जापान के 'जनता के सम्राट' अकिहितो हुए 92 साल के—दिल की बीमारी को दी मात, शांति और विज्ञान के लिए आज भी धड़कता है दिलफोटो : Reuters
टोक्यो/नई दिल्ली, दिनांक: 23 दिसंबर 2025 — आधुनिक जापान के इतिहास में सबसे प्रिय और सम्मानित हस्तियों में से एक, पूर्व सम्राट अकिहितो (Akihito) ने मंगलवार को अपना 92वां जन्मदिन मनाया। 'गुलदाउदी सिंहासन' (Chrysanthemum Throne) को त्यागकर साधारण जीवन जीने का ऐतिहासिक फैसला लेने वाले अकिहितो का यह जन्मदिन न केवल उनके परिवार के लिए, बल्कि पूरे जापानी समाज के लिए राहत और खुशी का क्षण है।
शाही महल (Imperial Palace) की ओर से जारी आधिकारिक बयान ने देशवासियों की चिंताओं को दूर करते हुए पुष्टि की है कि पूर्व सम्राट की हृदय स्थिति अब 'स्थिर' है। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनकी सक्रियता और विज्ञान के प्रति उनका जुनून युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
स्वास्थ्य बुलेटिन: नई दवा ने किया कमाल
इस साल की शुरुआत में सम्राट एमेरिटस (Emperor Emeritus) के स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई थीं। शाही परिवार एजेंसी (IHA) ने एक विस्तृत बयान जारी कर बताया:
- मई में निदान: नियमित जांच के दौरान मई महीने में पता चला था कि अकिहितो के हृदय की मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह अपर्याप्त (Insufficient Blood Flow) हो रहा है। यह एक गंभीर स्थिति थी जिसे चिकित्सकीय भाषा में 'हृदय विफलता' (Heart Failure) के लक्षण माना जा सकता है।
- जुलाई से सुधार: चिकित्सकों ने जुलाई में उन्हें एक नई दवा (New Medication) देना शुरू किया। इसका परिणाम सकारात्मक रहा और तब से उनकी स्थिति में लगातार सुधार देखा गया है। फिलहाल, उनकी हालत पूरी तरह स्थिर है और वे सामान्य दिनचर्या का पालन कर रहे हैं।
जन्मदिन का जश्न: परिवार और प्रधानमंत्री के साथ
अकिहितो, जिन्होंने 2019 में पदत्याग के बाद से 'सम्राट एमेरिटस' की उपाधि धारण की है, ने अपना यह विशेष दिन सादगी और गरिमा के साथ मनाया।
- समारोह: उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों, जिनमें वर्तमान सम्राट नारुहितो (Emperor Naruhito) और महारानी मसाको शामिल हैं, के साथ जन्मदिन मनाया।
- वीआईपी मेहमान: जापान की प्रधानमंत्री सनाए ताकाइची (Sanae Takaichi) सहित कई विशिष्ट अतिथियों ने महल में जाकर उन्हें शुभकामनाएं दीं। यह मुलाकात जापान की परंपरा और आधुनिक राजनीति के संगम को दर्शाती है।
92 साल की उम्र में भी 'वैज्ञानिक' अकिहितो
अकिहितो का व्यक्तित्व केवल राजशाही तक सीमित नहीं है; वे एक प्रतिष्ठित जीवविज्ञानी (Biologist) भी हैं। उम्र के नौवें दशक में भी उनकी वैज्ञानिक जिज्ञासा शांत नहीं हुई है।
- गोबी मछली पर शोध: एजेंसी ने बताया कि उन्हें आज भी गोबी मछली (Goby Fish) पर वैज्ञानिक शोध करना बेहद पसंद है। यह उनका जीवन भर का जुनून रहा है।
- 10 नई प्रजातियां: अपने शोध करियर के दौरान, उन्होंने गोबी मछली की 10 नई प्रजातियों की खोज की है, जो एक वैज्ञानिक के रूप में उनकी बड़ी उपलब्धि है।
- लैब का दौरा: अपनी उम्र और स्वास्थ्य चुनौतियों के बावजूद, वे सप्ताह में कम से कम दो बार महल परिसर में स्थित जीव विज्ञान प्रयोगशाला (Biology Lab) का दौरा करते हैं और माइक्रोस्कोप के साथ समय बिताते हैं।
युद्ध के घाव और शांति का संदेश
वर्ष 2025 जापान के लिए एक और कारण से महत्वपूर्ण रहा—यह द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति की 80वीं वर्षगांठ थी। अकिहितो को जापान के युद्धकालीन अतीत के लिए प्रायश्चित करने और शांति का संदेश फैलाने के लिए जाना जाता है।
- प्रार्थना: इस वर्ष उन्होंने बार-बार युद्ध के पीड़ितों और उन लोगों के लिए प्रार्थना की जिन्होंने उस दौर की कठिनाइयों का सामना किया। उनका स्पष्ट मानना है कि उनके पिता, सम्राट हिरोहितो के नाम पर लड़ा गया वह युद्ध और उसकी विभीषिका को कभी भुलाया नहीं जाना चाहिए।
- मौन श्रद्धांजलि: अकिहितो और उनकी पत्नी, महारानी एमेरिटा मिचिको ने युद्ध की चार महत्वपूर्ण तिथियों पर मौन रखा:
- ओकिनावा की लड़ाई का अंत
- हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी
- नागासाकी पर परमाणु बमबारी
- जापान के आत्मसमर्पण का दिन (15 अगस्त)
कारुइज़ावा की यादें: अगस्त में, इस शाही जोड़े ने मध्य जापान के कारुइज़ावा (Karuizawa) स्थित एक रिसॉर्ट का दौरा किया। यह जगह उनके लिए भावनात्मक रूप से बहुत खास है। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बचपन में उन्हें यहीं शरण दी गई थी ताकि वे बमबारी से बच सकें। संयोग से, वर्षों बाद इसी जगह पर एक टेनिस कोर्ट में अकिहितो और मिचिको के बीच प्रेम संबंध की शुरुआत हुई थी, जिसने जापान के शाही इतिहास में पहली बार एक आम नागरिक से विवाह का मार्ग प्रशस्त किया था।
ऐतिहासिक पदत्याग: 200 साल में पहली बार
अकिहितो का नाम इतिहास में इसलिए भी दर्ज है क्योंकि 30 अप्रैल 2019 को उन्होंने स्वेच्छा से सिंहासन त्याग दिया था। पिछले 200 वर्षों में ऐसा करने वाले वे पहले जापानी सम्राट बने। उन्होंने अपनी बढ़ती उम्र और गिरते स्वास्थ्य का हवाला देते हुए यह जिम्मेदारी अपने बेटे नारुहितो को सौंपी थी। उनका यह कदम जापानी राजशाही को आधुनिक और मानवीय बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना गया। उन्होंने अपने शासनकाल (हेisei युग) को "शांति प्राप्त करने" के युग के रूप में परिभाषित किया था।
हमारी राय
पूर्व सम्राट अकिहितो का जीवन राजशाही की चकाचौंध से परे मानवीय मूल्यों, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और शांति के प्रति समर्पण की एक अद्भुत मिसाल है। 92 साल की उम्र में जब शरीर साथ छोड़ रहा है, तब भी उनका मन प्रयोगशाला में नई खोजों और दुनिया के लिए शांति की प्रार्थनाओं में लगा है।
The Trending People का मानना है कि अकिहितो का 'प्रायश्चित' का भाव और युद्ध को न भूलने की अपील आज की दुनिया के लिए बेहद प्रासंगिक है, जहां फिर से युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं। उनका जीवन सिखाता है कि पद से बड़ा 'व्यक्तित्व' होता है। एक सम्राट जिसने जनता के लिए घुटनों पर बैठकर उनका दुख बांटा (जैसे 2011 की सुनामी के बाद), वह इतिहास की किताबों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में राज करता है। हम उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं।