नेल्सन मंडेला की पुण्यतिथि: रंगभेद के खिलाफ सबसे बुलंद आवाज को याद करेगा विश्व, इंसानियत और समानता की मिसाल आज भी कायमImage: IANS
मानवाधिकार और समानता के वैश्विक संघर्ष का सबसे प्रेरक चेहरा रहे नेल्सन मंडेला को दुनिया शुक्रवार 5 दिसंबर को याद करेगी। दक्षिण अफ्रीका को नई पहचान देने वाले और रंगभेद की दमनकारी व्यवस्था के खिलाफ आजीवन लड़ने वाले मंडेला आज भी पूरे विश्व के लिए साहस और न्याय का प्रतीक हैं। 5 दिसंबर 2013 को उनके निधन के बाद भी उनकी विरासत नस्लीय अन्याय के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज बनी हुई है।
27 साल जेल में बिताए, फिर भी संघर्ष जारी रखा
नेल्सन मंडेला ने दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद के खिलाफ पूरी जिंदगी संघर्ष किया। इस लड़ाई के कारण उन्हें 27 साल कैद में बिताने पड़े, लेकिन न तो उनकी इच्छाशक्ति टूटी और न ही न्याय के प्रति उनकी प्रतिबद्धता। जेल से रिहा होने के बाद भी उन्होंने बदले की नहीं, बल्कि शांति और एकता की राह चुनी।
दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति
1994 में नेल्सन मंडेला दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने। उनका कार्यकाल केवल राजनीति तक सीमित नहीं था—उन्होंने समाज के सभी वर्गों को करीब लाने की ऐतिहासिक कोशिशें कीं और दुनिया के सामने समावेशी लोकतंत्र का आदर्श प्रस्तुत किया।
भारत से गहरा संबंध, गांधी के अनुयायी
मंडेला का भारत के साथ विशेष जुड़ाव था। वे महात्मा गांधी को अपना मार्गदर्शक मानते थे और अहिंसा तथा भाईचारे की राह पर चलने की प्रेरणा भारत से मिली। यहीं वजह है कि साल 1990 में भारत सरकार ने उन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ प्रदान किया। दुनिया में उन्हें अफ्रीका का गांधी भी कहा जाता है।
एक नेता नहीं, इंसानियत की मिसाल
नेल्सन मंडेला संघर्ष, त्याग और मानवता का जीवंत प्रतीक थे। उन्होंने साबित किया कि सच्चा परिवर्तन हथियारों से नहीं, बल्कि संवाद, साहस और करुणा से आता है।
हमारी राय: नेल्सन मंडेला की विरासत सिर्फ इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि न्याय और समानता की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणादायक राह है। मौजूदा दौर में जब दुनिया फिर विभाजन की ओर बढ़ती दिखाई देती है, मंडेला के विचार—अहिंसा, एकता और मानवता—पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गए हैं।
