इसके अनेक स्वास्थ्य लाभ।
मखाने को 'फॉक्स नट्स' क्यों कहते हैं?
मखाने को 'फॉक्स नट्स' इसलिए कहते हैं क्योंकि इसका आकार कुछ हद तक फॉक्स यानी लोमड़ी के चेहरे जैसा होता है। इसके सफेद चेहरे पर एक काला बिंदु ऐसा होता है, जो हूबहू चालाक लोमड़ी की याद दिलाता है। यह नामकरण इसके अनोखे स्वरूप के कारण हुआ है, जिसने इसे वैश्विक स्तर पर एक पहचान दी है।
भारत में मखाने का उत्पादन
इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च (ICAR) के अनुसार, मखाने का मुख्य रूप से उत्पादन भारत के पूर्वी क्षेत्रों में होता है। यह बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा और ओडिशा जैसे राज्यों में उगाया जाता है। मखाना उत्पादन में बिहार का विशेष स्थान है, जहां यह लगभग 15,000 हेक्टेयर जल निकाय में उगाया जाता है। यह बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
मखाने की खेती से कटाई, पॉपिंग (बीज को छिलके से अलग करने की प्रक्रिया), बिक्री और उत्पादन सहित विभिन्न चरणों में लगभग 5 लाख परिवार सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। यह बड़ी संख्या इस बात को दर्शाती है कि मखाना कैसे लाखों लोगों की आजीविका का साधन बन गया है। बिहार से हर साल लगभग 7,500 से 10,000 टन पॉप्ड मखाना बेचा जाता है, जो इसकी व्यापक मांग और उत्पादन को दर्शाता है।
मखाना पॉपिंग की जटिल प्रक्रिया
मखाने की पॉपिंग (बीज को छिलके से पॉप करने की प्रक्रिया) एक श्रम-गहन और कुशल प्रक्रिया है जो तीन मुख्य चरणों में शामिल है:
बीज को भूनना: सबसे पहले, मखाने के बीज को पारंपरिक मिट्टी के बर्तन में या कच्चे लोहे के पैन में उच्च तापमान पर भुना जाता है। यह तापमान 250° सेल्सियस से 320° सेल्सियस तक होता है, जो बीज को सही तरीके से पॉप करने के लिए महत्वपूर्ण है।
तड़के की प्रक्रिया: भूनने के बाद, बीजों को 2 से 3 दिनों के लिए 'तड़का' दिया जाता है। यह प्रक्रिया बीजों को आंतरिक रूप से तैयार करती है ताकि वे पॉपिंग के लिए सही अवस्था में आ सकें।
हाथ से पॉपिंग: तीसरे चरण में, बीजों को फिर से भूना जाता है और फिर एक मैलेट (लकड़ी का हथौड़ा या मुंगरी) का उपयोग करके हाथ से मखाने को छिलके से अलग किया जाता है। यह प्रक्रिया अत्यधिक कुशल श्रमिकों की मांग करती है, क्योंकि भुनने के बाद हटाने में कुछ सेकंड की भी देरी खराब गुणवत्ता वाला पॉप्ड मखाना बना सकती है। यह दिखाता है कि मखाने को तैयार करना कितना बारीक और समयबद्ध काम है।
मखाने के स्वास्थ्य लाभ
मखाना केवल स्वाद में ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है। शोध बताते हैं कि मखाने में मैग्नीशियम और पोटेशियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए काफी लाभकारी सिद्ध होता है। ये खनिज रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
कम कैलोरी और उच्च फाइबर सामग्री होने के कारण, मखाना भूख को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह पेट को लंबे समय तक भरा हुआ महसूस कराता है, जिससे अनावश्यक कैलोरी का सेवन कम होता है। अगर आप वजन घटाने के बारे में सोच रहे हैं, तो मखाना एक बेहतरीन स्नैक विकल्प हो सकता है।
मखाने में मौजूद मैग्नीशियम तनाव कम करके अच्छी नींद लाने में मदद करता है। यह मांसपेशियों को आराम देने और तंत्रिका तंत्र को शांत करने में सहायक होता है। कैल्शियम की मौजूदगी हड्डियों और दांतों के लिए भी लाभकारी है, जो उन्हें मजबूत बनाने में मदद करता है।
व्रत के दौरान मखाने का सेवन काफी प्रचलित है, क्योंकि यह ऊर्जा प्रदान करता है और पेट को भरा रखता है। हालांकि, कुछ लोग व्रत के दौरान अधिक मात्रा में इनका सेवन करने से बचने की सलाह देते हैं, वहीं बड़े-बुजुर्ग निसंकोच इसका सेवन करने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह हल्का और आसानी से पचने योग्य होता है। कुल मिलाकर, मखाना एक कम कैलोरी वाला, पोषक तत्वों से भरपूर स्नैक है, जिसमें कैल्शियम, प्रोटीन, फाइबर, मैग्नीशियम, फास्फोरस और पोटेशियम के साथ-साथ शरीर के लिए कई जरूरी पोषक तत्व मौजूद होते हैं। यह भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे पेट भी भरा-भरा लगता है और यह एक स्वस्थ जीवनशैली का अभिन्न अंग बन सकता है।