MP में 'हेट स्पीच' का बवंडर—IAS संतोष वर्मा का नया वीडियो वायरल, कहा "कितने संतोष वर्मा को जलाओगे?"Image: mp.punjabkesari.in
भोपाल/इंदौर, दिनांक: 10 दिसंबर 2025 — मध्य प्रदेश की नौकरशाही और सामाजिक गलियारों में एक बार फिर भूचाल आ गया है। ब्राह्मण बेटियों को लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी करने के मामले में घिरे वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और अजाक्स (AJAKS) के प्रांतीय अध्यक्ष संतोष वर्मा का एक और वीडियो सामने आया है, जिसने पहले से धधक रही आग में घी डालने का काम किया है। जहां एक ओर प्रदेश भर के सामाजिक संगठन उनके निलंबन की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संतोष वर्मा अपने बयानों पर अडिग नजर आ रहे हैं, जिससे स्थिति तनावपूर्ण हो गई है।
ताजा वायरल वीडियो में आईएएस अधिकारी खुलेआम चुनौती देते हुए कह रहे हैं, "कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, कितने संतोष वर्मा को जलाओगे... हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा।" यह बयान ऐसे समय में आया है जब राज्य सरकार और प्रशासन पहले से ही उनके पिछले बयानों को लेकर दबाव में है।
विवाद की जड़: "जब तक ब्राह्मण बेटी दान नहीं देता..."
पूरे विवाद की शुरुआत संतोष वर्मा के उस बयान से हुई थी जिसने न केवल मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। एक सार्वजनिक मंच से आरक्षण (Reservation) के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने सामाजिक मर्यादा की सारी सीमाएं लांघ दी थीं।
वर्मा ने कथित तौर पर कहा था: "जब तक मेरे बेटे को कोई ब्राह्मण अपनी बेटी दान नहीं देता या संबंध नहीं बनाता, तब तक आरक्षण जारी रहना चाहिए।"
एक जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी के मुंह से निकली इस भाषा ने समाज के एक बड़े वर्ग को स्तब्ध कर दिया। इसे न केवल जातिगत वैमनस्य फैलाने वाला माना गया, बल्कि महिलाओं की गरिमा के खिलाफ भी बताया गया। इस बयान के तुरंत बाद सोशल मीडिया पर आलोचना का तूफान आ गया। करणी सेना, ब्राह्मण महासभा और अन्य सवर्ण संगठनों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया और तत्काल एफआईआर (FIR) दर्ज कर उन्हें सेवा से बर्खास्त करने की मांग की।
माफीनामा और स्पष्टीकरण: महज एक छलावा?
बवाल बढ़ता देख आईएएस संतोष वर्मा ने डैमेज कंट्रोल की कोशिश की थी। उन्होंने एक वीडियो जारी कर माफी मांगी और स्पष्टीकरण दिया कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है। उन्होंने कहा था कि उनका उद्देश्य किसी की भावनाओं को आहत करना नहीं था, बल्कि वे सामाजिक समानता की बात कर रहे थे।
हालांकि, सामाजिक संगठनों ने इस माफी को नाकाफी और महज एक दिखावा करार दिया। उनका तर्क था कि एक वरिष्ठ अधिकारी, जो संविधान की शपथ लेता है, वह सार्वजनिक मंच से "बेटी दान" जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर महिलाओं को वस्तु की तरह कैसे पेश कर सकता है?
नया वीडियो: "हर घर से निकलेगा संतोष वर्मा"
अभी पहला विवाद ठंडा भी नहीं हुआ था कि संतोष वर्मा का दूसरा वीडियो सामने आ गया। इस वीडियो में वे किसी भी तरह का पछतावा दिखाने के बजाय आक्रामक तेवर में नजर आ रहे हैं।
वीडियो में वे कहते सुनाई दे रहे हैं:
"कितने संतोष वर्मा को तुम मारोगे, कितने संतोष वर्मा को जलाओगे, कितने संतोष वर्मा को निगल जाओगे, क्योंकि हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा।"
इस वीडियो ने यह साफ कर दिया है कि यह मामला केवल एक "फिसली हुई जुबान" (Slip of tongue) का नहीं है, बल्कि यह एक सोची-समझी वैचारिक लड़ाई का रूप ले चुका है। जानकारों का मानना है कि यह बयान सीधे तौर पर उन लोगों को चुनौती है जो उनके पिछले बयान का विरोध कर रहे थे।
राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हड़कंप
आईएएस अधिकारी के इस रवैये ने मध्य प्रदेश सरकार के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है।
- राजनीतिक प्रतिक्रिया: विपक्षी दल कांग्रेस और सत्ताधारी भाजपा, दोनों के ही कई नेताओं ने इस बयान की निंदा की है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव और वोट बैंक की राजनीति से परे, यह मुद्दा अब सामाजिक सौहार्द (Social Harmony) का बन गया है।
- सिविल सेवा आचरण नियम: विशेषज्ञों का कहना है कि संतोष वर्मा का यह आचरण 'अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियमावली' का खुला उल्लंघन हो सकता है। नियमों के मुताबिक, कोई भी अधिकारी ऐसा कोई बयान नहीं दे सकता जो विभिन्न समुदायों के बीच नफरत या वैमनस्य फैलाता हो या जो सरकार की छवि को धूमिल करता हो।
सामाजिक संगठनों का अल्टीमेटम: "मुंह काला करने पर इनाम"
संतोष वर्मा के बयानों से आक्रोशित कई संगठनों ने उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
इनाम की घोषणा: कुछ संगठनों ने तो यहां तक घोषणा कर दी है कि जो भी संतोष वर्मा का मुंह काला करेगा, उसे नकद इनाम दिया जाएगा।कार्रवाई की मांग: अजाक्स (AJAKS) के भीतर भी इस बयान को लेकर दो फाड़ होने की खबरें हैं। कुछ सदस्यों का मानना है कि ऐसे बयानों से संगठन का मूल उद्देश्य (कर्मचारी कल्याण) पीछे छूट जाता है और अनावश्यक विवाद पैदा होते हैं।
एफआईआर की मांग: विभिन्न थानों में उनके खिलाफ शिकायतें दी गई हैं, जिनमें भारतीय दंड संहिता (IPC) की धाराओं के तहत मामला दर्ज करने की मांग की गई है।
प्रशासन के लिए चुनौती
अब गेंद राज्य सरकार के पाले में है। क्या सरकार एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई (Disciplinary Action) करेगी? या फिर इसे "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता" या "निजी विचार" मानकर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा?
प्रशासनिक जानकारों का कहना है कि यदि इस मामले में जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह जातिगत संघर्ष का रूप ले सकता है, जो राज्य की कानून व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाएगा।
TheTrendingPeople की राय में
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की आजादी सबको है, लेकिन एक आईएएस अधिकारी (IAS Officer) होने के नाते संतोष वर्मा पर संविधान और सामाजिक मर्यादा के पालन की दोहरी जिम्मेदारी है। "बेटियों के दान" जैसे शब्द और "हर घर से संतोष वर्मा निकलेगा" जैसी धमकियां न केवल पद की गरिमा के खिलाफ हैं, बल्कि एक सभ्य समाज के लिए भी अस्वीकार्य हैं।
आरक्षण एक संवैधानिक व्यवस्था है और सामाजिक न्याय एक गंभीर विषय। इसे "बेटियों के आदान-प्रदान" जैसी ओछी शर्तों से जोड़ना न केवल तर्कों का दिवालियापन है, बल्कि नारी शक्ति का अपमान भी है। The Trending People का मानना है कि राज्य सरकार को इस मामले में तत्परता से जांच करनी चाहिए। अगर कोई अधिकारी जानबूझकर सामाजिक ताने-बाने को छिन्न-भिन्न करने की कोशिश कर रहा है, तो उस पर सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में नौकरशाही का कोई भी सदस्य अपनी "लक्ष्मण रेखा" पार करने की जुर्रत न करे।