राज्यसभा में चुनावी सुधार पर टकराव: विपक्ष ने SIR पर तुरंत चर्चा की मांग की, सरकार ने तय कार्यसूची का हवाला दिया — सदन में हंगामा और वॉकआउट
राज्यसभा के शीतकालीन सत्र में चुनावी सुधारों और SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर मंगलवार को सरकार और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। विपक्ष ने नियम 267 के तहत SIR पर तुरंत चर्चा की मांग की, जबकि सरकार ने निर्धारित कार्यसूची के अनुसार आगे बढ़ने की अपील की। इस असहमति के चलते सदन में दिनभर हंगामा होता रहा और अंततः विपक्ष ने वॉकआउट कर दिया।
सरकार का रुख: “चर्चा के लिए तैयार, लेकिन अन्य कार्य रोकना ठीक नहीं”
संसदीय कार्य मंत्री किरें रिजिजू ने कहा कि सरकार चुनावी सुधारों पर चर्चा कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन विपक्ष की यह शर्त स्वीकार नहीं है कि चर्चा को सूचीबद्ध कार्यों से पहले कराया जाए।
रिजिजू ने कहा:
“हम चर्चा के लिए तैयार हैं, लेकिन सदन की अन्य कार्यसूचियों को रोककर केवल एक विषय को प्राथमिकता देना उचित नहीं है। वंदेमातरम् की 150वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा सहित कई महत्त्वपूर्ण विषय कार्यसूची में शामिल हैं।”
उन्होंने कहा कि कई सदस्य अपने–अपने राज्यों से जुड़े मसले उठाना चाहते हैं और कार्यसूची को क्रम से ही चलना चाहिए।
विपक्ष की दलील: “नियम 267 सर्वोच्च प्राथमिकता देता है”
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार के तर्क को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा:
“नियम 267 कहता है कि अन्य सभी कामकाज रोककर उसी मुद्दे पर पहले चर्चा कराई जाए जिसके लिए नोटिस दिया गया है। इसलिए SIR पर तुरंत चर्चा जरूरी है।”
खड़गे ने बताया कि अगर विषय अत्यावश्यक न होता, तो नोटिस देने की जरूरत ही नहीं पड़ती।
डीएमके के त्रिरूची शिवा और सीपीआई (एम) के जॉन ब्रिटास ने भी तुरंत चर्चा कराने की मांग दोहराई और कहा कि सरकार मुद्दे से बचना चाहती है।
हंगामा जारी — सदन प्रभावित
सरकार और विपक्ष किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे। पहले दो बजे तक कार्यवाही स्थगित की गई, उसके बाद भी स्थिति नहीं बदली। विपक्ष SIR पर चर्चा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग पर अड़ा रहा, जबकि सरकार सूचीबद्ध कार्यों पर जोर देती रही।
दोनों पक्षों के बीच आम सहमति न बनने के चलते सदन शोर–शराबे में घिरा रहा।
अंततः विपक्षी सांसदों ने सदन का बहिष्कार किया और वॉकआउट कर दिया।
कार्यवाही के दौरान GST संशोधन बिल पर चर्चा भी हुई
हंगामे के बीच राज्यसभा में मणिपुर गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स विधेयक (दूसरा संशोधन) भी पेश किया गया। बिल को सदन में विचार और लौटाए जाने के लिए आगे बढ़ाया गया।
TheTrendingPeople की राय में
चुनावी सुधार एक अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण विषय है। इस पर चर्चा होना लोकतंत्र के हित में है, लेकिन सदन की कार्यवाही का ठप होना वक्त और संसाधनों की बर्बादी है। सरकार और विपक्ष यदि सहमति से तय रणनीति बनाएं, तो सुधार और संसदीय परंपरा — दोनों सुरक्षित रह सकती हैं।