सुप्रीम कोर्ट ने कहा — दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की समस्या के लिए स्थानीय अधिकारी जिम्मेदार
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट के दरबार में पहुंची। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता पर कड़ी नाराजगी जताई और साफ कहा कि इस समस्या के लिए वे ही “दोषी” हैं।
पृष्ठभूमि: 11 अगस्त का आदेश
11 अगस्त 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा निर्देश जारी किया था —
- दिल्ली-NCR के सभी इलाकों से जल्द से जल्द आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजा जाए।
- किसी भी कुत्ते को सड़कों, कॉलोनियों या सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ा जाए।
- आठ सप्ताह के भीतर आश्रय स्थल (Animal Shelter) का निर्माण और उसकी रिपोर्ट अदालत को सौंपी जाए।
इस आदेश के खिलाफ रोक लगाने की मांग करते हुए कई याचिकाएं दायर हुईं, जिनकी सुनवाई गुरुवार को हुई।
सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ ने साफ कहा —
“सारी समस्या स्थानीय अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण है।”
पीठ ने यह भी जोड़ा कि जो लोग याचिका दायर कर रहे हैं या मामले में हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, उन्हें भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी।
दिल्ली सरकार का पक्ष
दिल्ली सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत को बताया:
- देश में हर साल 37 लाख से अधिक डॉग बाइट केस सामने आते हैं।
- कई मामलों में रेबीज के कारण बच्चों की मौत हो रही है।
- यह मुद्दा “जानवरों से नफरत” का नहीं बल्कि जन सुरक्षा और स्वास्थ्य का है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि आवारा कुत्तों की समस्या पर बहस करने के बजाय इसका स्थायी समाधान निकालना होगा।
NGO और पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का पक्ष
कुत्तों की देखभाल करने वाले एक NGO की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया:
- मौजूदा स्थिति “बहुत गंभीर” है।
- इस मामले में जल्दबाज़ी में आदेश लागू करने से हालात बिगड़ सकते हैं।
- उन्होंने 11 अगस्त के आदेश पर अस्थायी रोक लगाने की अपील की।
अदालत का रुख
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने —
- आवारा कुत्तों को पकड़ने और शेल्टर में भेजने के आदेश पर रोक लगाने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
- अधिकारियों को तुरंत आश्रय स्थल बनाने का निर्देश दोहराया।
- आठ सप्ताह के भीतर निर्माण कार्य और उसकी रिपोर्ट देने का आदेश बरकरार रखा।
दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की चुनौती
दिल्ली और आसपास के इलाकों में आवारा कुत्तों की समस्या नई नहीं है।
- कई कॉलोनियों में कुत्तों के झुंड लोगों पर हमला करते हैं।
- स्कूल जाने वाले बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह बड़ा खतरा है।
- रेबीज के मामलों में वृद्धि स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता का विषय है।
जिम्मेदारी पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने साफ किया है कि स्थानीय निकाय, नगर निगम और संबंधित विभाग इस समस्या के स्थायी समाधान में विफल रहे हैं।
- कुत्तों के नसबंदी कार्यक्रम (ABC Program) पर सही तरीके से अमल नहीं हुआ।
- शेल्टर होम की संख्या बेहद कम है।
- जन जागरूकता अभियान भी प्रभावी तरीके से नहीं चलाए गए।
आगे क्या?
अब नजर सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश पर है। अगर 11 अगस्त का निर्देश लागू रहता है तो —
- दिल्ली-NCR में बड़े पैमाने पर डॉग कैप्चर ऑपरेशन चलाया जाएगा।
- नए Animal Shelters बनाए जाएंगे।
- स्थानीय निकायों पर सख्त निगरानी रखी जाएगी।
Final Thoughts
आवारा कुत्तों का मुद्दा मानव सुरक्षा बनाम पशु अधिकार की बहस में फंसा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट की सख्ती से साफ है कि अब यह समस्या टाली नहीं जाएगी। लेकिन स्थायी समाधान तभी संभव है जब स्थानीय प्रशासन, सरकार और NGOs मिलकर जिम्मेदारी से काम करें। वरना यह विवाद दिल्ली-NCR की गलियों से अदालत तक बार-बार लौटता रहेगा।