गुजरात ATS ने पकड़ा देश विरोधी जासूसी मॉड्यूल: पूर्व सूबेदार और महिला गिरफ्तार, पाकिस्तान को भेजी जा रही थीं संवेदनशील सूचनाएं
गुजरात एंटी-टेररिस्ट स्क्वॉड (Gujarat ATS) ने मंगलवार को एक बड़ी कार्रवाई करते हुए देश में सक्रिय पाकिस्तान समर्थित जासूसी नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया। एटीएस ने इस जासूसी मॉड्यूल से जुड़े दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है—एक गोवा से और दूसरी दमन से। दोनों आरोपियों पर संवेदनशील सूचनाओं को इकट्ठा कर पाकिस्तान को भेजने के गंभीर आरोप हैं।
पाकिस्तान के लिए खुफिया जानकारी इकट्ठी कर रहे थे आरोपी
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान ए.के. सिंह और रश्मनी पाल के रूप में हुई है।
गुजरात ATS के अनुसार:
- ए.के. सिंह भारतीय सेना में सूबेदार रह चुका है
- रश्मनी पाल लंबे समय से उसके साथ जासूसी नेटवर्क में सक्रिय थी
ए.के. सिंह के पूर्व सैन्य बैकग्राउंड के कारण उसके पास संवेदनशील जानकारी तक पहुंचने का रास्ता था। वहीं रश्मनी पाल गोपनीय सूचनाएं एकत्रित करने और उनसे संपर्क रखने का काम करती थी।
कैसे हुआ नेटवर्क का खुलासा
गुजरात ATS को इन दोनों की गतिविधियों के बारे में गुप्त सूचना मिली थी।
इसके बाद:
Ahmedabad | Gujarat ATS busted an espionage network. Two suspects, including a woman, were arrested. AK Singh, the male accused, lived in Goa and was a Subedar in the Indian Army. The woman accused, Rashmani Pal, lived in Daman. Both were in contact with Pakistan and passed on… pic.twitter.com/hxM57iKL6v
— ANI (@ANI) December 4, 2025
- गोवा में ऑपरेशन चलाकर ए.के. सिंह को गिरफ्तार किया गया
- दमन से रश्मनी पाल को भी हिरासत में लिया गया
पूछताछ में दोनों ने पाकिस्तानी हैंडलर्स के संपर्क में रहने और खुफिया जानकारी पहुंचाने की बात स्वीकार की है। एटीएस के मुताबिक संदेह है कि आरोपी पैसे के लालच में जासूसी में शामिल हुए थे।
एटीएस की जांच में क्या सामने आया
शुरुआती जांच में जो बातें उजागर हुई हैं, वे बेहद गंभीर हैं:
- ए.के. सिंह जासूसी नेटवर्क के भीतर वित्तीय सहायता और संसाधन उपलब्ध कराने का अहम काम कर रहा था
- सैन्य पृष्ठभूमि के कारण वह संवेदनशील सुरक्षा जानकारियों की पहचान और महत्व समझता था
- रश्मनी पाल पाकिस्तान के गुर्गों से संपर्क और सूचना ट्रांसफर की चैन का हिस्सा थी
एटीएस अब यह पता लगाने में जुटी है कि:
- दोनों कितने समय से जासूसी में शामिल थे
- किन-किन सुरक्षा संबंधी जानकारियों की चोरी की गई
- और इस नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हो सकता है
संबंधित एजेंसियां सक्रिय
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ भी साझा किया गया है।
पूछताछ में मिले डिजिटल साक्ष्यों, बैंक लेन-देन और इलेक्ट्रॉनिक संचार की जांच तेजी से की जा रही है।
TheTrendingPeople.com की राय
देश की सुरक्षा से जुड़े मामलों में जासूसी किसी भी रूप में क्षम्य नहीं है। यह घटना एक गंभीर संकेत है कि दुश्मन मुल्क अब सोशल हैंडलिंग, वित्तीय लालच और व्यक्तिगत कमजोरियों को हथियार बनाकर खुफिया नेटवर्क फैला रहे हैं। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह बड़ी सफलता है, लेकिन यह भी जरूरी है कि सैन्य व संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर्मियों के लिए साइबर-सिक्योरिटी और मनोवैज्ञानिक जागरूकता को और मजबूत किया जाए।