पीएमओ ने भारत के ऊर्जा क्षेत्र में हुए बड़े बदलावों पर प्रकाश डाला: नवीकरणीय ऊर्जा और आत्मनिर्भरता पर जोर
मुंबई, 4 जून – प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने बुधवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक महत्वपूर्ण पोस्ट साझा की, जिसमें देश के ऊर्जा और नवीकरणीय ऊर्जा (रिन्यूएबल एनर्जी) सेक्टर में हुए उल्लेखनीय परिवर्तनों पर प्रकाश डाला गया। यह पोस्ट विश्व पर्यावरण दिवस 2025 की पूर्व संध्या पर आई है, जो भारत की हरित ऊर्जा पहलों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पीएमओ ने अपने बयान में कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, भारत के ऊर्जा क्षेत्र में कई बड़े और संरचनात्मक बदलाव देखे गए हैं। इन परिवर्तनों का मुख्य केंद्र सुधारों, हरित पहलों और आत्मनिर्भरता पर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप किफायती और स्वच्छ ऊर्जा के लिए मजबूत प्रयास किए गए हैं। यह देश की ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता दोनों को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
नवीकरणीय ऊर्जा में भारत का नेतृत्व: प्रह्लाद जोशी का दृष्टिकोण
पीएमओ ने केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी के एक पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए लिखा, "केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बीते 11 वर्षों में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में 11 बड़े परिवर्तनकारी सुधारों को लेकर जानकारी दी है, इसे पढ़ें।" यह रिपोस्ट भारत के नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में हासिल की गई प्रगति और भविष्य की दिशा पर सरकार के जोर को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर साझा किए गए पोस्ट में विस्तार से बताया कि कैसे भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में एक वैश्विक लीडर के रूप में उभरा है। उन्होंने एक लेख के माध्यम से इस बात पर प्रकाश डाला कि देश ने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति की है, जो न केवल घरेलू ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा कर रही है बल्कि वैश्विक जलवायु लक्ष्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।
जोशी ने एक प्रभावशाली उपलब्धि का उल्लेख करते हुए कहा, "भारत ने केवल एक वर्ष में (2024-2025) रिकॉर्ड 29 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा जोड़ी है।" यह आंकड़ा भारत के नवीकरणीय ऊर्जा अवसंरचना (इंफ्रास्ट्रक्चर) में एक बड़ी छलांग का प्रतिनिधित्व करता है। इस उपलब्धि ने देश के घरेलू उद्योगों को मजबूत किया है, जिससे नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और संबंधित प्रौद्योगिकियों में आत्मनिर्भरता बढ़ी है। इसके साथ ही, यह भारत को स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण (क्लीन एनर्जी ट्रांजिशन) में एक वैश्विक लीडर के रूप में स्थापित करता है, जो अन्य देशों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह वृद्धि न केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करती है बल्कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहायक है।
ऊर्जा क्षेत्र में 'विकसित भारत' की ओर अग्रसर: हरदीप सिंह पुरी का विश्लेषण
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से ऊर्जा सेक्टर को लेकर किए गए दूसरे पोस्ट में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी के एक लेख के बारे में जानकारी दी गई। यह लेख देश के 'विकसित भारत' बनने की 11 वर्षों की यात्रा पर केंद्रित था, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया गया।
केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने अपने आधिकारिक 'एक्स' हैंडल से साझा किए गए पोस्ट में भारत की ऊर्जा खपत और उत्पादन क्षमता में हुई वृद्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि भारत अब दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा और तेल उपभोक्ता है। यह आंकड़ा देश की बढ़ती अर्थव्यवस्था और ऊर्जा की बढ़ती मांग को दर्शाता है। पुरी ने यह भी उल्लेख किया कि 6 करोड़ से अधिक उपभोक्ता प्रतिदिन फिलिंग स्टेशनों पर आते हैं, जो देश में ईंधन की व्यापक खपत को दर्शाता है।
इसके अतिरिक्त, पुरी ने भारत की रिफाइनिंग क्षमता पर भी जोर दिया, यह बताते हुए कि देश अब चौथा सबसे बड़ा रिफाइनर है। यह क्षमता भारत को अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में सक्षम बनाती है। उन्होंने आगे कहा कि भारत दुनिया भर में चौथा सबसे बड़ा एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) आयातक है, जो स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर देश के झुकाव को दर्शाता है।
भविष्य की ऊर्जा मांगों के बारे में बात करते हुए, केंद्रीय मंत्री पुरी ने एक महत्वपूर्ण अनुमान साझा किया। उन्होंने बताया कि 2047 तक भारत की ऊर्जा की मांग में ढाई गुना वृद्धि होने की उम्मीद है। इसके साथ ही, बढ़ी हुई वैश्विक ऊर्जा मांग का 25 प्रतिशत भारत से होने की उम्मीद है। इन आंकड़ों के आलोक में, पुरी ने स्पष्ट किया कि भारत के लिए एक सुदृढ़ और दूरदर्शी ऊर्जा रोडमैप आवश्यक है। यह रोडमैप देश की बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण और आर्थिक विकास की जरूरतों को पूरा करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा, पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के कुशल उपयोग और ऊर्जा दक्षता पर संतुलित ध्यान केंद्रित करेगा।
पृष्ठभूमि: विश्व पर्यावरण दिवस और भारत की प्रतिबद्धता
विश्व पर्यावरण दिवस, जो प्रतिवर्ष 5 जून को मनाया जाता है, का उद्देश्य दुनिया भर में पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाना और इसे सुरक्षित रखने के प्रयासों को प्रेरित करना है। इस वर्ष, विश्व पर्यावरण दिवस 2025 का मुख्य विषय 'प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना' है, जो वैश्विक स्तर पर इस गंभीर पर्यावरणीय चुनौती से निपटने की तात्कालिकता को दर्शाता है। भारत, अपनी हरित ऊर्जा पहलों और सतत विकास लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता के साथ, इस वैश्विक प्रयास में एक अग्रणी भूमिका निभा रहा है। पीएमओ और केंद्रीय मंत्रियों द्वारा साझा की गई जानकारी भारत के ऊर्जा क्षेत्र में हासिल की गई प्रगति को रेखांकित करती है, जो देश को एक स्वच्छ, अधिक टिकाऊ और आत्मनिर्भर भविष्य की ओर ले जा रही है।