बांग्लादेश में फिर 'तख्तापलट' की आहट—इंकलाब मंच का खुला अल्टीमेटम, "उस्मान के कातिल नहीं मिले तो उखाड़ फेंकेंगे यूनुस सरकार"
ढाका/नई दिल्ली — बांग्लादेश की राजनीति में एक बार फिर बवंडर उठने के आसार हैं। शेख हसीना की लौह सरकार के पतन के बाद देश की कमान संभालने वाले नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) अब खुद एक बड़े अस्तित्व के संकट के मुहाने पर खड़े हैं। विडंबना देखिए कि जिस छात्र शक्ति और क्रांतिकारी संगठनों ने उन्हें 'उम्मीद की किरण' मानकर सत्ता के शीर्ष पर बैठाया था, अब वही संगठन उनके तख्तापलट की तैयारी कर रहे हैं।
ढाका की सड़कों पर तनाव फिर से चरम पर है। इंकलाब मंच (Inqilab Manch), जो हालिया क्रांति का एक प्रमुख चेहरा रहा है, ने यूनुस सरकार को सीधी चेतावनी दे दी है। उनका संदेश साफ है— "अगर उस्मान हादी के कातिल नहीं पकड़े गए, तो यूनुस को जाना होगा।"
कातिलों की गिरफ्तारी नहीं, तो सरकार नहीं: आर-पार की लड़ाई
इंकलाब मंच के प्रवक्ता और प्रमुख युवा नेता उस्मान हादी (Usman Hadi) की कुछ दिनों पहले हुई निर्मम हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। हादी उन चेहरों में से एक थे जिन्होंने बांग्लादेश में बदलाव की बयार लाने में अहम भूमिका निभाई थी। उनकी हत्या के बाद इंकलाब मंच ने सरकार को अपराधियों को पकड़ने के लिए एक निश्चित समय-सीमा (Deadline) दी थी।
- समय सीमा समाप्त: वह समय-सीमा अब समाप्त हो चुकी है, लेकिन दो हफ्ते बीत जाने के बाद भी ढाका पुलिस के हाथ खाली हैं।
- उग्र हुआ मंच: कातिलों का कोई सुराग न मिलने से नाराज इंकलाब मंच ने अब आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। सोमवार को हुई पदाधिकारियों की एक बड़ी आपातकालीन बैठक में सरकार को साफ अल्टीमेटम दिया गया।
- तल्ख टिप्पणी: प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंच के नेताओं ने एक सुर में कहा, "उस्मान हादी की हत्या के मामले में अगर तुरंत न्याय नहीं मिला, तो इंकलाब मंच अंतरिम सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आंदोलन शुरू करेगा। हम सरकार बनाना जानते हैं, तो सरकार गिराना भी हमें आता है।"
यूनुस के लिए बज गई खतरे की घंटी
यह बयान मोहम्मद यूनुस के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। बांग्लादेश का हालिया इतिहास गवाह है कि जब वहां के छात्र और युवा संगठन किसी मुद्दे पर एकमत हो जाते हैं, तो बड़ी से बड़ी सत्ताएं भी नहीं टिक पातीं। शेख हसीना का जाना इसका सबसे ताजा उदाहरण है।
इंकलाब मंच का आरोप है कि डॉ. यूनुस की सरकार, जिसे 'कानून का राज' स्थापित करने के वादे के साथ लाया गया था, वह अपने ही समर्थकों और क्रांति के नायकों की सुरक्षा करने में विफल रही है। यह विश्वासघात जैसा महसूस हो रहा है।
गृह सलाहकार और पुलिस प्रशासन कटघरे में
इंकलाब मंच का गुस्सा केवल डॉ. यूनुस तक सीमित नहीं है, बल्कि उनकी नाराजगी विशेष रूप से गृह मंत्रालय और पुलिस प्रशासन पर है।
- प्रशासनिक विफलता: संगठन ने अपने बयान में कहा कि समय-सीमा बीत जाने के बावजूद गृह सलाहकार या संबंधित अधिकारियों की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
- संदेह के घेरे में पुलिस: प्रदर्शनकारियों का दावा है कि उस्मान हादी के हत्यारों के बारे में सुराग होने के बावजूद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी है।
- गंभीर आरोप: मंच ने सवाल उठाया है— "क्या प्रशासन के भीतर अब भी पुराने शासन (हसीना सरकार) के वफादार बैठे हैं जो जानबूझकर जांच को भटका रहे हैं? या फिर मौजूदा सरकार अपराधियों के सामने घुटने टेक चुकी है?"
मंच के सदस्यों का तर्क है कि जब उस्मान हादी जैसा प्रमुख चेहरा सुरक्षित नहीं है, जिसे पूरा देश जानता था, तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? यह विफलता सीधे तौर पर अंतरिम सरकार की प्रशासनिक अक्षमता (Administrative Incompetence) को दर्शाती है।
क्या फिर जल उठेगा बांग्लादेश? (Arajakta Returns?)
इंकलाब मंच की धमकी को महज कोरी बयानबाजी नहीं माना जा सकता। उस्मान हादी की हत्या के बाद से युवाओं में जो आक्रोश सुलग रहा है, वह कभी भी एक बड़े जन-आंदोलन का रूप ले सकता है।
रणनीति: इंकलाब मंच ने अपनी रणनीति स्पष्ट कर दी है। यदि हत्यारे जल्द नहीं पकड़े गए, तो वे:
- सरकारी कामकाज को पूरी तरह ठप कर देंगे।
- ढाका में शक्ति प्रदर्शन करेंगे और प्रमुख सरकारी इमारतों (जैसे सचिवालय) का घेराव करेंगे।
- यूनुस सरकार के खिलाफ देशव्यापी असहयोग अभियान चलाएंगे।
बांग्लादेश की राजनीति के जानकारों का मानना है कि अगर इंकलाब मंच सड़कों पर उतरता है, तो अन्य असंतुष्ट समूह भी उनके साथ जुड़ सकते हैं। इससे देश में फिर से वही अराजकता का माहौल बन जाएगा, जो अगस्त में देखा गया था। ऐसी स्थिति से निपटना यूनुस सरकार के लिए 'लोहे के चने चबाने' जैसा होगा, क्योंकि उनके पास न तो कोई राजनीतिक जनाधार है और न ही सुरक्षा बलों पर पूरी पकड़।
हमारी राय
बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह 'क्रांति' के बाद की अराजकता (Post-Revolution Chaos) का एक क्लासिक उदाहरण है। मोहम्मद यूनुस को सत्ता तो मिल गई, लेकिन वे 'सिस्टम' को नियंत्रित करने में विफल साबित हो रहे हैं। उस्मान हादी की हत्या की गुत्थी न सुलझा पाना उनकी प्रशासनिक कमजोरी का सबूत है।
The Trending People का मानना है कि अगर इंकलाब मंच अपनी धमकी पर अमल करता है, तो बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा और अस्थिरता के गहरे गर्त में चला जाएगा। यह न केवल बांग्लादेश के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के लिए चिंता का विषय है। एक कमजोर सरकार और सड़क पर फैसले करती भीड़—यह लोकतंत्र नहीं, बल्कि 'भीड़तंत्र' (Mobocracy) है। यूनुस सरकार के पास अब बहुत कम समय बचा है; उन्हें या तो न्याय देना होगा या सत्ता छोड़नी होगी।