मार्च तिमाही में PSU कंपनियों की जबरदस्त कमाई से सरकार को मिला आर्थिक संबल, राजकोषीय घाटा लक्ष्य के करीब
नई दिल्ली। भारत की प्रमुख सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSUs) ने वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन किया है, जिससे केंद्र सरकार की राजस्व स्थिति मजबूत हुई है और राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। वित्तीय, ऊर्जा और बिजली क्षेत्र की इन सरकारी कंपनियों ने न केवल शुद्ध लाभ में उल्लेखनीय बढ़त हासिल की, बल्कि सरकार को उच्च लाभांश और कर राजस्व के रूप में बड़ा योगदान भी दिया।
एसबीआई और एलआईसी की शानदार कमाई
देश के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने मार्च तिमाही में 18,643 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया है। यह लाभ 2023-24 के इसी तिमाही की तुलना में 24% अधिक है। पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में एसबीआई का कुल शुद्ध लाभ 70,901 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो बैंक के इतिहास का सबसे ऊँचा स्तर है।
वहीं बीमा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने भी शानदार प्रदर्शन करते हुए मार्च तिमाही में 19,013 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया है। इससे LIC का पूरे साल का लाभ 48,151 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है।
इन दोनों वित्तीय दिग्गजों की यह मजबूत कमाई सरकार को डिविडेंड और कर राजस्व के रूप में उल्लेखनीय लाभ पहुंचाएगी, जिससे देश के विकास कार्यों को गति मिल सकेगी।
ऊर्जा क्षेत्र में कोल इंडिया, IOC और ONGC का दबदबा
एनर्जी सेक्टर में कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) ने मार्च तिमाही में 9,604 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया है। यह लाभ पिछली तिमाही के मुकाबले 26% अधिक है। कोयला उत्पादन और आपूर्ति में निरंतर सुधार इसका प्रमुख कारण रहा।
इसके अलावा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन (IOC) ने 7,265 करोड़ रुपए और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) ने 6,448 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया। यह लाभ मुख्यतः वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता और घरेलू रिफाइनिंग मार्जिन में सुधार के कारण हुआ है।
इन कंपनियों का प्रदर्शन ऊर्जा सुरक्षा और आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पावर सेक्टर में NTPC, PFC और पावर ग्रिड की मजबूत स्थिति
बिजली उत्पादन क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी एनटीपीसी (NTPC) ने मार्च तिमाही में 7,897 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ दर्ज किया, जो वर्ष-दर-वर्ष आधार पर 20% अधिक है। कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता में इजाफा किया और हरित ऊर्जा क्षेत्र में भी कदम बढ़ाया।
वहीं पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) ने 8,358 करोड़ रुपए का तगड़ा लाभ दर्ज किया, जबकि पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (PGCIL) ने 4,143 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया। इन दोनों कंपनियों ने बिजली ढांचे के वित्तपोषण और ट्रांसमिशन नेटवर्क को सुदृढ़ बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।
सरकारी खजाने को मिला लाभांश और करों से संबल
इन तमाम सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की कमाई का सीधा लाभ केंद्र सरकार को मिला है। सरकार को इन कंपनियों से दो मुख्य स्रोतों से राजस्व प्राप्त होता है —
- लाभांश (Dividend)
- कॉर्पोरेट टैक्स (Corporate Tax)
इस बार कई कंपनियों ने रिकॉर्ड लाभांश घोषित किया है, जिससे सरकार की गैर-कर राजस्व (Non-Tax Revenue) में बड़ी वृद्धि हुई है। कोल इंडिया, एसबीआई, एलआईसी, एनटीपीसी, पीएफसी जैसी कंपनियों ने संयुक्त रूप से हजारों करोड़ रुपये का लाभांश वितरित किया है।
वहीं इन कंपनियों द्वारा दिए गए कॉर्पोरेट टैक्स ने भी सरकार के कर राजस्व में इजाफा किया है। इससे सरकार को बजट प्रावधानों को पूरा करने और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर खर्च करने में आसानी हो रही है।
2024-25 में राजकोषीय घाटा लक्ष्य के करीब सरकार
केंद्रीय महालेखाकार (CGA) के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित 4.8% जीडीपी के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य के करीब पहुँच चुकी है। सरकार ने अब तक कुल 30.36 लाख करोड़ रुपए का राजस्व एकत्र किया है, जो संशोधित बजट अनुमान (RE) का 98.3% है।
इन आंकड़ों में सार्वजनिक उपक्रमों से प्राप्त लाभांश और अन्य गैर-कर राजस्व का योगदान उल्लेखनीय है। सरकार को भरोसा है कि शेष वर्ष में खर्च और आय के संतुलन को बनाए रखते हुए वह राजकोषीय घाटे को नियंत्रित रखने में सफल रहेगी।
पूंजीगत व्यय योजनाओं से मिलेगा आर्थिक प्रोत्साहन
इन कंपनियों की भूमिका सिर्फ राजस्व योगदान तक सीमित नहीं है। ये संस्थाएं बड़े पैमाने पर पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) भी कर रही हैं, जो अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए आवश्यक है।
उदाहरण के तौर पर:
- NTPC ने हरित ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश बढ़ाया है।
- IOC और ONGC ने अपस्ट्रीम और डाउनस्ट्रीम परियोजनाओं के लिए अरबों रुपये का पूंजी निवेश निर्धारित किया है।
- SBI और PFC ने इंफ्रास्ट्रक्चर और MSME क्षेत्र को ऋण सहायता देने की योजनाओं को बल दिया है।
इन निवेश योजनाओं से न केवल रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आर्थिक विकास की गति भी तेज होगी।
भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों ने मार्च तिमाही में जो प्रदर्शन किया है, वह न केवल सरकार के लिए राहत की बात है बल्कि आम जनता के लिए भी आशा की किरण है। यह दिखाता है कि सरकारी स्वामित्व वाली कंपनियां सही दिशा में कार्य कर रही हैं और देश की आर्थिक स्थिरता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।
इन कंपनियों के माध्यम से सरकार को जो राजस्व प्राप्त हो रहा है, उससे न केवल बजट घाटे को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है, बल्कि विकास परियोजनाओं और जनकल्याणकारी योजनाओं को भी पर्याप्त धनराशि मिल पा रही है।
यदि यही रुझान आगे भी जारी रहता है, तो यह भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में एक ठोस कदम साबित हो सकता है।