पीसीओएस में हार्मोनल असंतुलन कैसे बढ़ रहा है? आयुष मंत्रालय ने बताए चार आसान आयुर्वेदिक उपाय
आज के समय में पीसीओएस (Polycystic Ovary Syndrome) भारतीय महिलाओं की सबसे तेज बढ़ती स्वास्थ्य समस्याओं में से एक बन चुका है। यह एक हार्मोनल डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से महिलाओं को अनियमित पीरियड्स, तेज दर्द, चेहरे पर अनचाहे बाल, वजन बढ़ना, थकान, मूड स्विंग्स और इंफर्टिलिटी तक जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) के आंकड़े बताते हैं कि शहरी क्षेत्रों में 18–40 वर्ष की हर पांच में से एक महिला किसी न किसी रूप में हार्मोनल असंतुलन की शिकायत करती है। विशेषज्ञों का मानना है कि गलत दिनचर्या, तनाव, नींद की कमी और प्रोसेस्ड फूड के बढ़ते इस्तेमाल ने इन समस्याओं को कई गुना बढ़ाया है।
इसी बीच भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ को संतुलित रखने के लिए कुछ सरल, घरेलू और वैज्ञानिक रूप से समर्थित आयुर्वेदिक टिप्स जारी किए हैं। मंत्रालय का कहना है कि “अपना ख्याल रखना कोई लग्जरी नहीं, बल्कि एक जरूरत है। रोजमर्रा की दिनचर्या में छोटे बदलाव शरीर को प्राकृतिक रूप से बैलेंस करने में मदद करते हैं।”
नीचे देखें आयुष मंत्रालय द्वारा सुझाए गए ये चार आसान लेकिन प्रभावी उपाय — जिनसे पीसीओएस के लक्षणों में तेजी से सुधार देखा गया है।
1. दिन की शुरुआत डिटॉक्स से करें: त्रिफला चूर्ण गुनगुने पानी के साथ
आयुष मंत्रालय के अनुसार, सुबह खाली पेट गुनगुने पानी में आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण मिलाकर पीना शरीर के लिए प्राकृतिक डिटॉक्स की तरह काम करता है।
इसके मुख्य फायदे:
- शरीर से टॉक्सिन बाहर निकालता है
- पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है
- कब्ज, गैस, एसिडिटी कम करता है
- हार्मोनल असंतुलन की जड़ पर असर करता है
- पीरियड साइकिल को नियमित करने में मदद करता है
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का कहना है कि पीसीओएस से जुड़े 60–70% मामलों में खराब पाचन और सूजन (Inflammation) एक सामान्य कारण है। ऐसे में नियमित त्रिफला सेवन से सूजन कम होती है और हार्मोन बैलेंस होने लगता है।
2. हल्दी और शतावरी: महिलाओं के लिए दो सबसे शक्तिशाली आयुर्वेदिक टॉनिक
आयुष मंत्रालय ने अपने दिशानिर्देश में हल्दी और शतावरी को महिलाओं के लिए “Natural Healing Boosters” बताया है।
हल्दी क्यों फायदेमंद?
- करक्यूमिन सूजन कम करता है
- एंटीऑक्सीडेंट गुण शरीर को अंदर से हील करते हैं
- इंसुलिन रेसिस्टेंस कम करके PCOS के लक्षण घटाता है
शतावरी को क्यों कहा जाता है ‘Women’s Rasayana’?
आयुर्वेद में शतावरी को महिलाओं का सबसे प्रभावी टॉनिक माना गया है। यह—
- एस्ट्रोजन लेवल नियंत्रित करता है
- पीरियड नियमित करता है
- अत्यधिक दर्द और मूड स्विंग्स कम करता है
- प्रजनन क्षमता (Fertility) में सुधार करता है
आयुर्वेदिक चिकित्सक सलाह देते हैं कि इसे पाउडर, कैप्सूल या उबालकर काढ़े के रूप में लिया जा सकता है, लेकिन सही मात्रा विशेषज्ञ की सलाह अनुसार ही होनी चाहिए।
3. योग: सूर्य नमस्कार और प्राणायाम हार्मोनल हेल्थ के लिए वरदान
हार्मोनल असंतुलन के सबसे बड़े कारणों में एक है तनाव (Stress)। तनाव बढ़ते ही शरीर का कोर्टिसोल स्तर बढ़ता है, जो सीधे प्रजनन और पीरियड हार्मोन्स को प्रभावित करता है।
आयुष मंत्रालय ने योग को महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ के लिए "पहला और सबसे सरल उपाय" बताया है।
क्या करना चाहिए?
- 10–12 चक्र सूर्य नमस्कार रोजाना
- 10–15 मिनट प्राणायाम
- अनुलोम-विलोम
- भ्रामरी
- कपालभाति
चौंकाने वाले फायदे:
- तनाव 40% तक कम होता है
- PCOS में वजन नियंत्रित करने में मदद
- इंसुलिन, थायरॉयड और प्रजनन हार्मोन बैलेंस होते हैं
- मूड स्थिर रहता है
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (AIIA) की एक रिपोर्ट के अनुसार, नियमित योग करने वाली महिलाओं में पीरियड अनियमितता 6–8 सप्ताह में काफी हद तक सुधर जाती है।
4. पर्याप्त नींद और पानी: सबसे आसान लेकिन सबसे जरूरी उपाय
आयुष मंत्रालय का चौथा सुझाव सबसे सरल है — नींद और पानी।
क्यों जरूरी है?
- 7–8 घंटे की गहरी नींद के दौरान शरीर खुद हार्मोन री-सेट करता है
- रात में देर तक जागने वाली महिलाओं में कोर्टिसोल तेजी से बढ़ता है
- दिन में 3–4 लीटर पानी पीने से
- शरीर डिटॉक्स होता है
- सूजन कम होती है
- पीरियड्स बेहतर तरीके से नियमित होते हैं
हार्मोनल असंतुलन से जूझ रही महिलाओं के लिए यह दोनों आदतें आधार स्तंभ की तरह काम करती हैं।
लोगों और विशेषज्ञों की राय
दिल्ली स्थित आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. अनामिका शर्मा कहती हैं,
“पीसीओएस पूरी तरह लाइफस्टाइल आधारित रोग है। दवाइयां केवल 30% तक सहायता करती हैं। अगर महिलाएं आयुष मंत्रालय द्वारा बताए गए ये चार उपाय लगातार फॉलो करें, तो कई मामलों में दवा की ज़रूरत भी नहीं पड़ती।”
वहीं मुंबई की 28 वर्षीय आयुषी, जिन्होंने इन टिप्स को 3 महीनों तक फॉलो किया, कहती हैं—
“मेरे पीरियड्स 45–50 दिनों में आते थे। लेकिन योग, नींद और त्रिफला अपनाने के बाद मेरी साइकिल 30–32 दिन की हो गई है। दर्द भी काफी कम है।”
पृष्ठभूमि: आयुर्वेद क्यों दे रहा है सरल उपाय?
पिछले कुछ वर्षों में तनाव, नींद की कमी, अनहेल्दी डाइट, लगातार स्क्रीन टाइम और PCOS के बढ़ते मामलों ने महिलाओं की हेल्थ पर गंभीर प्रभाव डाला है।
आयुष मंत्रालय का मानना है कि अगर महिलाएं आधुनिक जीवनशैली में भी कुछ आयुर्वेदिक आदतों को शामिल कर लें, तो हार्मोनल समस्याओं को जड़ से ठीक किया जा सकता है।
सरकार का उद्देश्य है — महिलाओं को दवा-निर्भरता से बचाकर प्राकृतिक, सस्टेनेबल समाधान देना।
TheTrendingPeople.com की राय में
आयुर्वेद महिलाओं की हार्मोनल हेल्थ के लिए व्यावहारिक, सुरक्षित और सस्टेनेबल समाधान प्रदान करता है। पीसीओएस जैसी समस्याएं केवल दवाइयों से नहीं, बल्कि सही दिनचर्या, योग, डाइट और मानसिक शांति से भी नियंत्रित की जा सकती हैं।
आयुष मंत्रालय द्वारा बताए ये चार उपाय सरल हैं, लेकिन इनका असर गहरा है — और यही इन्हें आधुनिक महिलाओं के लिए बेहद उपयोगी बनाता है।

