महाराष्ट्र में महंगी इलेक्ट्रिक कारों पर लगा 6% रोड टैक्स: लग्जरी ईवी खरीदारों को झटका
नई दिल्ली: अगर आप महाराष्ट्र में रहते हैं और 30 लाख रुपये से ज्यादा की कोई लग्जरी इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं, तो अब आपको अपनी जेब थोड़ी और ढीली करनी पड़ेगी। 1 जुलाई 2025 से महाराष्ट्र सरकार ने इन महंगी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 6 प्रतिशत रोड टैक्स लगा दिया है, जिससे पहले जो टैक्स-फ्री सुविधा मिलती थी, वो अब खत्म हो गई है। इस नए नियम का सीधा असर BMW iX, Mercedes EQE, Audi e-tron और Jaguar I-Pace जैसी हाई-एंड इलेक्ट्रिक गाड़ियों के खरीदारों पर पड़ेगा, क्योंकि अब इन पर लाखों रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा।
प्रीमियम ईवी खरीदना अब नहीं रहा सस्ता
अब तक महाराष्ट्र को भारत का सबसे ईवी-फ्रेंडली (EV-friendly) राज्य माना जाता था। इसकी मुख्य वजह यह थी कि यहां लग्जरी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर रोड टैक्स और रजिस्ट्रेशन चार्ज लगभग शून्य थे। इस छूट के कारण ग्राहक लाखों रुपये की बचत कर लेते थे, जिससे महंगी इलेक्ट्रिक कारों की खरीद अपेक्षाकृत सस्ती पड़ती थी। इसी वजह से महाराष्ट्र में प्रीमियम ईवी सेगमेंट में अच्छी वृद्धि देखी जा रही थी।
लेकिन अब नियम बदल चुके हैं। इस बदलाव का सीधा असर खरीद लागत पर पड़ेगा। उदाहरण के लिए, यदि आप कोई 70 लाख रुपये की इलेक्ट्रिक वाहन खरीदते हैं, तो अब आपको लगभग 4 लाख रुपये का अतिरिक्त टैक्स देना होगा। इस टैक्स के लागू होने से पहले डिलीवरी लेने की होड़ में जून के आखिर तक कई डीलरशिप में ग्राहकों की भीड़ देखी गई। ग्राहकों ने इस टैक्स से बचने के लिए जल्द से जल्द अपनी गाड़ियां रजिस्टर कराने की कोशिश की।
सरकार ने टैक्स क्यों बढ़ाया? समानता और राजस्व का तर्क
सरकार ने इस कदम के पीछे दो मुख्य तर्क दिए हैं: बराबरी (इक्विटी) और राजस्व (रेवेन्यू) में वृद्धि। सरकार का कहना है कि जब पेट्रोल और डीजल गाड़ी खरीदने वालों से रोड टैक्स लिया जाता है, तो फिर लग्जरी इलेक्ट्रिक वाहन मालिकों से क्यों नहीं? यही सोचकर अब इन पर भी टैक्स लगाया गया है। सरकार का मानना है कि जो लोग महंगी इलेक्ट्रिक कारें खरीद सकते हैं, वे रोड टैक्स का भुगतान करने में भी सक्षम हैं।
इसके अलावा, राज्य के राजस्व में वृद्धि भी इस फैसले का एक महत्वपूर्ण कारण है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर टैक्स लगाकर सरकार अपने खजाने को बढ़ाना चाहती है, जिसका उपयोग अन्य विकास परियोजनाओं में किया जा सकता है। इस बदलाव के तहत, सभी नॉन-ईवी (गैर-इलेक्ट्रिक वाहन) गाड़ियों पर अब 1 प्रतिशत सरचार्ज भी लगाया गया है, जो राजस्व बढ़ाने के सरकार के व्यापक प्रयासों का हिस्सा है।
हालांकि, इस फैसले के आलोचकों का मानना है कि ये निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब किआ (Kia), वोल्वो (Volvo) और टेस्ला (Tesla) जैसी कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां भारत में और इलेक्ट्रिक मॉडल लॉन्च करने की योजना बना रही हैं। ऐसे में सरकार का यह कदम संभावित निवेशकों और खरीदारों को गलत संदेश दे सकता है, जिससे भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की गति धीमी पड़ सकती है।
कौन लोग अब भी टैक्स से बच सकते हैं?
अच्छी खबर यह है कि यह नया रोड टैक्स सभी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर लागू नहीं होगा। अगर आपकी इलेक्ट्रिक गाड़ी की कीमत 30 लाख रुपये से कम है, तो फिलहाल आपको किसी तरह का अतिरिक्त टैक्स नहीं देना पड़ेगा। यह छूट मुख्य रूप से मास-मार्केट इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए है, ताकि आम जनता के बीच ईवी को बढ़ावा दिया जा सके।
इस दायरे में आने वाले कुछ लोकप्रिय मॉडल हैं, जिनमें Tata Nexon EV (टाटा नेक्सन ईवी), Tata Punch EV (टाटा पंच ईवी), Tata Curvv.EV (आगामी), Tata Harrier.EV (टाटा हैरियर ईवी), MG ZS EV (एमजी जेडएस ईवी), MG Windsor (एमजी विंडसर), और Mahindra XUV400 (महिंद्रा एक्सयूवी400) जैसी कारें शामिल हैं। इन गाड़ियों पर अभी भी रोड टैक्स माफ है और जीएसटी (GST) भी कम है, जिससे ये आम खरीदारों के लिए अधिक किफायती बनी हुई हैं। हालांकि, लोगों को डर है कि भविष्य में सरकार द्वारा ये राहत भी खत्म की जा सकती है, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत बढ़ सकती है।
क्या ग्राहक अब दूसरे राज्यों की ओर देखेंगे? संभावित परिणाम
इस फैसले के बाद, कुछ लोग अब अपनी महंगी इलेक्ट्रिक कारों को महाराष्ट्र के बजाय तेलंगाना या दिल्ली जैसे राज्यों में रजिस्टर कराने का रास्ता अपनाने की सोच रहे हैं। इन राज्यों में अब भी इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी और टैक्स छूट मिलती है, जिससे वहां लग्जरी ईवी खरीदना महाराष्ट्र की तुलना में सस्ता पड़ सकता है।
अगर ऐसा हुआ, तो महाराष्ट्र को न सिर्फ टैक्स राजस्व का नुकसान होगा, बल्कि उसे अपने "ईवी-फ्रेंडली स्टेट" की पहचान से भी हाथ धोना पड़ सकता है। यह स्थिति राज्य में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग के विकास को भी प्रभावित कर सकती है, क्योंकि कंपनियां ऐसे राज्यों में निवेश करना पसंद करेंगी जहां ईवी के लिए अधिक अनुकूल नीतियां हों। यह देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र सरकार इस संभावित पलायन को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है और क्या यह नीति वास्तव में राजस्व में वृद्धि करती है या इसके विपरीत परिणाम देती है।
महाराष्ट्र सरकार का 30 लाख रुपये से अधिक की लग्जरी इलेक्ट्रिक कारों पर 6% रोड टैक्स लगाने का फैसला एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव है। जहां सरकार इसे समानता और राजस्व वृद्धि के लिए आवश्यक मान रही है, वहीं आलोचकों का तर्क है कि यह भारत में इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने की गति को धीमा कर सकता है और राज्य की 'ईवी-फ्रेंडली' छवि को नुकसान पहुंचा सकता है। इस कदम के दीर्घकालिक प्रभाव क्या होंगे, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह लग्जरी ईवी खरीदारों के लिए एक बड़ा झटका है और अन्य राज्यों की नीतियों पर भी इसका असर दिख सकता है।