सावन 2025: बिहार में कांवर यात्रा के प्रमुख मार्ग, सुल्तानगंज से देवघर तक का उत्साह
नई दिल्ली: पवित्र सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से हो गई है, और इसके साथ ही भोले बाबा के श्रद्धालुओं के बीच उत्साह भर गया है। 9 अगस्त तक चलने वाले इस विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेले में लाखों कांवरिए भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए विभिन्न मार्गों से बाबा की नगरी देवघर पहुंचते हैं। बिहार में कई ऐसे प्रमुख मार्ग हैं जिनसे होकर कांवरियों का जत्था गुजरता है, और इन सभी में भागलपुर जिले के सुल्तानगंज से देवघर स्थित ज्योतिर्लिंग बाबा वैद्यनाथ धाम तक का कांवर यात्रा रूट सबसे ज्यादा भीड़ वाला और खास माना जाता है।
सुल्तानगंज से देवघर कांवर यात्रा रूट: सबसे लोकप्रिय मार्ग
सुल्तानगंज से देवघर का कांवर यात्रा रूट बेहद ही खास और पवित्र मानी जाती है। बड़ी तादाद में कांवरिया सुल्तानगंज में अजगैवीनाथ धाम घाट से गंगा जल भरकर पैदल यात्रा कर देवघर पहुंचते हैं और फिर बाबा की नगरी में बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं। यह यात्रा लगभग 100 किलोमीटर की होती है और कांवरियों के लिए एक कठिन लेकिन अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
मुख्य मार्ग: सुल्तानगंज से गंगा जल लेकर कांवरिया असरगंज-तारापुर-कटोरिया होते हुए देवघर जाते हैं। वैकल्पिक मार्ग: इसके अलावा, सुल्तानगंज से अकबरनगर-अमरपुर-बांका-कटोरिया होते हुए देवघर या बांका से ढाकामोड़-हसडीहा होते हुए भी देवघर पहुंचा जा सकता है। ये वैकल्पिक मार्ग भी कांवरियों द्वारा उपयोग किए जाते हैं, जिससे भीड़ का प्रबंधन बेहतर हो सके।
डुमरिया घाट, डोरीगंज से बाबा धनेश्वरनाथ कांवर यात्रा रूट
श्रद्धालु गोपालगंज के डुमरिया घाट स्थित नारायणी नदी और सारण जिले के डोरीगंज स्थित गंगा नदी से जल लेकर सिंहासिनी स्थित बाबा धनेश्वरनाथ को अर्पित करने के लिए पहुंचते हैं। यह भी एक महत्वपूर्ण कांवर यात्रा मार्ग है।
मार्ग विवरण: कांवरिया एनएच 27 होते हुए महम्मदपुर पहुंचते हैं, इसके बाद स्टेट हाईवे 90 के रास्ते पकड़ी मोड़ जाते हैं। फिर यहां से दो किलोमीटर पदयात्रा कर बाबा धनेश्वरनाथ का जलाभिषेक करते हैं। वैकल्पिक रूट: डुमरियाघाट से मंदिर पहुंचने के लिए गरौली चंवर, मठिया बाजार एवं उसरी-दिघवा दुबौली वैकल्पिक रूट भी उपलब्ध हैं, जो कांवरियों को सुविधा प्रदान करते हैं।
पहलेजा से बाबा गरीबनाथ कांवर यात्रा रूट
इस रूट पर कांवरिया लगभग 65 किलोमीटर लंबी यात्रा करते हैं। यह मार्ग भी बिहार में काफी लोकप्रिय है।
मार्ग विवरण: सारण जिले में सोनपुर के पास स्थित पहलेजा घाट से कांवरिया गंगा जल भरते हैं और इसके बाद हाजीपुर होते हुए मुजफ्फरपुर स्थित गरीबनाथ मंदिर जाते हैं। सुरक्षा व्यवस्था: गौर करने वाली बात यह है कि, हफ्ते के तीन दिन (शुक्रवार, शनिवार और रविवार) को एनएच 22 का पश्चिमी लेन यानी मुजफ्फरपुर जाने वाली यह सड़क कांवरियों के लिए सुरक्षित रहती है। यह विशेष व्यवस्था कांवरियों की सुरक्षा और सुगम यात्रा सुनिश्चित करने के लिए की जाती है। वैकल्पिक रूट: हाजीपुर से लालगंज होते हुए या फिर महुआ होते हुए या फिर सोनपुर-सोनहो होते हुए भी मुजफ्फरपुर पहुंचा जा सकता है, जिससे कांवरियों को अपनी सुविधा के अनुसार मार्ग चुनने का विकल्प मिलता है।
बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ कांवर यात्रा रूट (बक्सर)
बक्सर जिले की बात करें तो, यहां कांवर यात्रा जिला मुख्यालय स्थित रामरेखा घाट से गंगाजल लेने के बाद ब्रह्मपुर स्थित बाबा ब्रह्मेश्वर नाथ मंदिर तक जाती है। इस दौरान कांवरियों को करीब 33 किलोमीटर की दूरी तय करनी होती है।
मुख्य मार्ग: यहां कांवर यात्रा का एकमात्र मुख्य मार्ग बक्सर हाइवे 922 है। सुरक्षा व्यवस्था: कांवरियों के लिए हर सोमवार को इस फोरलेन सड़क का एक लेन कांवरियों के लिए सुरक्षित रहता है, जिससे उनकी यात्रा सुरक्षित और व्यवस्थित बनी रहे।
फतुहा से सिद्धेश्वर नाथ कांवर यात्रा रूट
बड़ी संख्या में कांवरिया फतुहा से गंगा जल लेकर पटना और नालंदा होते हुए हुलासगंज के रास्ते फल्गु नदी पार करते हैं और जहानाबाद जिले के बराबर पहुंचते हैं। यहां कांवरिया बाबा सिद्धेश्वर नाथ का जलाभिषेक करते हैं।
वैकल्पिक रूट: इस मार्ग के लिए वैकल्पिक रूट में एनएच 22, पटना से मखदुमपुर और मखदुमपुर से बराबर शामिल है।
इस तरह ये सभी रूट बिहार में कांवरियों के लिए बेहद ही खास माने जाते हैं, जो श्रावण मास में भक्ति और आस्था के केंद्र बन जाते हैं। सरकार और स्थानीय प्रशासन द्वारा इन मार्गों पर कांवरियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए व्यापक इंतजाम किए जाते हैं, ताकि लाखों श्रद्धालु अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी कर सकें।