अयोध्या में विश्व स्तरीय मंदिर संग्रहालय को कैबिनेट की मंजूरी, 52 एकड़ भूमि आवंटित
अयोध्या को विश्व स्तर पर एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में मंगलवार को बड़ा कदम उठाया गया। उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने टाटा सन्स के सहयोग से प्रस्तावित विश्व स्तरीय ‘मंदिर संग्रहालय’ (Temple Museum) का दायरा और बड़ा कर दिया है। यह संग्रहालय अयोध्या की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक विरासत को आधुनिक तकनीक के समन्वय के साथ प्रदर्शित करेगा।
कैबिनेट बैठक के बाद वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि टाटा सन्स ने अपने CSR फंड से इस उच्चस्तरीय परियोजना को विकसित करने और संचालित करने की इच्छा व्यक्त की है। इसके लिए कंपनी एक्ट 2013 की धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी SPV कंपनी बनाई जाएगी, जिसके संचालन में भारत सरकार और राज्य सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
भूमि का दायरा 25 एकड़ से बढ़ाकर 52.102 एकड़
पहले अयोध्या के मांझा जमथरा गांव में 25 एकड़ भूमि उपलब्ध कराने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन संग्रहालय की भव्यता और विस्तार को देखते हुए अब कुल 52.102 एकड़ भूमि पर्यटन विभाग को हस्तांतरित की जा रही है।
सरकार का मानना है कि यह परियोजना अयोध्या को एक नया सांस्कृतिक पहचान चिन्ह देगी और—
- प्रत्यक्ष–अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन
- पर्यटन में बड़ा इजाफा
- स्थानीय व्यवसायों को बढ़ावा
- सरकारी राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि
होने की पूरी संभावना है।
अयोध्या में पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही
श्रीराम जन्मभूमि मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और अब ध्वजारोहण समारोह के बाद हाल के महीनों में अयोध्या में पर्यटकों का प्रवाह कई गुना बढ़ चुका है।
हर दिन 2 से 4 लाख श्रद्धालु अयोध्याधाम पहुंच रहे हैं। युवा पीढ़ी, विदेशियों और भारतीय संस्कृति में रुचि रखने वाले सैलानियों को ध्यान में रखते हुए संग्रहालय को उच्च तकनीकी मानकों के साथ विकसित किया जाएगा।
कैबिनेट का दूसरा अहम फैसला: सभी 18 मंडलों में नए दिव्यांग पुनर्वास केंद्र
कैबिनेट बैठक में दिव्यांगजनों के लिए बड़ा निर्णय भी लिया गया। सरकार ने राज्य के सभी 18 मंडलों में जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र (DDRC) खोलने को मंजूरी दे दी है।
वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि नए DDRC केंद्रों से दिव्यांगजनों को एक ही छत के नीचे—
- सर्वे व पहचान
- सहायक उपकरण व कृत्रिम अंग
- प्रशिक्षण व पुनर्वास
- फिजियोथेरेपी व स्पीच थेरेपी
- UDID कार्ड व दिव्यांग प्रमाणपत्र
जैसी सेवाएँ आसानी से मिल सकेंगी।
सरकार का कहना है कि इससे दिव्यांगजनों को योजनाओं का लाभ तेजी और सुगमता से मिलेगा और पुनर्वास प्रणाली मजबूत होगी।
TheTrendingPeople की राय में
अयोध्या को विश्व आध्यात्मिक राजधानी के रूप में विकसित करने की दिशा में यह निर्णय मील का पत्थर साबित हो सकता है। आसमान छूते पर्यटन के बीच सांस्कृतिक स्थलों का विस्तार और दिव्यांगजनों के लिए DDRC केंद्रों की स्थापना — दोनों फैसले लोगों के जीवन पर सीधा प्रभाव डालेंगे