भारत-न्यूजीलैंड FTA पर मुहर—20 अरब डॉलर के निवेश का रास्ता साफ, एक्सपर्ट्स बोले- 'डेयरी और खेती के लिए गेमचेंजर'भारत-न्यूजीलैंड - फोटो : The Trending People
नई दिल्ली, दिनांक: 23 दिसंबर 2025 — भारत की आर्थिक कूटनीति के लिए 2025 का अंत एक बड़ी खुशखबरी के साथ हो रहा है। लंबी बातचीत और कई दौर की वार्ताओं के बाद, भारत और न्यूजीलैंड ने एक ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (Free Trade Agreement - FTA) की वार्ताओं के सफल समापन की घोषणा कर दी है। 22 दिसंबर को हुई इस घोषणा ने व्यापारिक गलियारों में उत्साह भर दिया है। इस समझौते के अगले वर्ष आधिकारिक रूप से हस्ताक्षरित होकर लागू होने की प्रबल संभावना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता केवल कागजी दस्तावेज नहीं, बल्कि भारत के निर्यात में विविधता लाने (Diversification) और विदेशी निवेश को आकर्षित करने की दिशा में एक 'मास्टरस्ट्रोक' साबित होगा। दोनों देशों ने अगले 15 वर्षों में करीब 20 अरब डॉलर का निवेश आकर्षित करने और अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 5 अरब डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है।
निर्यातकों के लिए 'बंपर' सौगात: 100% टैरिफ-मुक्त पहुंच
इस समझौते का सबसे बड़ा आकर्षण भारतीय निर्यातकों के लिए न्यूजीलैंड के बाजार के दरवाजे पूरी तरह खुलना है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन्स (FIEO) के अध्यक्ष एससी रल्हान ने इस कदम का स्वागत करते हुए कहा कि एफटीए लागू होते ही भारत के 100 प्रतिशत निर्यात को न्यूजीलैंड में 'शून्य शुल्क' (Zero Duty) पर पहुंच मिलेगी।
प्रतिस्पर्धात्मकता: रल्हान के अनुसार, "सभी टैरिफ लाइनों पर शुल्क समाप्त होने से न्यूजीलैंड के बाजार में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता (Competitiveness) कई गुना बढ़ जाएगी। चीन और अन्य एशियाई देशों के मुकाबले भारतीय सामान अब वहां सस्ता और आकर्षक होगा।"
रोजगार सृजन: इसका सीधा फायदा भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों (Labor-intensive sectors) जैसे टेक्सटाइल, लेदर और जेम्स एंड ज्वैलरी को मिलेगा, जिससे देश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
डेयरी और कृषि: तकनीक और निवेश का संगम
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ और हाई-टेक गियर्स (Hi-Tech Gears) के चेयरमैन दीप कपूरिया ने इस समझौते को भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए एक 'गेमचेंजर' करार दिया है। उनका मानना है कि न्यूजीलैंड की विशेषज्ञता भारत की खेती की तस्वीर बदल सकती है।
कपूरिया ने विश्लेषण करते हुए कहा:
"न्यूजीलैंड से आने वाला संभावित 20 अरब डॉलर का निवेश मुख्य रूप से डेयरी, कृषि और बुनियादी ढांचे में जाएगा। कीवी, सेब और डेयरी उत्पादों में न्यूजीलैंड की तकनीक विश्वस्तरीय है। यह तकनीक जब भारतीय खेतों तक पहुंचेगी, तो हमारी उत्पादकता (Productivity) में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।"
विशेषज्ञों का मानना है कि यह साझेदारी भारत को 'कोल्ड चेन इंफ्रास्ट्रक्चर' विकसित करने में भी मदद करेगी, जिससे फलों और सब्जियों की बर्बादी कम होगी। इसके अलावा, सेवाओं के क्षेत्र (Services Sector) में भी भारत को अतिरिक्त लाभ मिलने की उम्मीद है।
दूसरा पहलू: थिंक टैंक की चेतावनी और सुझाव
जहां उद्योग जगत उत्साहित है, वहीं आर्थिक थिंक टैंक जीटीआरआई (GTRI) ने एक संतुलित और सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है। एजेंसी का मानना है कि केवल एफटीए साइन कर लेने से ही रातों-रात चमत्कार नहीं होगा, क्योंकि फिलहाल दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का स्तर काफी सीमित है।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, "केवल एफटीए से ही भारत-न्यूजीलैंड आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता (Potential) नहीं खुल पाएगी। हमें माल व्यापार (Goods Trade) से आगे सोचना होगा।"
जीटीआरआई के प्रमुख सुझाव:
- उत्पाद विविधीकरण: न्यूजीलैंड मौजूदा 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) शुल्क दरों पर भी भारत को डेयरी और बागवानी उत्पाद बेच सकता है। भारत को अपने फार्मास्यूटिकल्स (दवाइयां), वस्त्र और आईटी सेवाओं के निर्यात को विस्तार देने पर फोकस करना चाहिए।
- सेवा क्षेत्र पर जोर: श्रीवास्तव ने कहा कि असली खजाना सेवाओं में छिपा है। शिक्षा, पर्यटन और विमानन प्रशिक्षण (Aviation Training) जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं हैं। न्यूजीलैंड भारतीय छात्रों के लिए एक बड़ा हब बन सकता है, जबकि भारतीय आईटी पेशेवर वहां की कंपनियों को डिजिटल कर सकते हैं।
भविष्य की राह: 5 अरब डॉलर का लक्ष्य
सोमवार को जारी संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों देशों का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में वस्तुओं व सेवाओं में द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना कर 5 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। यह लक्ष्य सुनने में बड़ा लग सकता है, लेकिन अगर लॉजिस्टिक्स और नॉन-टैरिफ बैरियर्स (NTBs) को हटा दिया जाए, तो यह हासिल करना मुश्किल नहीं है।
भारत के लिए यह एफटीए प्रशांत क्षेत्र (Pacific Region) में अपनी पैठ बढ़ाने का भी एक रणनीतिक जरिया है। न्यूजीलैंड के साथ मजबूत संबंध ऑस्ट्रेलिया और अन्य प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ व्यापारिक रास्तों को और सुगम बनाएंगे।
हमारी राय
भारत-न्यूजीलैंड एफटीए एक संतुलित और भविष्योन्मुखी समझौता नजर आता है। जहां भारत को अपने सेवा क्षेत्र और कुशल पेशेवरों के लिए एक नया बाजार मिल रहा है, वहीं न्यूजीलैंड को भारत के विशाल उपभोक्ता बाजार तक पहुंच मिल रही है।
The Trending People का मानना है कि इस समझौते का सबसे संवेदनशील पहलू 'डेयरी सेक्टर' होगा। भारत में डेयरी लाखों छोटे किसानों की आजीविका है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि न्यूजीलैंड से आने वाले डेयरी प्रोडक्ट्स हमारे स्थानीय किसानों के हितों को नुकसान न पहुंचाएं। यदि हम न्यूजीलैंड की 'तकनीक' लेते हैं और अपना 'तैयार माल' बेचते हैं, तो यह सौदा भारत के लिए मील का पत्थर साबित होगा। जीटीआरआई का सुझाव सही है कि हमें शिक्षा और पर्यटन जैसे नए क्षेत्रों में भी 'ब्रिज' बनाने होंगे, तभी 20 अरब डॉलर के निवेश का सपना हकीकत बन पाएगा।

