बिहार में नया राजनीतिक अध्याय: नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली
डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की राजनीति में गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा, जब नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य की सत्ता में एक बार फिर अपनी पहचान मजबूत की। पटना के गांधी मैदान में आयोजित भव्य समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति ने इस कार्यक्रम को और महत्वपूर्ण बना दिया। समारोह में भारी संख्या में लोग शामिल हुए, जहां व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए गए थे।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री के साथ-साथ 26 सदस्यीय नए मंत्रिमंडल को भी पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस मंत्रिमंडल में राजनीतिक संतुलन, जातीय प्रतिनिधित्व और युवा-वरिष्ठ नेताओं का मिश्रण सुनिश्चित किया गया है।
योजना की रूपरेखा: भाजपा को सबसे अधिक प्रतिनिधित्व, NDA में नई राजनीतिक ऊर्जा
नए मंत्रिमंडल में पार्टीवार प्रतिनिधित्व इस प्रकार रहा:
● भाजपा – 14 विधायक
● जेडीयू – 8 विधायक
● लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – 2
● हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा – 1
● राष्ट्रीय लोक मोर्चा – 1
इस नए गठजोड़ में भाजपा के सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। इसके साथ भाजपा की भूमिका राज्य प्रशासन में और भी व्यापक हो गई है। जातीय संतुलन, क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व और युवा नेताओं पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिसमें एक मुस्लिम चेहरा भी शामिल है।
नए मंत्रियों में प्रमुख नाम हैं —
श्रेयसी सिंह, रामकृपाल यादव, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, रमा निषाद, लखेंद्र कुमार रौशन, संजय कुमार, संजय कुमार सिंह और दीपक प्रकाश।
ये सभी नेता अपने-अपने क्षेत्रों में राजनीतिक प्रभाव, संगठनात्मक मजबूती और जनता से मजबूत संबंधों के लिए जाने जाते हैं।
बयान: पीएम मोदी का संदेश और नेताओं की प्रतिक्रिया
शपथ ग्रहण के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर लिखा कि नीतीश कुमार एक “कुशल और अनुभवी प्रशासक” हैं, और उनका “सुशासन का शानदार ट्रैक रिकॉर्ड” बिहार को आगे बढ़ाने में मदद करेगा। प्रधानमंत्री ने नए कार्यकाल के लिए उन्हें शुभकामनाएं दीं और समारोह में मौजूद जनता का अभिवादन भी स्वीकार किया। उनके गमछा लहराने पर जनसमूह ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया।
नई सरकार के गठन पर जेडीयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि यह मंत्रिमंडल “एनडीए गठबंधन की मजबूती और सामंजस्य” को दर्शाता है। उनके अनुसार विभागों का बंटवारा जल्द होगा और इससे विकास कार्यों में तेजी आने की उम्मीद है।
दलवार विवरण: नए चेहरों के साथ मजबूत कैबिनेट का गठन
राष्ट्रीय लोक मोर्चा से दीपक प्रकाश
आरएलएम नेता उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश को मंत्री बनाया गया है। वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं हैं और उन्हें विधान परिषद में मनोनीत किया जाएगा। शुरुआत में उनकी माता स्नेहलता कुशवाहा का नाम भी प्रमुखता से चर्चा में था, जो पहली बार विधायक चुनी गई हैं।
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा से संतोष सुमन
हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और जीतन राम मांझी के पुत्र संतोष सुमन को फिर से मंत्रिमंडल में स्थान मिला है। पिछली सरकार में वे लघु जल संसाधन मंत्री थे। इस बार हम के पाँच विधायक चुने गए हैं, जिससे उनकी राजनीतिक भूमिका और मजबूत होती दिख रही है।
युवा और अनुभव का संतुलन: नई सरकार में नई दिशा
कैबिनेट में सबसे युवा मंत्री के रूप में श्रेयसी सिंह (34) और सबसे वरिष्ठ मंत्री के रूप में बिजेंद्र प्रसाद यादव (79) शामिल हैं।
श्रेयसी सिंह, पूर्व रेल राज्य मंत्री दिग्विजय सिंह की पुत्री हैं और कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं। उनका राजनीतिक करियर खेल और सामाजिक क्षेत्रों से जुड़े कार्यों के लिए जाना जाता है। दूसरी ओर, बिजेंद्र यादव 9वीं बार विधायक चुने गए हैं और उन्हें राजनीति का गहरा अनुभव है।
इस संतुलन से संकेत मिलता है कि सरकार युवाओं को नेतृत्व की नई जिम्मेदारियाँ सौंपते हुए अनुभवी नेताओं के मार्गदर्शन को भी महत्व दे रही है।
सामाजिक-आर्थिक प्रभाव: नई सरकार से क्या अपेक्षा?
एक मजबूत और विस्तृत मंत्रिमंडल की घोषणा ऐसे समय में हुई है, जब बिहार कई चुनौतियों का सामना कर रहा है —
● बेरोजगारी की ऊँची दर
● ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी
● कृषि क्षेत्र की धीमी गति
● शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
● निवेश आकर्षित करने की चुनौती
नीतीश कुमार का प्रशासन लंबे समय से सुशासन, ग्रामीण विकास, सड़क निर्माण, महिला सुरक्षा और शिक्षा पर काम करता आया है। इसलिए इस नए कार्यकाल में इन क्षेत्रों को और मजबूत करने की उम्मीद जताई जा रही है।
विशेषज्ञों के अनुसार, भाजपा-जेडीयू गठबंधन का यह स्वरूप पिछले दौर की तुलना में अधिक मजबूत दिखता है, क्योंकि दोनों दलों के बीच राजनीतिक तालमेल इस बार अधिक स्पष्ट है। इससे प्रशासनिक निर्णयों में तेजी आने की संभावना है।
विकास परियोजनाओं, खासकर सड़क, बिजली, सिंचाई और औद्योगिक निवेश पर जोर देने से रोजगार के अवसर बढ़ाने में मदद मिल सकती है।
जनता और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
जनता के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं—
● NDA समर्थकों ने इसे स्थिरता और विकास का नया अवसर बताया।
● विपक्षी दलों ने इसे “व्यवहारिक राजनीति” और “विकल्पहीन नेतृत्व” की उपज कहा।
● सामाजिक संगठन इस बात पर जोर दे रहे हैं कि नई सरकार को युवाओं, किसानों और शिक्षित बेरोजगारों की चुनौतियों को प्राथमिकता देनी चाहिए।
विशेषज्ञों ने यह भी कहा कि ऐतिहासिक दसवें कार्यकाल के बावजूद नीतीश कुमार के सामने बड़ी चुनौतियाँ हैं—जैसे आर्थिक सुधार, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण, सामाजिक सौहार्द और निवेश का माहौल तैयार करना।
नीतीश कुमार का 10वीं बार शपथ लेना ना केवल राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है, बल्कि बिहार की वर्तमान राजनीतिक संरचना की वास्तविकता को भी दर्शाता है। भाजपा की बढ़ी हुई भूमिका, युवा और अनुभवी नेताओं का समावेश और व्यापक जातीय-सामाजिक संतुलन इस गठबंधन को मजबूत बनाते हैं। आने वाले महीनों में विभागीय जिम्मेदारियों के वितरण और सरकार की प्राथमिकताओं से यह स्पष्ट होगा कि बिहार किस दिशा में आगे बढ़ेगा।
Hindi.TheTrendingPeople.com की राय में
नीतीश कुमार का यह नया कार्यकाल बिहार के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। गठबंधन में स्थिरता, कैबिनेट में विविधता और विकास पर फोकस राज्य की प्रगति को एक नई दिशा दे सकते हैं। जनता की अपेक्षाएँ बड़ी हैं, और सरकार के सामने भी कई चुनौतियाँ हैं। अगर प्रशासनिक गति और पारदर्शिता बनाए रखी जाती है, तो आने वाले पाँच वर्ष बिहार के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आ सकते हैं।

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