UP BJP में बड़े संगठनात्मक बदलाव की तैयारी, गैर-यादव OBC चेहरे को मिल सकती है कमान
लखनऊ, [दिनांक: 10 दिसंबर 2025] — उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस सप्ताह एक बड़ा संगठनात्मक बदलाव देखने को मिल सकता है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) राज्य इकाई के अध्यक्ष पद को लेकर राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। मौजूदा अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का कार्यकाल समाप्त होने के बाद, पार्टी इसी सप्ताह नए नाम का ऐलान कर सकती है। यह महत्वपूर्ण निर्णय 2026 के आगामी पंचायत चुनावों और 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठन को और अधिक मजबूत और संतुलित करने की रणनीति का हिस्सा है।
अध्यक्ष चुनाव को लेकर तेज़ हुई चर्चाएं: औपचारिक शुरुआत
BJP ने मंगलवार को अपने संगठनात्मक ढांचे के तहत 84 जिलों के लिए 327 प्रदेश परिषद सदस्यों की सूची घोषित कर दी है। इस सूची को नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की दिशा में एक निर्णायक और औपचारिक कदम माना जा रहा है।
चुनावी प्रक्रिया: ये प्रदेश परिषद सदस्य ही नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव में 'वोटर' की भूमिका निभाते हैं। इसलिए इनकी सूची जारी होते ही चुनावी प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो गई है।
समय सीमा: पार्टी चाहती है कि यह संगठनात्मक बदलाव जल्द से जल्द पूरा हो जाए। माना जा रहा है कि BJP 16 दिसंबर को खरमास शुरू होने से पहले ही नए प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी कर देना चाहती है, ताकि नए नेतृत्व को आगामी चुनावी चुनौतियों के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
यह संगठनात्मक फेरबदल न केवल नेतृत्व में बदलाव लाएगा, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी की चुनावी बिसात को भी सेट करेगा।
गैर-यादव OBC चेहरे पर दांव लगाने का प्लान: PDA की काट
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, BJP इस बार उत्तर प्रदेश में संगठन की कमान अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय के किसी प्रमुख नेता को सौंप सकती है। सबसे बड़ी चर्चा यह है कि पार्टी इस बार गैर-यादव ओबीसी चेहरे पर दांव खेलेगी, जो एक विशिष्ट सामाजिक इंजीनियरिंग रणनीति का हिस्सा है।
दौड़ में शामिल प्रमुख OBC नेता:
प्रदेश अध्यक्ष की दौड़ में ओबीसी समुदाय के निम्नलिखित नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं:
धर्मपाल सिंह: योगी सरकार में मंत्री।
बीएल वर्मा: केंद्रीय मंत्री।
साध्वी निरंजन ज्योति: पूर्व सांसद और एक अनुभवी चेहरा।
सियासी रणनीति: 'PDA' फॉर्मूले का जवाब
BJP के इस कदम को समाजवादी पार्टी (SP) के 'PDA' (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले की प्रभावी काट के रूप में देखा जा रहा है।
लोकसभा चुनाव 2024 का सबक: 2024 के लोकसभा चुनाव में, समाजवादी पार्टी की PDA केंद्रित राजनीति ने BJP के पारंपरिक ओबीसी वोटबैंक में सेंध लगाई थी, जिससे पार्टी को कुछ सीटों पर झटका लगा।
2017 की रणनीति दोहराना: गैर-यादव ओबीसी को अध्यक्ष बनाकर, BJP अपनी 2017 की सफल सियासी रणनीति को दोहराना चाहती है, जिसका मुख्य लक्ष्य राज्य के OBC के बड़े वोटबैंक को अपने पाले में वापस लाना है।
जातीय समीकरण: उत्तर प्रदेश की राजनीति में ओबीसी वर्ग की आबादी और चुनावी परिणामों पर उनका प्रभाव बहुत अधिक है। गैर-यादव ओबीसी वर्ग को नेतृत्व देने से यह संदेश जाएगा कि पार्टी सामाजिक न्याय और सभी उप-जातियों को समान प्रतिनिधित्व देने के लिए प्रतिबद्ध है।
क्यों हो रहा है यह बदलाव?
यह संगठनात्मक बदलाव केवल कार्यकाल समाप्ति का मामला नहीं है, बल्कि यह पार्टी की दीर्घकालिक चुनावी रणनीति का हिस्सा है:
नेतृत्व में संतुलन: केंद्रीय नेतृत्व राज्य में एक ऐसे चेहरे को स्थापित करना चाहता है जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ प्रभावी समन्वय स्थापित कर सके और संगठन को ज़मीनी स्तर तक गतिशील बनाए।
चुनावी तैयारी: 2026 के पंचायत चुनाव और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को बूथ स्तर तक मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है, जिसके लिए एक नया, ऊर्जावान और जातीय रूप से संतुलित नेतृत्व महत्वपूर्ण है।
नए वोटर को साधना: गैर-यादव ओबीसी पर फोकस करके BJP उस वोटबैंक को साधने की कोशिश कर रही है जो हाल के चुनावों में विपक्षी दलों की ओर झुका था।
TheTrendingPeople.com की राय में (Final Thoughts)
उत्तर प्रदेश में BJP अध्यक्ष का चुनाव सिर्फ एक संगठनात्मक फेरबदल नहीं है, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले राजकीय शक्ति और जातीय समीकरण को साधने का एक सुनियोजित प्रयास है। गैर-यादव OBC चेहरे पर दांव लगाने की रणनीति स्पष्ट रूप से समाजवादी पार्टी के PDA फॉर्मूले का जवाब है। यदि धर्मपाल सिंह या बीएल वर्मा जैसे किसी बड़े ओबीसी नेता को कमान मिलती है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि BJP अपनी पुरानी और सफल सामाजिक इंजीनियरिंग को फिर से सक्रिय कर रही है ताकि ओबीसी वोटबैंक पर अपनी पकड़ को और मजबूत किया जा सके। 16 दिसंबर से पहले होने वाली यह ताजपोशी राज्य की राजनीति में गर्मी बढ़ाएगी और आगामी चुनावों की दिशा तय करेगी।