C Sadanandan Master Nominated For Rajya Sabha: केरल की सियासत में भगवा आवाज़ को मिला एक नया चेहरा
तिरुवनंतपुरम - केरल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की वर्षों की कोशिशें अब एक नई दिशा लेती दिख रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के वरिष्ठ कार्यकर्ता सी सदानंदन मास्टर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए नामित किया है। यह नामांकन न केवल व्यक्तिगत संघर्ष की जीत है, बल्कि दक्षिण भारत में भाजपा के बढ़ते प्रभाव का संकेत भी है।
कौन हैं C सदानंदन मास्टर?
त्रिशूर जिले के निवासी सदानंदन मास्टर एक शिक्षक हैं, जिन्होंने जीवन का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और राष्ट्र निर्माण में समर्पित किया है। वह पेरमंगलम स्थित श्री दुर्गा विलासम उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में वर्ष 1999 से सामाजिक विज्ञान पढ़ा रहे हैं। शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय रहने के साथ ही वह राष्ट्रीय शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष और उसके मुखपत्र देशीय अध्यापक वार्ता के संपादक भी हैं।
उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से बी.कॉम और कालीकट विश्वविद्यालय से बी.एड की डिग्री प्राप्त की है। उनकी पत्नी वनिता रानी भी शिक्षिका हैं, और उनकी बेटी यमुना भारती बी.टेक की छात्रा हैं। इस तरह से उनका पूरा परिवार शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहा है।
1994: जब राजनीति ने ले ली एक शिक्षक की टांगें
सदानंदन मास्टर का जीवन तब बदल गया जब 25 जनवरी 1994 को केरल के कन्नूर जिले में उन पर एक क्रूर हमला हुआ। उस दिन वामपंथी विचारधारा के गढ़ माने जाने वाले इलाके में उनके दोनों पैर काट दिए गए।
हमले का आरोप भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के कार्यकर्ताओं पर लगाया गया था। हमले का कारण बताया गया कि सदानंदन संघ से जुड़े थे और वामपंथी राजनीति के विरोधी माने जाते थे। यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली थी, बल्कि राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा की क्रूर सच्चाई को उजागर करने वाली भी थी।
प्रधानमंत्री मोदी क्यों करते हैं सदानंदन का ज़िक्र?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार सदानंदन मास्टर का नाम अपनी रैलियों में लिया है। उन्होंने कहा कि “केरल में ऐसे सैकड़ों कार्यकर्ता हैं जिनकी कुर्बानी को भुलाया नहीं जा सकता, सदानंदन उनमें अग्रणी हैं।”
BJP के लिए यह नामांकन केवल एक सम्मानजनक पद नहीं है, बल्कि केरल में भाजपा के जनाधार विस्तार की रणनीति का हिस्सा है। संघ से जुड़े सदानंदन जैसे चेहरों को सामने लाकर पार्टी राज्य की राजनीति में स्थायी उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है।
राज्यसभा नामांकन क्यों है अहम?
राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 80 (1)(A) के तहत सदानंदन मास्टर को राज्यसभा में नामित किया गया है। उनके साथ तीन और व्यक्तियों को नामित किया गया है, लेकिन सदानंदन का नाम खास इसलिए है क्योंकि वो केरल जैसे राज्य में भाजपा के वैचारिक विस्तार का प्रतीक बन गए हैं।
इस कदम को केरल विधानसभा चुनाव 2026 की तैयारियों के रूप में भी देखा जा रहा है, जहां बीजेपी ने जनसंपर्क अभियान, समुदायिक जुड़ाव, और संघ विचारधारा के प्रचार को तेज कर दिया है।
सदानंदन मास्टर: पीड़ित से प्रेरणा तक
सदानंदन मास्टर की कहानी किसी संघर्षशील नायक की तरह है। उन्होंने अपने ऊपर हुए बर्बर हमले को कभी अपने जीवन का अंत नहीं बनने दिया। वे व्हीलचेयर पर रहते हैं, लेकिन उनका मनोबल और सक्रियता एक आम इंसान से कहीं अधिक है।
उन्होंने 2000 के दशक में चुनाव भी लड़ा और कई राजनीतिक मंचों पर राजनीतिक हिंसा की निंदा करते रहे हैं। उनका मानना है कि “राजनीतिक विचारधारा के कारण किसी व्यक्ति को शारीरिक हानि पहुँचाना लोकतंत्र के खिलाफ है।”
क्या बदलेगा केरल की राजनीति में?
सदानंदन मास्टर को राज्यसभा में भेजना BJP की रणनीतिक चाल मानी जा रही है। इससे पार्टी को न केवल केरल में सहानुभूति मिलेगी, बल्कि वामपंथी हिंसा के खिलाफ एक मजबूत नैरेटिव भी स्थापित होगा।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा अब केरल में प्रतीकात्मक राजनीति से आगे बढ़कर जमीनी सच्चाई पर ध्यान दे रही है। सदानंदन जैसे चेहरों को आगे लाकर वह अपने “विकास और पीड़ा” के नैरेटिव को मजबूती देना चाहती है।
सी सदानंदन मास्टर का राज्यसभा में नामांकन केवल एक सम्मान नहीं है, बल्कि यह केरल और भारत की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत है। जिनका शरीर वामपंथी हिंसा में जख्मी हुआ, वे अब लोकतंत्र के उच्च सदन में बैठकर नीति निर्माण का हिस्सा बनेंगे। यह कहानी है साहस, संघर्ष और संकल्प की — और शायद केरल में भाजपा की राजनीतिक यात्रा के एक नए अध्याय की शुरुआत भी।