Image via IANS
नई दिल्ली, 20 जुलाई। भारत के आईपीओ (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग) बाजार ने 2025 की पहली छमाही यानी जनवरी से जून के बीच जबरदस्त प्रदर्शन किया है। इस दौरान कंपनियों ने कुल ₹45,351 करोड़ जुटाए, जो कि पिछले वर्ष की इसी अवधि में जुटाए गए ₹31,281 करोड़ के मुकाबले 45 प्रतिशत अधिक है। यह बढ़ोतरी उस समय देखने को मिली है जब वैश्विक आर्थिक अस्थिरता के कारण दुनिया भर के बाजारों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है।
आईपीओ मार्केट में यह मजबूती भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था, नियंत्रित महंगाई और ब्याज दरों में कटौती के चलते संभव हो पाई है। जानकारों के मुताबिक, फरवरी 2025 से अब तक भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कुल 1% की कटौती की है। इसके अलावा खुदरा महंगाई दर भी गिरकर छह वर्षों के न्यूनतम स्तर 2.1% पर आ गई है, जिससे बाजार में निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।
हालांकि, इस बार लाए गए आईपीओ की संख्या में गिरावट देखी गई है। जहां 2024 की पहली छमाही में कुल 36 कंपनियों ने आईपीओ लाया था, वहीं 2025 की इसी अवधि में यह संख्या घटकर 24 रह गई है। लेकिन इन कम संख्या वाले आईपीओ का आकार बड़ा रहा और इनसे अधिक फंड जुटाए गए। इससे यह संकेत मिलता है कि बाजार में मजबूत निवेशक मांग बनी हुई है और कंपनियां बड़े स्तर पर पूंजी जुटा रही हैं।
मर्चेंट बैंकरों द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि में सूचीबद्ध हुए करीब 67% आईपीओ ने प्रीमियम पर शुरुआत की, जिससे निवेशकों को औसतन 25 प्रतिशत का रिटर्न मिला। इससे यह स्पष्ट है कि निवेशकों का रुझान आईपीओ की ओर लगातार बना हुआ है।
2025 की पहली छमाही में शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने वाली कुछ प्रमुख कंपनियों में एचडीबी फाइनेंशियल सर्विसेज, हेक्सावेयर टेक्नोलॉजीज, श्लॉस बैंगलोर और एथर एनर्जी शामिल हैं। इन सभी आईपीओ में फ्रेश इक्विटी और ऑफर फॉर सेल (OFS) का संयोजन देखा गया, जिसका उपयोग कंपनियों ने अपने विस्तार, कर्ज चुकाने और वर्किंग कैपिटल की जरूरतों को पूरा करने में किया।
सिर्फ फंड जुटाने या सूचीबद्ध होने तक ही आईपीओ गतिविधि सीमित नहीं रही। 2025 की पहली छमाही में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को 118 कंपनियों से आईपीओ ड्राफ्ट रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन प्राप्त हुए, जो कि पिछले साल इसी अवधि के 52 आवेदन की तुलना में दोगुना से भी अधिक हैं। इससे यह संकेत मिलता है कि आने वाले समय में भी आईपीओ मार्केट में तेजी जारी रह सकती है।
चॉइस कैपिटल एडवाइजर्स के सीईओ रतिराज टिबरेवाल ने कहा है कि आने वाले महीनों में वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों में सुधार की उम्मीद है। महंगाई, ब्याज दर, भू-राजनीतिक तनाव और मुद्रा अस्थिरता जैसे कारकों में कमी आने से बाजार में और अधिक स्थिरता आएगी, जिससे आईपीओ गतिविधि और भी तेज हो सकती है।
TheTrendingPeople की अंतिम सोच:
भारत का आईपीओ बाजार 2025 में मजबूती की ओर अग्रसर है, जो देश की आर्थिक स्थिरता और निवेशकों के आत्मविश्वास को दर्शाता है। हालांकि आईपीओ की संख्या में गिरावट आई है, लेकिन उनका आकार और बाजार से मिली प्रतिक्रिया बताती है कि निवेशकों में अब भी भरोसा कायम है। यदि महंगाई और ब्याज दरें नियंत्रण में रहीं और वैश्विक तनाव कम हुआ, तो आने वाले महीनों में भी यह ट्रेंड जारी रह सकता है। बाजार के आने वाले चरण में निवेशकों को नए अवसर मिल सकते हैं, और इससे भारत की पूंजी बाजार प्रणाली और अधिक सशक्त हो सकती है।