एशिया में AI की तेज रफ्तार पर चेतावनी: सेल्सफोर्स साउथ एशिया की प्रमुख बोलीं — इंसानियत से दूर गई टेक्नोलॉजी बड़ा खतरा बन सकती हैImage: IANS
नेशनल डेस्क। एशिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तरफ तेजी से उठ रहे कदमों पर चिंता जताते हुए सेल्सफोर्स साउथ एशिया की चीफ अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि आने वाले समय में टेक्नोलॉजी की दिशा तय करते समय इंसानी सोच और मानव कल्याण को केंद्र में रखना जरूरी है। मिंट ऑल अबाउट टेक4गुड्स अवॉर्ड्स में शीर्ष उद्योग नेताओं और नीति-निर्माताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि डिजिटल फाइनेंस, हेल्थकेयर और एजुकेशन में जिस गति से विकास हो रहा है, उसके लिए नए सुरक्षा फ्रेमवर्क की जरूरत है।
“टेक्नोलॉजी को इंसानियत की सेवा करनी चाहिए”
भट्टाचार्य ने कंपनियों से एआई सिस्टम बनाते समय एथिक्स, प्राइवेसी और अकाउंटेबिलिटी को उसकी नींव में जोड़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि भविष्य की तकनीक तभी सफल मानी जाएगी, जब वह इंसान और मानव मूल्यों को कमजोर करने के बजाय उन्हें मजबूत बनाए।
यह कार्यक्रम अपने दूसरे वर्ष में आयोजित किया गया, जिसमें भारत, सिंगापुर, मलेशिया और फिलीपींस के इनोवेटर्स और टेक विशेषज्ञ शामिल हुए।
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भारत की तस्वीर बदली
भट्टाचार्य, जो पहले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन रह चुकी हैं, ने कहा कि उन्होंने नजदीक से देखा है कि तकनीक आर्थिक संरचना को बदलने में कितनी बड़ी भूमिका निभा सकती है। उन्होंने भारत के वित्तीय समावेशन मॉडल का उदाहरण दिया —
आधार आधारित पहचान, व्यापक मोबाइल एक्सेस और तुरंत डिजिटल भुगतान ने देश के सबसे बड़े वित्तीय समावेशन कार्यक्रम को संभव बनाया।
उन्होंने कहा, “मैंने अपनी आंखों से देखा है कि टेक्नोलॉजी कैसे संभावनाएं पैदा कर सकती है और समुदायों को नीचे से उठाकर आगे बढ़ा सकती है।”
AI के फायदे और खतरे — दोनों वास्तविक
भट्टाचार्य के अनुसार, AI आधारित टेक्नोलॉजी स्वास्थ्य निदान को तेज कर सकती है, अडैप्टिव लर्निंग के जरिए शिक्षा को सुलभ बना सकती है और प्रशासनिक सेवाओं की गति बढ़ा सकती है।
लेकिन इसी टेक्नोलॉजी के गलत इस्तेमाल से
- भेदभाव बढ़ सकता है
- प्राइवेसी खत्म हो सकती है
- नीतियों और नियमों को दरकिनार किया जा सकता है
उन्होंने कहा कि स्पष्ट फ्रेमवर्क के बिना AI समाज के लिए खतरा बन सकता है।
सॉवरेन AI मॉडल — एशिया के लिए नया फोकस
इस साल एशियाई देशों में सॉवरेन AI मॉडल्स पर फोकस बढ़ा है। इसके पीछे दो बड़ी वजहें बताई गईं —
- राष्ट्रीय स्तर पर नीति नियंत्रण की जरूरत
- वैश्विक प्लेटफॉर्म्स पर निर्भरता की चिंता
भट्टाचार्य ने कहा कि स्थानीय भाषाओं और सांस्कृतिक जरूरतों के अनुसार प्रशिक्षित सिस्टम भविष्य में और ज्यादा महत्वपूर्ण होंगे।
उन्होंने डेवलपर्स और कंपनियों को संदेश देते हुए कहा कि गार्डरेल्स (सुरक्षा नियम) रुकावट नहीं हैं, बल्कि भरोसे की नींव हैं।
हमारी राय
AI निश्चित रूप से एशिया में आर्थिक और सामाजिक विकास का बड़ा माध्यम बन रहा है, लेकिन अनैतिक और बिना नियंत्रण वाली तकनीक समाज के लिए विनाशकारी साबित हो सकती है। इसलिए केवल तेज़ प्रगति ही नहीं, बल्कि प्रगति की दिशा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।
कस्टमर डेटा सुरक्षा, सामाजिक प्रभाव, गलत सूचना और भेदभाव जैसे जोखिमों को ध्यान में रखते हुए ही AI आधारित सिस्टम विकसित किए जाने चाहिए। टेक्नोलॉजी का असली उद्देश्य मानव विकास है — उसे इससे दूर नहीं होने देना चाहिए।
