भारतीय महिला क्रिकेट की 'लेडी तेंदुलकर' मिताली राज की यात्रा
भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने 2 नवंबर को हरमनप्रीत कौर की कप्तानी में दक्षिण अफ्रीका को हराकर अपना पहला विश्व कप जीता। इस ऐतिहासिक जीत की नींव रखने वाले दिग्गजों में एक नाम सबसे ऊपर है— 'लेडी तेंदुलकर' कही जाने वाली दिग्गज खिलाड़ी मिताली राज (Mithali Raj) ने रखी थी। लगभग 23 साल के अपने शानदार करियर में, मिताली ने भारतीय महिला क्रिकेट को अभावों के दौर से निकालकर आज के व्यावसायिक स्वरूप तक लाने में निर्णायक भूमिका निभाई।
प्रारंभिक जीवन और अंतर्राष्ट्रीय पदार्पण
मिताली राज का जन्म 3 दिसंबर 1982 को जोधपुर, राजस्थान में हुआ था, हालांकि उनका मूल संबंध हैदराबाद से है। बचपन से ही क्रिकेटर बनने का सपना देखने वाली मिताली ने बहुत ही कम उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कदम रख दिया था।
- डेब्यू: मात्र 16 साल की उम्र में, 29 जून 1999 को, उन्होंने आयरलैंड के खिलाफ वनडे मैच से अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की शुरुआत की।
- पहला शतक: उन्होंने अपने पहले ही वनडे मैच में 114 रन की शानदार पारी खेली, जिससे यह स्पष्ट हो गया कि वह महिला क्रिकेट का इतिहास लिखने आई हैं।
बल्लेबाजी की तकनीक और दृढ़ संकल्प
मिताली अपनी अद्भुत बल्लेबाजी तकनीक के लिए जानी जाती थीं। चाहे शानदार फुटवर्क हो, कट, फ्लिक, ड्राइव या स्वीप, हर शॉट में वह तकनीकी रूप से बेहद मजबूत थीं। महिला क्रिकेट के उस दौर में जब आर्थिक संपन्नता नहीं थी और खिलाड़ियों को अपनी जिंदगी अच्छी तरह गुजारने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं मिलते थे, तब भी अभावों के बावजूद मिताली के मन में अपने खेल और देश के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का जुनून था। इस जज्बे ने उन्हें अपने समय के बल्लेबाजों से काफी आगे रखा। विपरीत परिस्थितियों में भी अकेले विकेट पर डटे रहने की उनकी क्षमता ही उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट का सबसे बड़ा स्तंभ बनाती थी। उन्होंने तीनों फॉर्मेट (वनडे, टेस्ट, टी20) में अपनी क्षमता साबित की।
रिकॉर्ड्स की महारानी: मिताली के प्रमुख कीर्तिमान
मिताली राज के नाम कई ऐसे कीर्तिमान दर्ज हैं, जिन्होंने उन्हें 'लेडी तेंदुलकर' का उपनाम दिलाया।
वनडे अंतर्राष्ट्रीय (ODI) रिकॉर्ड
- सर्वाधिक रन: वह महिला वनडे क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन (7,805) बनाने वाली खिलाड़ी हैं।
- उपलब्धियाँ: 232 वनडे मैचों की 211 पारियों में, उन्होंने 50.68 की प्रभावशाली औसत से 7 शतक और रिकॉर्ड 64 अर्धशतक बनाए।
- सर्वाधिक अर्धशतक: उनके नाम वनडे में सर्वाधिक अर्धशतक दर्ज हैं, साथ ही लगातार 7 वनडे अर्धशतक लगाने का भी रिकॉर्ड है।
- 200 वनडे: वह 200 वनडे मैच खेलने वाली पहली महिला क्रिकेटर हैं।
टी20 अंतर्राष्ट्रीय (T20I) रिकॉर्ड
2000 रन क्लब: वह टी20 अंतर्राष्ट्रीय में 2,000 रन बनाने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी और पहली महिला क्रिकेटर थीं। उन्होंने 89 मैचों में 2,364 रन और 17 अर्धशतक बनाए।
टेस्ट क्रिकेट रिकॉर्ड
- सबसे युवा दोहरी शतकीय: वह महिला टेस्ट क्रिकेट इतिहास में दोहरा शतक लगाने वाली सबसे युवा बल्लेबाज हैं। 2002 में, मात्र 19 साल की आयु में, उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 214 रन बनाए थे। वह टेस्ट में दोहरा शतक लगाने वाली पहली महिला खिलाड़ी भी थीं।
- टेस्ट करियर: 12 टेस्ट की 19 पारियों में उन्होंने 1 शतक और 4 अर्धशतकों की मदद से 699 रन बनाए।
बतौर कप्तान शानदार रिकॉर्ड
मिताली राज ने 2004 से 2022 तक (2005-2006 को छोड़कर) भारतीय टीम की कप्तानी की।
- विश्व कप फाइनल: वह दो वनडे विश्व कप फाइनल (2004 और 2017) में कप्तानी करने वाली एकमात्र भारतीय कप्तान हैं।
- 2017 विश्व कप: 2017 का फाइनल, जिसमें भारत इंग्लैंड से मात्र 9 रन से हारा था, मिताली के करियर का सबसे मर्मस्पर्शी क्षण रहा। यह वह हार थी जो आज भी भारतीय फैंस और मिताली को सबसे ज़्यादा कचोटती है, जहाँ वह पहली भारतीय महिला विश्व कप विजेता कप्तान बनने से चूक गईं। * सर्वाधिक मैच: उन्होंने बतौर भारतीय कप्तान रिकॉर्ड 155 वनडे मैचों में नेतृत्व किया।
- 20 साल का करियर: उन्होंने 2019 में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में 20 साल पूरे किए, ऐसा करने वाली वह पहली महिला क्रिकेटर थीं।
विरासत और सम्मान: जीत का अधूरा सपना और योगदान की तपस्या
2022 में संन्यास लेने वाली मिताली राज ने लगभग 23 साल के करियर में भारतीय महिला क्रिकेट की यात्रा को नई दिशा दी। उनके संन्यास के तीन साल बाद, जब भारतीय टीम ने विश्व कप जीता, तो वह स्टेडियम में मौजूद थीं। मौजूदा खिलाड़ियों ने ट्रॉफी उन्हें देकर जश्न मनाया, जो उनकी वर्षों की तपस्या और योगदान को एक श्रद्धांजलि थी।
मिताली राज को मिले प्रमुख सम्मान:
- पद्मश्री
- अर्जुन पुरस्कार
- मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार
संन्यास के बाद, वह महिला प्रीमियर लीग में गुजरात जायंट्स के साथ बतौर मेंटर भी जुड़ी रही हैं। महिला क्रिकेट को आर्थिक समानता (पुरुषों के बराबर वेतन) तक लाने के सफर में उनका योगदान अविस्मरणीय है।