भारत-रूस सहयोग: मधुमेह की एआई आधारित देखभाल के लिए एमडीआरएफ और अल्माज़ोव सेंटर का करार
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चेन्नई | 23 मई 2025: भारत और रूस के बीच वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देते हुए, मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग स्थित अल्माज़ोव नेशनल मेडिकल रिसर्च सेंटर के साथ एक रणनीतिक समझौता (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह सहयोग विशेष रूप से गर्भकालीन मधुमेह (Gestational Diabetes) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) व प्रिसीजन मेडिसिन जैसे नवाचार क्षेत्रों में अनुसंधान को आगे बढ़ाएगा।
वैश्विक सहयोग से मधुमेह नियंत्रण की दिशा में कदम
समझौता एमडीआरएफ के चेयरमैन डॉ. वी. मोहन और अल्माज़ोव सेंटर के डायरेक्टर-जनरल प्रो. एवगेनी श्ल्याखतो के बीच हस्ताक्षरित हुआ। दोनों संस्थान एंडोक्रिनोलॉजी और मेटाबॉलिक बीमारियों के क्षेत्र में अग्रणी माने जाते हैं।
डॉ. मोहन ने कहा, “यह सहयोग वैज्ञानिक नवाचार और वैश्विक सहयोग के माध्यम से मधुमेह से निपटने की हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। एआई और प्रिसीजन मेडिसिन से इलाज की गुणवत्ता में जबरदस्त सुधार की संभावना है।”
साझेदारी के मुख्य बिंदु
प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, यह साझेदारी निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित होगी:
- संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएं, खासकर गर्भकालीन मधुमेह पर
- एआई आधारित डायग्नोस्टिक टूल्स और व्यक्तिगत इलाज की रणनीतियाँ
- शैक्षणिक आदान-प्रदान व चिकित्सकों और वैज्ञानिकों के लिए प्रशिक्षण
- संयुक्त शोध प्रकाशन
- रोगियों की देखभाल को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल नवाचारों का परीक्षण
सेंट पीटर्सबर्ग मेडिकल फोरम में डॉ. मोहन का संबोधन
इस सहयोग की शुरुआत को और मजबूती देते हुए, डॉ. वी. मोहन ने अल्माज़ोव सेंटर में आयोजित 8वें सेंट पीटर्सबर्ग मेडिकल इनोवेशन फोरम में “डायबिटीज में एआई की भूमिका” विषय पर मुख्य भाषण दिया। उन्होंने बताया कि कैसे एआई का इस्तेमाल रियल-टाइम मॉनिटरिंग, प्रारंभिक निदान और रोगी-विशिष्ट उपचार में क्रांतिकारी बदलाव ला रहा है।
इसके अतिरिक्त, अल्माज़ोव सेंटर की पोलिना वी. पोपोवा और एमडीआरएफ की टीमों द्वारा संयुक्त रूप से गर्भकालीन मधुमेह पर शोध पहले से ही प्रारंभ हो चुका है।
वैश्विक स्वास्थ्य नवाचार की नई दिशा
यह भारत-रूस साझेदारी ऐसे समय में हुई है जब मधुमेह जैसी गैर-संचारी बीमारियां वैश्विक स्वास्थ्य के लिए चुनौती बन रही हैं। इस सहयोग का फोकस तकनीक आधारित समाधान पर है, जिससे न केवल भारत और रूस में, बल्कि वैश्विक स्तर पर मधुमेह की देखभाल में नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी एआई और प्रिसीजन मेडिसिन के जरिये मधुमेह देखभाल को नई ऊंचाई पर ले जाएगी।