भारत में हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन का नया दौर: पुरी ने गुयाना जैसे बड़े तेल क्षेत्रों की उम्मीद जताई
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नई दिल्ली: भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहा है। केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि भारत में शुरू हो रहे हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन के नए दौर में गुयाना के आकार के कई बड़े तेल क्षेत्र मिलेंगे, खासकर अंडमान सागर में। यह बयान देश की ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का संकेत देता है।
हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
केंद्रीय मंत्री ने 'ऊर्जा वार्ता 2025' कार्यक्रम के दौरान भारत के एक्सप्लोरेशन लक्ष्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, "हम ओएएलपी (ओपन एकरेज लाइसेंसिंग पॉलिसी) राउंड-10 के तहत 2,00,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में अधिक हाइड्रोकार्बन की खुदाई और एक्सप्लोर करेंगे।" यह एक बड़ा विस्तार है जो देश की ऊर्जा खोज क्षमताओं को बढ़ाएगा।
पुरी ने आगे बताया कि भारत का लक्ष्य 2025 तक एक्सप्लोरेशन सेक्टर को 5 लाख वर्ग किलोमीटर तक और 2030 तक इसे बढ़ाकर 10 लाख वर्ग किलोमीटर तक ले जाना है। इस महत्वाकांक्षी विस्तार के साथ, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया, "मुझे पूरा विश्वास है कि हमें गुयाना के आकार के कई क्षेत्र खासकर अंडमान सागर में मिलेंगे।" गुयाना हाल के वर्षों में बड़े तेल और गैस खोजों के लिए जाना जाता है, और भारत भी इसी तरह की सफलता की उम्मीद कर रहा है।
निवेश को जोखिम-मुक्त बनाने के प्रयास
केंद्रीय मंत्री पुरी ने बताया कि सरकार भारत को ऑयल एंड गैस एक्सप्लोरेशन और प्रोडक्शन (ईएंडपी) के लिए अगला वैश्विक अग्रणी बनाने के लिए कई क्षेत्रों पर काम कर रही है। इन प्रयासों में शामिल हैं:
उच्च-गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता:ये सभी कदम भारत को वैश्विक तेल और गैस कंपनियों के लिए एक आकर्षक निवेश गंतव्य बनाने के उद्देश्य से हैं।
ऊर्जा वार्ता 2025: एक महत्वपूर्ण मंच
केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि 'ऊर्जा वार्ता 2025' में आयोजित 'मंच मंत्री का' कार्यक्रम में उनकी उत्साहवर्धक बातचीत हुई। यह सम्मेलन भारत के ऊर्जा क्षेत्र के प्रमुखों, पेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों, ऊर्जा पेशेवरों और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्णायक और गतिशील नेतृत्व में ऊर्जा सुरक्षा और हरित ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में भारत की यात्रा के हितधारकों का एक अनूठा सम्मेलन था। यह मंच ऊर्जा क्षेत्र के भविष्य की रणनीतियों पर विचार-विमर्श करने और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है।
ऊर्जा सुरक्षा की चुनौतियां और भारत का सामना
पुरी ने बताया कि दुनिया के कई हिस्सों में भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद, भारत ने ऊर्जा को लेकर तीन बड़ी चुनौतियों - उपलब्धता, सामर्थ्य और स्थिरता - का सफलतापूर्वक सामना किया है। यह भारत की लचीली ऊर्जा नीतियों और विविध स्रोतों से ऊर्जा प्राप्त करने की क्षमता को दर्शाता है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि देश के नागरिकों की ऊर्जा जरूरतें सरकार की प्राथमिकता बनी हुई हैं और जिन देशों से तेल और गैस का आयात किया जाता है, उनका दायरा भी विस्तृत हो गया है। यह आयात निर्भरता को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला को अधिक सुरक्षित बनाने की रणनीति का हिस्सा है।
नए क्षेत्रों की खोज और घरेलू उत्पादन
केंद्रीय मंत्री ने उपस्थित लोगों को बताया, "साथ ही, एचईएलपी (हाइड्रोकार्बन एक्सप्लोरेशन एंड लाइसेंसिंग पॉलिसी) जैसे दूरदर्शी सुधारों के साथ, लगभग दस लाख वर्ग किलोमीटर के अब तक के 'नो ओपन' एरिया को ओपन किया जा रहा है और ऑयलफिल्ड्स रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट (ओआरडी) अधिनियम में संशोधन किए जा रहे हैं।" यह नीतिगत बदलाव नए क्षेत्रों में खोज गतिविधियों को बढ़ावा देगा।
उन्होंने आगे कहा कि भारत नए क्षेत्रों की खोज कर घरेलू हाइड्रोकार्बन उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयासों के दौर से गुजर रहा है। इस आयोजन में विभिन्न राज्यों के ऊर्जा मंत्री, शीर्ष सरकारी अधिकारी और ऑयल एंड गैस सेक्टर के उद्योग जगत के दिग्गज शामिल हुए, जो इस क्षेत्र के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण को दर्शाता है।
निष्कर्ष
'ऊर्जा वार्ता 2025' का उद्देश्य भारत के ऊर्जा परिदृश्य के भविष्य को आकार देने और ऊर्जा क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और इनोवेशन के प्रति देश की प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनना है। केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी के बयान भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने, आयात निर्भरता को कम करने और घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार के दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं। गुयाना जैसे बड़े तेल क्षेत्रों की खोज की उम्मीद और निवेश-अनुकूल माहौल बनाने के प्रयास भारत को वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में सहायक होंगे, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक विकास को नई गति मिलेगी।