महाराष्ट्र में 'महा-उलटफेर'—पुणे में चाचा-भतीजे आए साथ, क्या अब NDA की राह पकड़ेंगे शरद पवार? MVA को लगा तगड़ा झटकाImage: PTI via News18
मुंबई/पुणे — महाराष्ट्र की राजनीति, जो अपनी अनिश्चितताओं और नाटकीय मोड़ के लिए मशहूर है, एक बार फिर बड़े बदलाव के मुहाने पर खड़ी है। राज्य में आगामी नगर निकाय चुनावों (Municipal Elections) की रणभेरी बजते ही समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। जहां एक तरफ ठाकरे बंधु (उद्धव और राज ठाकरे) एक मंच पर आने की तैयारी कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ पुणे से एक ऐसी खबर आई है जिसने महाविकास अघाड़ी (MVA) की नींव हिला दी है।
खबर यह है कि पुणे महानगरपालिका चुनाव में 'चाचा-भतीजे' यानी शरद पवार (Sharad Pawar) और अजित पवार (Ajit Pawar) की पार्टियां हाथ मिलाने जा रही हैं। जुलाई 2023 में हुए ऐतिहासिक बंटवारे के बाद यह पहला मौका होगा जब दोनों गुट एक साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। इस स्थानीय गठबंधन ने राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है— क्या एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार भी एनडीए (NDA) के खेमे में लौटेंगे?
पुणे मॉडल: विचारधारा से बड़ा 'सत्ता' का सवाल
एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के वरिष्ठ नेता अंकुश काकड़े ने मंगलवार को एक स्पष्ट संकेत देकर सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। उन्होंने पुष्टि की कि दोनों गुट पुणे म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन का चुनाव एक साथ लड़ेंगे।
काकड़े ने कहा, "एनसीपी-शरदचंद्र पवार और एनसीपी-अजीत पवार ने आगामी पुणे नगर निगम चुनाव एक साथ लड़ने का फैसला किया है। हमने अपने सहयोगियों के साथ बैठक की है। अजित पवार गुट और हमारे गुट की विचारधारा एक ही है।"
यह बयान केवल एक चुनावी रणनीति नहीं, बल्कि एक बड़ा वैचारिक यू-टर्न (U-Turn) है। अब तक एक-दूसरे को 'गद्दार' और 'अवसरवादी' कहने वाले गुटों का यह मिलन दर्शाता है कि पुणे जैसे गढ़ को बचाने के लिए पवार परिवार किसी भी हद तक समझौता कर सकता है। हालांकि, सीट बंटवारे पर अभी अंतिम मुहर लगनी बाकी है।
क्या शरद पवार का अगला पड़ाव NDA है?
पुणे में हुए इस समझौते ने उन कयासों को हवा दे दी है कि शरद पवार धीरे-धीरे एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की ओर बढ़ रहे हैं। इसके पीछे कई ठोस कारण माने जा रहे हैं:
- MVA में बिखराव: महाविकास अघाड़ी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे अपनी अलग राह चुनते दिख रहे हैं और राज ठाकरे की मनसे (MNS) के साथ गठबंधन की ओर बढ़ रहे हैं।
- कांग्रेस की स्थिति: कांग्रेस गठबंधन में अलग-थलग पड़ती नजर आ रही है। ऐसे में शरद पवार के लिए विकल्प सीमित हो गए हैं।
- भाजपा की रणनीति: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने हाल ही में संकेत दिया था कि पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में भाजपा, अजित गुट के खिलाफ चुनाव लड़ेगी। इसे एक सोची-समझी रणनीति माना जा रहा है ताकि एनसीपी के दोनों धड़े एक साथ आ सकें और भविष्य में शरद पवार के लिए एनडीए का रास्ता आसान हो जाए।
संजय राउत का हमला और आंतरिक कलह
इस नए समीकरण से महाविकास अघाड़ी (MVA) में हड़कंप मच गया है। शिवसेना (यूबीटी) के फायरब्रांड नेता संजय राउत ने इस संभावित एकजुटता पर तीखा हमला बोला है।
राउत ने दो टूक कहा:
"एनसीपी-एसपी का अजित गुट के साथ जाना सीधे तौर पर भाजपा से हाथ मिलाने जैसा है। यह जनता के साथ विश्वासघात है।"
राउत ने यह भी दोहराया कि नासिक और ठाणे में शरद पवार की एनसीपी, शिवसेना (यूबीटी) और राज ठाकरे की पार्टी के साथ रहेगी, जो भ्रम की स्थिति को और गहरा रहा है।
पार्टी में बगावत: दूसरी ओर, इस फैसले से शरद पवार की अपनी पार्टी के भीतर भी असंतोष के सुर फूट पड़े हैं। पुणे एनसीपी (एसपी) के अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने कथित तौर पर नेतृत्व को इस्तीफा सौंपने की पेशकश की है। उनका और कई अन्य नेताओं का मानना है कि महायुति (जो भाजपा के साथ है) के साथ जाने से पार्टी की धर्मनिरपेक्ष छवि और विश्वसनीयता को गहरा धक्का लगेगा।
चुनाव का बिगुल: 15 जनवरी 2026 को होगा फैसला
महाराष्ट्र राज्य चुनाव आयोग ने लंबे समय से लंबित नगर निगम चुनावों की तारीखों का ऐलान कर दिया है।
- मतदान: राज्य के 29 नगर निगमों के लिए 15 जनवरी 2026 को वोट डाले जाएंगे।
- परिणाम: नतीजों की घोषणा अगले दिन, यानी 16 जनवरी को होगी।
- नामांकन: नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसकी अंतिम तारीख 30 दिसंबर है, जबकि नाम वापसी 2 जनवरी तक हो सकती है।
यह चुनाव केवल स्थानीय निकायों का नहीं, बल्कि राज्य की बदलती राजनीति का लिटमस टेस्ट (Litmus Test) होगा।
हमारी राय
शरद पवार भारतीय राजनीति के वो 'भीष्म पितामह' हैं, जिनकी अगली चाल को समझ पाना बड़े-बड़े विश्लेषकों के लिए भी मुश्किल होता है। पुणे में अजित पवार के साथ हाथ मिलाना महज एक स्थानीय आवश्यकता हो सकती है, लेकिन इसका संदेश दूरगामी है।
The Trending People का मानना है कि राजनीति में 'स्थायी शत्रु' और 'स्थायी मित्र' का सिद्धांत एक बार फिर सही साबित हो रहा है। अगर शरद पवार एनडीए की तरफ झुकते हैं, तो यह विपक्षी एकता (INDIA गठबंधन) के ताबूत में आखिरी कील साबित हो सकती है। वहीं, उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का साथ आना भी मराठी मानुष की राजनीति में एक नया अध्याय लिखेगा। कुल मिलाकर, 2026 की शुरुआत महाराष्ट्र के लिए सियासी भूचाल लेकर आई है, जहाँ विचारधाराएं पीछे छूट गई हैं और सत्ता का गणित सबसे ऊपर है।