भारत–रूस दोस्ती पर PM मोदी का बड़ा बयान: “यह संबंध ध्रुवतारे की तरह स्थिर”, कहा—आतंकवाद के खिलाफ दोनों देश एकजुट
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि भारत–रूस संबंध समय की हर परीक्षा पर खरे उतरे हैं और “एक ध्रुवतारे की तरह स्थिर और मार्गदर्शक हैं।” इस दौरान प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी, रणनीतिक सहयोग और आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त मोर्चे पर विस्तृत चर्चा की।
25 वर्षों की रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा
पीएम मोदी ने कहा कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब भारत–रूस संबंध कई ऐतिहासिक पड़ावों से गुजर रहे हैं। उन्होंने याद दिलाया कि ठीक 25 वर्ष पहले रणनीतिक साझेदारी की नींव रखी गई थी, और 2010 में इसे विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का स्वरूप मिला।
मोदी के अनुसार, दोनों देशों ने 2030 तक के लिए इकोनॉमिक कॉरपोरेशन प्रोग्राम पर सहमति बनाई है, जो व्यापार, सह-उत्पादन और नवाचार के नए अवसर खोलेगा।
आर्थिक सहयोग पर बड़ा फोकस
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत–रूस व्यापार मंच द्विपक्षीय व्यापार को नई गति देगा। इसके साथ ही:
- खाद्य सुरक्षा के लिए कृषि और फर्टिलाइजर क्षेत्र में संयुक्त सहयोग
- यूरिया उत्पादन की नई योजना
- जहाज निर्माण में गहरा सहयोग और मेक इन इंडिया को मजबूती
- युवाओं के लिए रोजगार अवसरों को बढ़ाने हेतु पोलर वाटर में भारतीय नाविकों की ट्रेनिंग
ऊर्जा सुरक्षा को भी दोनों देशों की साझेदारी का एक मजबूत स्तंभ बताते हुए उन्होंने असैन्य परमाणु ऊर्जा और महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में सहयोग जारी रखने का संदेश दिया।
आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ाई जारी
पीएम मोदी ने जम्मू–कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले और रूस के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इन घटनाओं की जड़ एक ही है और दोनों देशों की सोच स्पष्ट है—आतंकवाद मानवता पर सीधा प्रहार है।
उन्होंने जोर दिया कि “आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकता ही सबसे बड़ा हथियार है।”
यूक्रेन मुद्दे पर भारत की स्पष्ट स्थिति
प्रधानमंत्री ने दोहराया कि भारत हमेशा शांति के पक्ष में रहा है और यूक्रेन संकट का शांतिपूर्ण तथा स्थायी समाधान आवश्यक है। भारत भविष्य में भी सार्थक योगदान देने के लिए तैयार रहेगा।
हमारी राय
भारत–रूस संबंध बदलते वैश्विक समीकरणों के बीच बेहद महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। 2030 तक के आर्थिक और रणनीतिक रोडमैप से सहयोग को नई मजबूती मिलेगी। हालांकि, यह भी सच है कि वैश्विक कूटनीति अब पहले से अधिक जटिल हो चुकी है। ऐसे में भारत के लिए समानांतर रूप से अमेरिका, यूरोपीय देशों और रूस के साथ संतुलन बनाए रखना निर्णायक साबित होगा।