जंजैहली का भुलाह बायोडायवर्सिटी पार्क बना पर्यटकों का नया आकर्षण केंद्र
जंजैहली, 11 जून (दी ट्रेंडिंग पीपल ) – हिमाचल प्रदेश के जंजैहली क्षेत्र में स्थित भुलाह का जैव विविधता (बायोडायवर्सिटी) पार्क इन दिनों पर्यटकों के बीच एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बनकर उभरा है। राज्य सरकार के वन विभाग द्वारा विकसित यह पार्क न केवल अपनी मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध हो रहा है, बल्कि यह प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी ईको-टूरिज्म नीति का भी एक सफल और प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। यह पार्क प्रकृति प्रेमियों, आध्यात्मिक यात्रियों और रोमांच के शौकीनों के लिए एक अनूठा संगम प्रदान करता है।
अध्यात्म और प्रकृति का अनूठा संगम
देवी मां शिकारी के पवित्र चरणों में स्थित यह बायोडायवर्सिटी पार्क अध्यात्म, प्रकृति और रोमांच का एक अद्भुत संयोजन प्रस्तुत करता है। प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु देवी मां के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं, और अब यह नवनिर्मित बायोडायवर्सिटी पार्क उनकी यात्रा का एक अविस्मरणीय और रमणीय हिस्सा बनता जा रहा है। श्रद्धालु अब केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए ही नहीं, बल्कि इस शांत और सुंदर प्राकृतिक वातावरण में समय बिताने के लिए भी रुक रहे हैं।
रोमांचक ट्री हाउस: एक खास अनुभव
भुलाह पार्क की सबसे खास विशेषता यहां देवदार के घने और हरे-भरे जंगलों के बीच बनाए गए चार सुंदर ट्री हाउस (वृक्ष गृह) हैं। ये ट्री हाउस पर्यटकों को प्रकृति के करीब रहते हुए रोमांच और आराम दोनों का अद्वितीय अनुभव प्रदान करते हैं। इन ट्री हाउस में आधुनिक सुख-सुविधाओं का पूरा ध्यान रखा गया है, और प्रत्येक में 8 से 10 लोगों के ठहरने की आरामदायक व्यवस्था है। रातभर प्रकृति की गोद में, तारों के नीचे समय बिताने का यह अनुभव केवल 1500 रुपये प्रतिदिन में प्राप्त किया जा सकता है, जो इसे एक किफायती और आकर्षक विकल्प बनाता है। ये ट्री हाउस पर्यटकों को शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, प्रकृति की शांत गोद में एक अनमोल अनुभव प्रदान करते हैं।
कश्मीर से कम नहीं इसकी सुंदरता
पार्क की ढलानों, देवदारों के विशाल और घने जंगल, तथा खुले आसमान के नीचे फैली हरियाली को देखकर यह स्थान कश्मीर के प्रसिद्ध और लुभावने स्थलों से किसी भी तरह से कम नहीं लगता। यहां का शांत वातावरण और प्राकृतिक सौंदर्य आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर देता है।
वन विभाग ने इस पार्क के भीतर विभिन्न प्रजातियों की नर्सरियां भी विकसित की हैं। इन नर्सरियों में स्थानीय वनस्पतियों के साथ-साथ कई दुर्लभ प्रजातियों के पौधे भी देखे जा सकते हैं, जो इसे वानस्पतिक अध्ययन और पर्यावरण शिक्षा के लिए भी एक महत्वपूर्ण स्थान बनाते हैं। पार्क का संचालन और रख-रखाव वन विभाग की ओर से नियुक्त प्रशिक्षित केयर टेकर के माध्यम से किया जा रहा है, जो इसकी स्वच्छता और प्राकृतिक अखंडता को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह कुशल प्रबंधन पार्क को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखने में सहायक है।
स्थानीय और बाहरी पर्यटकों के लिए आकर्षण
रेंज ऑफिसर वन विभाग महेंद्र सिंह ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि "स्थानीय लोगों के साथ-साथ देश व प्रदेश के पर्यटक बड़ी संख्या में पार्क में घूमने के लिए आ रहे हैं।" उन्होंने आगे बताया कि "यहां बने ट्री हाउस में भी पर्यटक स्टे कर प्रकृति का आनंद ले सकते हैं।" यह पार्क न केवल स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश के पर्यटन मानचित्र पर एक नए गंतव्य के रूप में भी उभर रहा है, जो राज्य के ईको-टूरिज्म को एक नई पहचान दिला रहा है। यह पहल स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दे रही है, क्योंकि पर्यटन बढ़ने से आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी सृजित हो रहे हैं। यह पार्क भविष्य में हिमाचल प्रदेश के पर्यावरण-पर्यटन के लिए एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकता है।the