TheTrendingPeople | रिपोर्ट: कर्नाटक में सीएम पद पर जारी खींचतान: सिद्धारमैया बोले- भ्रम खत्म करने का अंतिम फैसला हाई कमान काimage via Hindustan times
नई दिल्ली/बंगलूरू: कर्नाटक में मुख्यमंत्री (CM) पद और सत्ता परिवर्तन को लेकर कांग्रेस के भीतर चल रहा संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को दिल्ली में उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक बार फिर गेंद पार्टी हाई कमान के पाले में डाल दी।
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दोहराया कि राज्य में चल रहे नेतृत्व परिवर्तन के इस 'भ्रम' को खत्म करने का अंतिम फैसला पार्टी हाई कमान को ही करना है। उन्होंने स्पष्ट किया कि वे सीएम बदलने के मामले में हाई कमान के हर फैसले का पालन करेंगे।
पावर शेयरिंग समझौते की अटकलें तेज़
कर्नाटक कांग्रेस सरकार ने 20 नवंबर को अपने पांच साल के कार्यकाल का आधा समय पूरा कर लिया है। इसके बाद से ही राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर अटकलें तेज़ हो गई हैं। चर्चाओं का बाजार गर्म है कि क्या मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच कथित 'पावर शेयरिंग' समझौता हुआ है, जिसके तहत शिवकुमार को अगले ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद सौंपा जा सकता है।
विधायकों की दिल्ली दौड़
सिद्धारमैया ने इस खींचतान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विधायक पार्टी नेतृत्व से मिलकर अपनी राय साझा कर सकते हैं।
सिद्धारमैया ने कहा, "विधायक दिल्ली जाएं, यह उनकी स्वतंत्रता है। अंत में फैसला हाई कमान का है। हम हाई कमान के निर्णय का पालन करेंगे।" उन्होंने यह भी कहा कि जो विधायक इस मामले को सुलझाने के लिए हाई कमान से बात करना चाहते हैं, वे अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र हैं।
सूत्रों के अनुसार, 23 नवंबर को छह कांग्रेस विधायक डीके शिवकुमार का समर्थन जताने के लिए दिल्ली पहुंचे थे। ऐसी खबरें हैं कि कुछ और विधायक भी जल्द ही उच्च नेतृत्व से मिल सकते हैं। इससे पहले पिछले सप्ताह भी लगभग दस विधायक एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मिले थे।
सिद्धारमैया के बाद शिवकुमार की खरगे से मुलाक़ात
मंगलवार को डीके शिवकुमार ने बंगलूरू में मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की। यह मुलाकात इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शिवकुमार ने न केवल खरगे से भेंट की, बल्कि वे उन्हें अपनी गाड़ी में एयरपोर्ट तक छोड़ने भी गए। यह घटनाक्रम सिद्धारमैया की खरगे से पहले हुई मुलाकात के बाद सामने आया है।
सूत्रों के हवाले से खबर है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया इस समय कैबिनेट फेरबदल करना चाहते हैं, जबकि उपमुख्यमंत्री शिवकुमार की प्राथमिकता है कि पहले मुख्यमंत्री बदलने के फैसले पर मुहर लगे।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस पूरे मामले में यदि हाई कमान कैबिनेट फेरबदल को मंजूरी दे देता है, तो इसका स्पष्ट अर्थ यह होगा कि सिद्धारमैया अपना पूरा पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे, जिससे शिवकुमार के मुख्यमंत्री बनने के मौके फिलहाल कमजोर हो जाएंगे। अंतिम निर्णय कांग्रेस आलाकमान का ही होगा, जिस पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।