पीएम मोदी का ब्राजील दौरा: 'आकाश' और 'गरुड़' पर बड़े रक्षा समझौते की उम्मीद
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आगामी ब्राजील दौरा भारतीय शस्त्र व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होने वाला है। 'मेक फॉर वर्ल्ड' के भारत के दृष्टिकोण के तहत, भारतीय हथियारों की बढ़ती क्षमता और गुणवत्ता ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देशों का ध्यान आकर्षित किया है, और अब ब्राजील भी भारत से आधुनिक रक्षा उपकरण खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखा रहा है। इस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक बड़े रक्षा समझौते पर मुहर लगने की प्रबल संभावना है, जो भारत के रक्षा निर्यात को एक नई दिशा देगा।
पीएम मोदी के विदेश दौरे का अहम पड़ाव: ब्राजील और ब्रिक्स शिखर सम्मेलन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ब्राजील समेत पांच देशों की एक सप्ताह की यात्रा में ब्राजील एक अहम पड़ाव साबित होनेवाला है। इस यात्रा का मुख्य केंद्र बिंदु ब्राज़ील के शहर रियो डी जनेरियो का दौरा होगा, जहां वह छह और सात जुलाई को होने वाले 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ब्रिक्स, जिसमें ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं, उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है। हाल ही में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी इसमें शामिल कर इसका विस्तार किया गया है, जिससे इसका वैश्विक प्रभाव और बढ़ गया है।
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के साथ-साथ, पीएम मोदी ब्राजील के राष्ट्रपति लुईज इनासियो लूला दा सिल्वा के साथ भी व्यापक द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इन वार्ताओं में रक्षा सहयोग एक अहम मुद्दा होगा। दोनों देश रक्षा क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर गंभीरता से बात करेंगे, जिसमें संयुक्त अनुसंधान, टेक्नोलॉजी का आदान-प्रदान और प्रशिक्षण के अवसर शामिल हैं। यह दर्शाता है कि भारत और ब्राजील केवल खरीद-फरोख्त से आगे बढ़कर एक रणनीतिक रक्षा साझेदारी बनाना चाहते हैं।
ब्राजील की भारतीय रक्षा उपकरणों में गहरी रुचि
ब्राजील ने भारत से कई प्रमुख रक्षा उपकरण खरीदने में गहरी दिलचस्पी दिखाई है, जो भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती क्षमताओं का प्रमाण है। इनमें सबसे प्रमुख हैं:
- आकाश एयर डिफेंस सिस्टम: यह भारत की स्वदेशी रूप से विकसित मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो दुश्मन के फाइटर जेट्स, ड्रोन और क्रूज मिसाइलों जैसे हवाई खतरों को बेअसर करने में सक्षम है। इसकी मारक सीमा 25 से 45 किमी तक है और यह 20 किमी ऊंचाई तक के लक्ष्यों को भेद सकती है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान इसकी सफलता ने इसकी क्षमता को साबित किया है।
- गरुड़ आर्टिलरी गन: यह एक स्वदेशी तोप प्रणाली है जो अपनी तेज़ तैनाती, सटीक मार और हल्के डिज़ाइन के चलते तटीय और सीमावर्ती इलाकों में बेहद उपयोगी साबित हो रही है। इसकी गतिशीलता और मारक क्षमता इसे युद्धक्षेत्र में एक प्रभावी हथियार बनाती है।
इसके अलावा, ब्राजील कुछ खास चीजों में भी दिलचस्पी दिखा रहा है, जिनमें शामिल हैं:
- युद्ध के मैदान में सुरक्षित कम्युनिकेशन सिस्टम: आधुनिक युद्ध में सुरक्षित और विश्वसनीय संचार प्रणालियां अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं।
- अपतटीय गश्ती पोत (OPV): ब्राजील अपनी लंबी तटरेखा और समुद्री हितों की सुरक्षा के लिए इन पोतों को हासिल करने में रुचि रखता है।
- तटीय निगरानी प्रणाली: अपनी समुद्री सीमाओं की प्रभावी निगरानी के लिए ब्राजील को उन्नत निगरानी उपकरणों की आवश्यकता है।
- स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को बनाए रखने में भारत की मदद: यह दोनों देशों के बीच गहरे तकनीकी सहयोग और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान की संभावना को दर्शाता है।
ब्राजील भारतीय रक्षा उद्योग के साथ संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) बनाने का भी इच्छुक है। विदेश मंत्रालय के सचिव पी. कुमारन के अनुसार, "एयरोस्पेस क्षेत्र में ब्राजील की कंपनी एम्ब्रेयर की ताकत को देखते हुए, विमान निर्माण और सहयोग के कई रास्ते खुल सकते हैं।" यह दोनों देशों के बीच रक्षा विनिर्माण में एक मजबूत साझेदारी की नींव रख सकता है।
'मेक फॉर वर्ल्ड' और भारत की बढ़ती रक्षा क्षमताएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'मेक फॉर वर्ल्ड' विजन भारतीय शस्त्र व्यवस्था को लगातार मजबूत बना रहा है। यह पहल न केवल भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर केंद्रित है, बल्कि इसका लक्ष्य भारतीय रक्षा उत्पादों को वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाना भी है। 'आकाश' और 'गरुड़' जैसी स्वदेशी प्रणालियों में ब्राजील की रुचि इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं, बल्कि एक विश्वसनीय निर्यातक भी बन रहा है।
भारत का रक्षा निर्यात लगातार बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2024-25 में यह 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 बिलियन अमेरिकी डॉलर) के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 12.04 प्रतिशत अधिक है। भारत अब 80 से अधिक देशों को गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां, संपूर्ण प्रणालियां और विभिन्न रक्षा घटकों का निर्यात कर रहा है। यह आत्मनिर्भरता की दिशा में भारत की प्रगति और एक विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में उसकी बढ़ती वैश्विक छवि को दर्शाता है।
ब्रिक्स सम्मेलन और 'ग्लोबल साउथ' का महत्व
प्रधानमंत्री मोदी 5 से 8 जुलाई तक ब्राजील में रहेंगे, जिसके बाद वह घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, अर्जेंटीना और नामीबिया भी जाएंगे। यह यात्रा 'ग्लोबल साउथ' के कई प्रमुख देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करने के लिए है। 'ग्लोबल साउथ' से तात्पर्य उन देशों से है, जिन्हें विकासशील, अल्प विकसित या अविकसित माना जाता है तथा जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लातिन अमेरिका में स्थित हैं।
विदेश यात्रा के लिए रवाना होते समय पीएम मोदी ने अपने बयान में कहा, "हम मिलकर एक अधिक शांतिपूर्ण, समतापूर्ण, न्यायसंगत, लोकतांत्रिक और संतुलित बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था बनाने के लिए प्रयासरत हैं।" यह बयान भारत के उस दृष्टिकोण को दर्शाता है जहां वह केवल अपनी आर्थिक शक्ति नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक साझेदारी और विकासात्मक सहयोग के माध्यम से भी वैश्विक मंच पर अपनी भूमिका बढ़ाना चाहता है। ब्रिक्स जैसे मंच और 'ग्लोबल साउथ' के साथ संबंध इस बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण में महत्वपूर्ण हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्राजील दौरा भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भागीदारी के साथ-साथ, ब्राजील के साथ संभावित रक्षा समझौते भारत की 'मेक फॉर वर्ल्ड' पहल को और मजबूत करेंगे और देश को एक प्रमुख रक्षा निर्यातक के रूप में स्थापित करेंगे। 'आकाश' और 'गरुड़' जैसी स्वदेशी प्रणालियों में ब्राजील की रुचि भारतीय रक्षा उद्योग की बढ़ती विश्वसनीयता और तकनीकी कौशल का प्रमाण है। यह यात्रा न केवल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को गहरा करेगी, बल्कि 'ग्लोबल साउथ' के साथ भारत के संबंधों को भी मजबूत करेगी, जिससे एक अधिक संतुलित और न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था के निर्माण में मदद मिलेगी।