स्टेट डेस्क: अमेठी में सियासी भूचाल—वोटर लिस्ट से 'गायब' मिले पौने तीन लाख मतदाता, प्रशासन के सत्यापन में खुला चौंकाने वाला सचImage: News18
अमेठी — उत्तर प्रदेश की हाई-प्रोफाइल सीट और सियासी अखाड़ा माने जाने वाले अमेठी (Amethi) जिले से एक बेहद चौंकाने वाली खबर सामने आई है। यहाँ चल रहे मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision - SIR) अभियान के दौरान जो आंकड़े निकलकर आए हैं, उन्होंने न केवल जिला प्रशासन बल्कि राजनीतिक दलों की भी नींद उड़ा दी है। निर्वाचन आयोग के निर्देश पर चल रही इस प्रक्रिया में यह खुलासा हुआ है कि जिले के लगभग पौने तीन लाख (2.75 लाख) मतदाता अपने पंजीकृत पते पर मौजूद ही नहीं हैं।
यह आंकड़ा कोई छोटा-मोटा नहीं है, बल्कि जिले के कुल मतदाताओं का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। इस खुलासे के बाद से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा हुआ है और मतदाता सूची की शुद्धता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
क्या है पूरा मामला? आंकड़ों की जुबानी
अमेठी जिले में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 14 लाख 36 हजार 528 है। चुनाव आयोग के निर्देश पर बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन (Door-to-Door Verification) किया जा रहा है। अब तक जिले में 86 फीसदी से अधिक डेटा की मैपिंग पूरी हो चुकी है, और इसी दौरान यह बड़ा 'घोटाला' या कहें 'विसंगति' पकड़ में आई है।
जांच में कुल 2,74,948 मतदाता ऐसे पाए गए हैं जिन्हें एएसडी (Absent, Shifted, Dead) श्रेणी में रखा गया है। यानी ये या तो अपने पते पर नहीं हैं, या कहीं और चले गए हैं, या फिर उनकी मृत्यु हो चुकी है।
आंकड़ों का विस्तृत विश्लेषण:
- शिफ्टेड (Shifted) वोटर्स: सबसे बड़ी संख्या उन मतदाताओं की है जो अमेठी छोड़कर कहीं और बस गए हैं। ऐसे मतदाताओं की संख्या 1 लाख 22 हजार 411 है। बीएलओ ने कई बार इनके पते पर जाकर सत्यापन करने की कोशिश की, लेकिन ये वहां नहीं मिले। सवाल यह है कि अगर ये शिफ्ट हो गए हैं, तो इनका नाम अब तक वोटर लिस्ट में क्यों था?
- अनुपस्थित (Absent) वोटर्स: दूसरे नंबर पर वे मतदाता हैं जो सूची में तो हैं, लेकिन बीएलओ को सत्यापन के दौरान अपने घर पर नहीं मिले। ऐसे 'लापता' मतदाताओं की संख्या 68 हजार 352 है। क्या ये फर्जी वोटर हैं या फिर रोजगार की तलाश में अस्थायी रूप से बाहर गए हैं, यह जांच का विषय है।
- मृतक (Dead) वोटर्स: सबसे चिंताजनक आंकड़ा मृतकों का है। जांच में 56 हजार 139 मतदाता ऐसे मिले हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में वे अभी भी 'जिंदा' हैं और वोटर लिस्ट का हिस्सा बने हुए हैं। इसे सिस्टम की बड़ी लापरवाही माना जा रहा है।
अंतिम चरण में प्रक्रिया और प्रशासन की चुनौती
वोटर लिस्ट का यह विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अब अपने अंतिम चरण (Final Phase) में है। इतनी बड़ी संख्या में संदिग्ध मतदाताओं का मिलना आगामी चुनावों की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है। एक-एक वोट की कीमत वाले लोकतंत्र में पौने तीन लाख वोटों का 'इधर-उधर' होना किसी भी चुनाव परिणाम को पूरी तरह पलट सकता है।
प्रशासनिक अधिकारियों ने इस स्थिति को गंभीरता से लिया है। एएसडी (ASD) श्रेणी में डाले गए इन वोटर्स की सूची को अंतिम रूप देने से पहले प्रशासन फूंक-फूंक कर कदम रख रहा है।
राजनीतिक दलों को सौंपा जिम्मा: अब होगा 'क्रॉस वेरिफिकेशन'
प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि किसी भी वास्तविक मतदाता का नाम गलती से न कट जाए। इसलिए, जिला प्रशासन ने एक पारदर्शी तरीका अपनाते हुए एएसडी (Absent, Shifted, Dead) वोटर्स की यह सूची सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के बूथ लेवल एजेंटों (Booth Level Agents - BLA) को सौंप दी है।
संयुक्त अभियान: बीएलओ (BLO) और राजनीतिक दलों के बीएलए (BLA) के साथ बैठक करके यह फैसला लिया गया है कि सरकारी तंत्र और राजनीतिक दल मिलकर एक बार फिर इन मतदाताओं की जमीनी स्तर पर तलाश करेंगे।
- अगर राजनीतिक दल यह साबित कर देते हैं कि कोई वोटर वास्तव में मौजूद है, तो उसका नाम नहीं काटा जाएगा।
- लेकिन अगर क्रॉस-वेरिफिकेशन में भी वोटर नहीं मिलता है, तो चुनाव आयोग के नियमों के तहत उनका नाम सूची से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। विशेष रूप से 56 हजार से अधिक मृतक मतदाताओं के नाम हटना लगभग तय माना जा रहा है।
लोकतंत्र की सेहत के लिए क्यों जरूरी है यह सफाई?
अमेठी हमेशा से राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिला रहा है। गांधी परिवार का गढ़ माने जाने वाले इस क्षेत्र में अब स्मृति ईरानी और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर रहती है। ऐसे में 'बोगस वोटिंग' (Bogus Voting) की आशंकाओं को खत्म करने के लिए वोटर लिस्ट का शुद्ध होना बेहद जरूरी है।
मृतक और शिफ्टेड वोटर्स के नाम सूची में होने से फर्जी मतदान की संभावना बनी रहती है। अक्सर चुनावों के दौरान राजनीतिक दल एक-दूसरे पर फर्जी वोटिंग के आरोप लगाते हैं। इस सफाई अभियान से उम्मीद है कि भविष्य के चुनावों में ऐसी शिकायतों में कमी आएगी।
हमारी राय
अमेठी में पौने तीन लाख मतदाताओं का अता-पता न होना प्रशासनिक तंत्र की सुस्ती और पिछले वर्षों में हुए लापरवाही की पोल खोलता है। 56 हजार से ज्यादा मृतकों का नाम सूची में होना यह बताता है कि नियमित अपडेशन की प्रक्रिया में कहीं न कहीं बड़ी चूक हुई है।
The Trending People का मानना है कि चुनाव आयोग का यह विशेष अभियान (SIR) स्वागत योग्य है, लेकिन इसे तार्किक परिणति तक पहुँचाना होगा। प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि 'सफाई' के नाम पर किसी गरीब या प्रवासी मजदूर का नाम न कट जाए जो रोजगार के लिए अस्थायी रूप से बाहर है। राजनीतिक दलों को भी इस प्रक्रिया में सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए ताकि लोकतंत्र की नींव यानी 'वोटर लिस्ट' पूरी तरह दोषमुक्त हो सके। एक साफ-सुथरी वोटर लिस्ट ही निष्पक्ष चुनाव की पहली गारंटी है।