टीम इंडिया के 'कप्तानों' पर आईसीसी की गाज—शुभमन गिल और सूर्या टॉप-10 से बाहर, क्या खराब वक्त ने घेर लिया है सितारों को?
नई दिल्ली — क्रिकेट के मैदान में यह कहावत अक्सर सही साबित होती है कि "जब समय खराब होता है, तो मुसीबतें चारों तरफ से आती हैं।" भारतीय क्रिकेट के वर्तमान परिदृश्य में, यह बात अगर कोई सबसे ज्यादा शिद्दत से महसूस कर रहा है, तो वह हैं युवा स्टार शुभमन गिल (Shubman Gill) और टी20 टीम के कप्तान सूर्यकुमार यादव (Suryakumar Yadav)।
कुछ समय पहले तक, गिल को भारतीय क्रिकेट का भविष्य और टी20 टीम का उप-कप्तान माना जा रहा था। वर्ल्ड कप के लिए उनकी दावेदारी पक्की मानी जा रही थी। लेकिन किस्मत ने ऐसी पलटी खाई कि पहले उन्हें टी20 टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया, और अब अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) की ताजा रैंकिंग ने उनके साथ-साथ टी20 कप्तान 'स्काई' को भी करारा झटका दिया है। खराब फॉर्म और अनिश्चितता के भंवर में फंसे इन दोनों दिग्गजों का आईसीसी के एलीट क्लब से बाहर होना भारतीय फैंस के लिए चिंता का विषय बन गया है।
आईसीसी रैंकिंग का भूचाल: सूर्या का 'सूर्यास्त'?
ताजा जारी आईसीसी रैंकिंग भारतीय बल्लेबाजी के लिए एक खतरे की घंटी है। सबसे बड़ा झटका टी20 फॉर्मेट के बादशाह माने जाने वाले सूर्यकुमार यादव को लगा है।
- टॉप-10 से विदाई: वर्ल्ड कप से पहले अपनी लय तलाश रहे सूर्यकुमार यादव एक लंबे अर्से के बाद बल्लेबाजों की शीर्ष 10 सूची से बाहर हो गए हैं।
- गिरावट का कारण: भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका टी20 सीरीज में लगातार चार कम स्कोर बनाने के बाद सूर्या सीधे 13वें नंबर पर खिसक गए हैं।
- इतिहास: जुलाई 2022 में पहली बार टॉप-10 में जगह बनाने वाले सूर्या तब से लगातार इस लिस्ट में बने हुए थे। कई महीनों तक नंबर-1 की कुर्सी पर कब्जा जमाए रखने वाले 'मिस्टर 360' के लिए यह गिरावट उनके करियर के सबसे निचले दौर का संकेत दे रही है।
शुभमन गिल: उप-कप्तानी गई, अब रैंकिंग भी गई
शुभमन गिल के लिए साल 2025 किसी बुरे सपने जैसा साबित हो रहा है। इनपुट के अनुसार, भारत के टेस्ट और वनडे कप्तान की भूमिका में देखे जा रहे गिल भी अब आईसीसी बल्लेबाजी रैंकिंग के शीर्ष दस से बाहर हो गए हैं।
- वजह: दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में न खेलना और टी20 टीम से बाहर होना उनके लिए भारी पड़ा।
- रैंकिंग: इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के खिलाफ शानदार प्रदर्शन के दम पर भारत के सर्वोच्च रैंकिंग वाले बल्लेबाज बने गिल अब खिसककर 11वें नंबर पर पहुंच गए हैं।
अब स्थिति यह है कि शीर्ष दस में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाला एकमात्र बल्लेबाज युवा यशस्वी जायसवाल (Yashasvi Jaiswal) बचे हैं, जो अपनी शानदार फॉर्म के कारण टिके हुए हैं।
आंकड़ों का सच: 2025 में क्यों फ्लॉप हुए 'हीरो'?
दोनों ही खिलाड़ी इस वक्त भयानक फॉर्म से जूझ रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि चयनकर्ताओं और आलोचकों की चिंता बेबुनियाद नहीं है।
शुभमन गिल का संघर्ष:
- टी20 प्रदर्शन: साल 2025 में गिल का टी20 औसत मात्र 26.3 रहा है।
- विरोधाभास: जबकि उनका आईपीएल औसत 50, वनडे औसत 49 और टेस्ट औसत 70.2 रहा है।
- चयनकर्ताओं का तर्क: टीम प्रबंधन का मानना था कि उन्हें एक विकेटकीपर-ओपनिंग बल्लेबाज की जरूरत है, जिसके चलते गिल का टीम समीकरण में फिट बैठना मुश्किल हो गया और उन्हें बाहर कर दिया गया।
कप्तान सूर्या का बुरा हाल: सूर्यकुमार यादव के आंकड़े तो और भी डराने वाले हैं।
- रन का सूखा: सूर्या ने 2025 में खेली गई 21 पारियों में केवल 218 रन बनाए हैं।
- औसत और स्ट्राइक रेट: उनका औसत गिरकर 13.62 रह गया है और जिस स्ट्राइक रेट के लिए वे जाने जाते थे, वह भी 123.16 पर सिमट गया है।
- कप्तानी का कवच: विश्लेषकों का मानना है कि इस प्रदर्शन के आधार पर सूर्या की टीम में जगह नहीं बनती थी, लेकिन वर्ल्ड कप से ठीक पहले कप्तान बदलना गलत संकेत देता, इसलिए उनकी जगह बच गई। लेकिन आईसीसी रैंकिंग में वे अपनी साख नहीं बचा पाए।
क्या है आगे की राह?
इन दोनों खिलाड़ियों के लिए आने वाले कुछ महीने 'करो या मरो' वाले होंगे। शुभमन गिल को जहां अपनी तकनीक और टी20 अप्रोच पर काम करना होगा, वहीं सूर्यकुमार यादव को कप्तानी के दबाव से मुक्त होकर अपने स्वाभाविक खेल की तरफ लौटना होगा। अगर यह गिरावट जारी रही, तो न केवल उनकी व्यक्तिगत रैंकिंग बल्कि टीम इंडिया के वर्ल्ड कप अभियान पर भी इसका गहरा असर पड़ सकता है।
हमारी राय
क्रिकेट एक क्रूर खेल है, जो पिछले रिकॉर्ड्स नहीं, बल्कि मौजूदा प्रदर्शन देखता है। शुभमन गिल और सूर्यकुमार यादव का टॉप-10 से बाहर होना यह बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई भी जगह स्थायी नहीं होती।
The Trending People का विश्लेषण है कि यह झटका इन दोनों खिलाड़ियों के लिए एक 'वेक-अप कॉल' (Wake-up Call) हो सकता है। गिल को यह साबित करना होगा कि वे तीनों फॉर्मेट के खिलाड़ी हैं, न कि सिर्फ वनडे और टेस्ट के। वहीं, सूर्या को समझना होगा कि कप्तान होने का मतलब टीम में 'ऑटोमैटिक सिलेक्शन' नहीं होता; उन्हें बल्ले से नेतृत्व करना होगा। भारतीय फैंस उम्मीद करेंगे कि यह 'खराब समय' जल्द ही बीते और उनके सितारे फिर से अपनी पुरानी चमक के साथ मैदान पर लौटें।