भारत का ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर 2030 तक 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद
नई दिल्ली, 26 जून – भारत का ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर तेजी से बढ़ रहा है और दशक के अंत तक एक महत्वपूर्ण पड़ाव पार करने के लिए तैयार है। एक लेटेस्ट रिपोर्ट में बताया गया है कि 2020 में 30 बिलियन डॉलर के आधार से शुरू होकर, यह सेक्टर 2030 तक 300 बिलियन डॉलर (लगभग ₹25 लाख करोड़) तक पहुंचने की उम्मीद है। यह वृद्धि देश में 1 ट्रिलियन डॉलर के विशाल डिजिटल अवसर में महत्वपूर्ण योगदान देगी, जो भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की बढ़ती शक्ति को दर्शाता है।
बेसेमर वेंचर पार्टनर्स (Bessemer Venture Partners) ने अपनी एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा है कि यह दर्शाता है कि ऑनलाइन कॉमर्स आबादी के एक महत्वपूर्ण और बढ़ते हिस्से के लिए भारतीय खुदरा परिदृश्य के भीतर एक प्रमुख शक्ति के रूप में खुद को मजबूती से स्थापित कर चुका है।
बेसेमर वेंचर पार्टनर्स के अनंत विदुर पुरी ने इस आशावादी दृष्टिकोण पर टिप्पणी करते हुए कहा, "भारत 1 ट्रिलियन डॉलर का डिजिटल अवसर प्रस्तुत करता है। पिछले दशक में कई उपभोक्ता बाजारों, प्लेटफॉर्म और न्यू-एज ब्रांडों का उदय उभरते भारत की बढ़ती आकांक्षाओं का प्रमाण है। यह हमें आने वाले वर्षों में कई और कंज्यूमर प्ले के उभरने की संभावना को लेकर आशावादी बनाता है।"
ऑनलाइन कॉमर्स के विकास को बढ़ावा देने वाले रुझान
इंटरनेट की पहुंच में तेजी से वृद्धि, जनसांख्यिकी में बदलाव (विशेषकर युवा और तकनीकी रूप से जानकार आबादी), और नीतिगत बदलावों (जैसे डिजिटल इंडिया पहल) का एक साथ आना उन प्रमुख रुझानों में से हैं, जिन्होंने नए युग की उपभोक्ता कंपनियों को आगे बढ़ाया है। इन कारकों ने मिलकर ऑनलाइन खरीदारी के लिए एक अनुकूल माहौल बनाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगे चलकर, यह कॉमर्स मार्केटप्लेस, कंटेंट प्लेटफॉर्म और बदलती उपभोक्ता आकांक्षाओं का विकास है, जो नई कंपनियों को भारतीय संदर्भ में जीतने में मदद करेगा। यह बताता है कि सफल होने के लिए कंपनियों को इन गतिशील प्रवृत्तियों के साथ तालमेल बिठाना होगा।
भारत के उभरते ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर ने हाल के वर्षों में असाधारण विस्तार देखा है, जिसमें विभिन्न नए मॉडल और नवाचार सामने आए हैं।
क्विक कॉमर्स (Q-Commerce) का उदय
इसके अलावा, क्विक कॉमर्स (क्यू-कॉमर्स - Q-Commerce) के हालिया उदय ने ऑनलाइन रिटेल इकोसिस्टम में एक नया आयाम पेश किया है, जिससे उपभोक्ताओं के सामान तक पहुंचने के तरीके में और क्रांति आई है। बिगबास्केट (BigBasket), ब्लिंकिट (Blinkit), स्विगी (Swiggy) और जेप्टो (Zepto) जैसे प्लेटफ़ॉर्म ने इस मूवमेंट की अगुआई की है, जो रैपिड डिलीवरी सेवाओं की व्यवहार्यता और उपभोक्ता अपील को प्रदर्शित करता है। ये प्लेटफॉर्म कुछ ही मिनटों में किराने का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुएं वितरित करके शहरी उपभोक्ताओं के लिए जीवन को आसान बना रहे हैं।
इस सेगमेंट में वर्टिकलाइज्ड क्यू-कॉमर्स (Verticalized Q-Commerce) के उभरने का रुझान देखा जा रहा है, जिसमें स्नैबिट (Snackit), स्विश (Swish) और स्लिक (Slick) जैसे स्टार्टअप खास जरूरतों को पूरा कर रहे हैं। ये विशेष उत्पाद श्रेणियों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक विशिष्ट और केंद्रित खरीदारी का अनुभव मिलता है।
D2C ब्रांड और बदलती उपभोक्ता आकांक्षाएं
अंत में, डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर (D2C) ब्रांड तेजी से महत्वाकांक्षी मास-प्रीमियम ऑडियंस की सेवा कर रहे हैं, एक ऐसा वर्ग जो नए, बेहतर कीमत वाले, उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों की मांग करता है। ये ब्रांड सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंच कर मध्यस्थों को हटाते हैं, जिससे वे बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद अधिक किफायती कीमतों पर पेश कर पाते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य-केंद्रित खाद्य और पेय (एफ एंड बी - F&B) कैटेगरी में एफ एंड बी खर्च का प्रतिशत 11 प्रतिशत से बढ़कर 16 प्रतिशत हो गया है, और उम्मीद है कि इसमें वृद्धि जारी रहेगी क्योंकि ब्रांड इस ट्रेंड को अपनाने में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। यह उपभोक्ताओं के बीच स्वास्थ्य और वेलनेस के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है, जिससे ऐसे उत्पादों की मांग बढ़ रही है जो पौष्टिक और सुविधाजनक हों। यह रुझान ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर के भीतर नए और रोमांचक अवसरों को जन्म दे रहा है।
कुल मिलाकर, भारत का ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर न केवल आकार में बढ़ रहा है, बल्कि नवाचार और विविधता में भी विकसित हो रहा है, जो देश के डिजिटल भविष्य के लिए एक आशाजनक तस्वीर प्रस्तुत करता है।