रूस-भारत मीटिंग पर दुनिया की नजर: पुतिन आज शाम दिल्ली पहुंचेंगे, PM मोदी से होगी हाई-लेवल बातचीत – अमेरिका व चीन की बढ़ी चिंता
नई दिल्ली, 4 दिसंबर। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय दौरे पर आज शाम करीब 7 बजे भारत पहुंचेंगे, जहां उनका भव्य स्वागत किया जाएगा। इस दौरान पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाई-लेवल बैठक होने वाली है, जिस पर अमेरिका, चीन और यूरोपीय देशों की कड़ी नजर है।
यह यात्रा इसलिए बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार पुतिन भारत आ रहे हैं। उम्मीद है कि दोनों नेता युद्ध समाप्ति के समाधान और क्षेत्रीय शांति पर भी चर्चा कर सकते हैं।
अमेरिका और यूरोप क्यों परेशान?
रूस के साथ गहरे होते रक्षा और ऊर्जा संबंधों के कारण अमेरिका और यूरोपीय देश भारत पर रूस से संबंध खत्म करने का दबाव बना रहे हैं।
हाल के समय में:
- अमेरिका ने टैरिफ नीति के जरिए भारत पर दबाव बढ़ाया
- यूरोप रूस के खिलाफ एकजुट है
- ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी लगातार पुतिन का विरोध कर रहे हैं
इसके बावजूद भारत रूस के साथ अपने रणनीतिक और सैन्य समझौतों को जारी रखे हुए है, जो पश्चिमी देशों को असहज कर रहा है।
भारत ने साफ संदेश दिया — फैसले हम खुद लेंगे
पश्चिमी दबाव के बीच भी भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि
“भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा।”
पुतिन की यह यात्रा वैश्विक समुदाय के लिए संकेत है कि
भारत न तो अमेरिकी दबाव में झुकेगा और न ही अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता छोड़ेगा।
अमेरिकी विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया — “वॉशिंगटन नाराज़, पर कुछ कर नहीं सकता”
पूर्व अमेरिकी अधिकारी लीसा कर्टिस ने कहा:
“अमेरिका को यह मीटिंग बिल्कुल पसंद नहीं आएगी, लेकिन भारत को परेशान नहीं किया जा सकता। नई दिल्ली अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता बनाए रखेगी।”
ब्रूकिंग्स संस्थान की तन्वी मदान ने कहा कि अमेरिका विशेष रूप से दो बातों पर नजर रखेगा:
- पुतिन को दिया जाने वाला सेरेमोनियल सम्मान
- रक्षा और ऊर्जा संबंधी नई डील
साथ ही उन्होंने रूसी तेल आयात आंकड़ों पर दावा किया कि वाशिंगटन इन्हें खास तौर पर मॉनिटर करेगा।
चीन का बढ़ा सतर्क रुख
हालांकि रूस और चीन के संबंध मजबूत हैं, लेकिन बीजिंग भी पुतिन-मोदी मुलाकात पर कड़ी नजर रख रहा है।
क्योंकि भारत-रूस के गहरे रणनीतिक संबंध दक्षिण एशिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के समीकरण बदल सकते हैं।
उम्मीद — बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं
विशेषज्ञों के अनुसार बैठक के बाद:
- रक्षा सौदों पर नई घोषणा
- ऊर्जा आयात पर समझौता
- द्विपक्षीय व्यापार और सुरक्षा सहयोग पर संयुक्त बयान
जारी हो सकता है।
हमारी राय में
पुतिन का भारत दौरा संकेत देता है कि
भारत वैश्विक दबावों से परे अपने हितों और भू-राजनीतिक रणनीति के अनुसार निर्णय ले रहा है।
यह मुलाकात आने वाले वर्षों में दुनिया के शक्ति संतुलन को प्रभावित कर सकती है।