भारत की दहाड़ से 'लाइन' पर आई यूनुस सरकार—चटगांव में तिरंगे के अपमान का बदला शुरू, 3 मास्टरमाइंड की हुई पहचान
ढाका/नई दिल्ली — बांग्लादेश में हिंदुओं और भारतीय प्रतिष्ठानों पर हो रहे हमलों पर अब तक खामोश बैठी मोहम्मद यूनुस (Muhammad Yunus) की अंतरिम सरकार की नींद आखिरकार टूट गई है। चटगांव (Chittagong) में भारतीय सहायक उच्चायुक्त (Assistant High Commissioner) के आवास पर हुए कायराना हमले और तोड़फोड़ के मामले में भारत के सख्त कूटनीतिक दबाव का असर दिखने लगा है। नई दिल्ली की ओर से दिखाई गई 'लाल आंख' के बाद ढाका प्रशासन हरकत में आया है और पुलिस ने हमले के तीन मुख्य मास्टरमाइंड्स की पहचान कर लेने का दावा किया है।
यह कार्रवाई बताती है कि जब भारत अपनी कूटनीतिक ताकत का इस्तेमाल करता है, तो पड़ोसी मुल्क में सत्ता के गलियारों में कैसे हड़कंप मच जाता है। यूनुस सरकार, जो अब तक इन घटनाओं को नजरअंदाज कर रही थी, अब बैकफुट पर है और डैमेज कंट्रोल में जुटी है।
सीसीटीवी फुटेज ने खोले राज: 3 चेहरे हुए बेनकाब
बांग्लादेश पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों ने दावा किया है कि उन्होंने चटगांव में अशांति फैलाने और भारतीय आवास को निशाना बनाने वाले तीन मुख्य आरोपियों की पहचान कर ली है।
वीडियो साक्ष्य: अधिकारियों के मुताबिक, घटना के वक्त के वीडियो फुटेज और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग को बारीकी से खंगालने के बाद इन तीन चेहरों को चिह्नित (Marked) किया गया है।
छापेमारी शुरू: इन संदिग्धों की गिरफ्तारी के लिए चटगांव और आसपास के इलाकों में विशेष टीमों द्वारा छापेमारी की जा रही है। पुलिस का कहना है कि ये लोग भीड़ को उकसाने और पत्थरबाजी का नेतृत्व करने में सबसे आगे थे।
भारत का 'अल्टीमेटम' और यूनुस की टूटी चुप्पी
इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण पहलू भारत सरकार का रुख रहा। चटगांव की घटना के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बेहद कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी जाहिर की थी। भारत ने साफ कर दिया था कि राजनयिकों और उनके परिसरों की सुरक्षा में चूक किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसे 'वियना कन्वेंशन' का खुला उल्लंघन माना गया।
दबाव का असर: भारत के इस सख्त संदेश और बढ़ते वैश्विक दबाव के बाद ही मोहम्मद यूनुस को सफाई देने के लिए सामने आना पड़ा। जो यूनुस अब तक इन घटनाओं पर मौन थे, उन्होंने अब कहा है कि सुरक्षा पर कोई समझौता नहीं होगा।
कानून-व्यवस्था का हवाला: यूनुस सरकार अब इसे कानून-व्यवस्था (Law and Order) का मामला बताकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन पर लापरवाही और मिलीभगत के गंभीर आरोप लग रहे हैं।
सुरक्षा में सेंध या मिलीभगत?
चटगांव में सहायक उच्चायुक्त का आवास एक अति-सुरक्षित (High Security) क्षेत्र माना जाता है। सवाल यह है कि इतनी कड़ी सुरक्षा के बावजूद उपद्रवियों की भीड़ वहां तक कैसे पहुंची?
इंटेलिजेंस फेलियर: क्या सुरक्षा एजेंसियों को इतनी बड़ी भीड़ के जमा होने की भनक नहीं थी?
पुलिस की भूमिका: चश्मदीदों के मुताबिक, जब भीड़ गेट तोड़ रही थी और पत्थरबाजी कर रही थी, तो वहां मौजूद पुलिसबल मूकदर्शक बना रहा।
योजनाबद्ध हमला: यह कोई अचानक भड़का गुस्सा नहीं था, बल्कि एक सोची-समझी साजिश नजर आती है जिसका मकसद भारत को उकसाना और बांग्लादेश में मौजूद भारतीय समुदाय में खौफ पैदा करना था।
क्या यह कार्रवाई सिर्फ दिखावा है? (Eyewash?)
भले ही तीन लोगों की पहचान का दावा किया गया हो, लेकिन विश्लेषकों के मन में कई सवाल हैं। क्या ये गिरफ्तारियां सिर्फ भारत के गुस्से को शांत करने के लिए एक 'दिखावा' हैं?
असली गुनहगार कौन? अक्सर ऐसी घटनाओं में पुलिस कुछ प्यादों को गिरफ्तार कर मामले को रफा-दफा कर देती है, जबकि असली मास्टरमाइंड और उन्हें उकसाने वाले कट्टरपंथी नेता खुले घूमते रहते हैं।
हिंदुओं पर हमले जारी: चटगांव की घटना कोई अपवाद नहीं है। देश भर में अल्पसंख्यक हिंदुओं और उनके मंदिरों पर हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। इस्कॉन (ISKCON) पुजारियों की गिरफ्तारी और अब राजनयिक आवास पर हमला—यह एक खतरनाक पैटर्न को दर्शाता है।
यूनुस सरकार की विश्वसनीयता संकट में
नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस से उम्मीद थी कि वे बांग्लादेश में लोकतंत्र और शांति लाएंगे, लेकिन उनके कार्यकाल में भारत विरोधी भावनाएं (Anti-India Sentiments) चरम पर हैं। चटगांव की घटना ने यह साबित कर दिया है कि या तो यूनुस सरकार का कट्टरपंथियों पर कोई नियंत्रण नहीं है, या फिर वे जानबूझकर उन्हें शह दे रहे हैं। भारत के दबाव में की गई यह कार्रवाई उनकी साख बचाने की एक कोशिश भर है।
हमारी राय
भारत सरकार की सख्ती ने यह साबित कर दिया है कि कूटनीति में कभी-कभी 'नरमी' को 'कमजोरी' समझ लिया जाता है। चटगांव मामले में भारत का आक्रामक रुख बिल्कुल सही समय पर उठाया गया कदम है।
The Trending People का मानना है कि महज तीन लोगों की पहचान या गिरफ्तारी से भारत को संतुष्ट नहीं होना चाहिए। यह समस्या जड़ से खत्म होनी चाहिए। यूनुस सरकार को यह समझना होगा कि भारत के साथ अच्छे रिश्ते बांग्लादेश के अस्तित्व और विकास के लिए ऑक्सीजन की तरह हैं। अगर वे अपनी धरती पर भारत विरोधी तत्वों को पालेंगे, तो इसकी आंच अंततः उनके अपने घर (बांग्लादेश) को भी जला देगी। भारत को तब तक दबाव बनाए रखना चाहिए जब तक कि इन हमलों के पीछे के असली षड्यंत्रकारियों को सजा नहीं मिल जाती और हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं हो जाती।