अदीस अबाबा में पीएम मोदी का 'ग्रैंड वेलकम'—इथियोपियाई प्रधानमंत्री बने 'सारथी', भारत के साथ रिश्तों को मिली नई रणनीतिक ऊँचाईCredit- ANI
अदीस अबाबा/नई दिल्ली — भारतीय कूटनीति के लिए 16 दिसंबर का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इथियोपिया (Ethiopia) दौरा न केवल दो देशों के बीच रिश्तों को प्रगाढ़ करने वाला रहा, बल्कि इसने अफ्रीका महाद्वीप में भारत की स्थिति को एक नई मजबूती प्रदान की है। यह पिछले 15 वर्षों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली इथियोपिया यात्रा थी, जिसे कूटनीतिक हलकों में भारत-अफ्रीका संबंधों का एक 'ऐतिहासिक मोड़' (Historical Turning Point) माना जा रहा है।
अपने इस सफल और यादगार दौरे का समापन कर प्रधानमंत्री मोदी अब अपने अगले पड़ाव, ओमान (Oman) के लिए रवाना हो चुके हैं, लेकिन पीछे छोड़ गए हैं दोस्ती और साझेदारी की एक नई इबारत।
जब प्रोटोकॉल टूटा और पीएम अबिय अहमद ने संभाली ड्राइविंग सीट
इस दौरे की सबसे चर्चित और दिल को छू लेने वाली तस्वीर वह थी जब इथियोपिया के प्रधानमंत्री डॉ. अबिय अहमद अली (Dr. Abiy Ahmed Ali) ने प्रोटोकॉल की परवाह किए बिना अपने 'दोस्त' मोदी के लिए सारथी की भूमिका निभाई।
गर्मजोशी भरा स्वागत: पीएम मोदी जब अदीस अबाबा पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर उनका स्वागत बेहद गर्मजोशी और व्यक्तिगत अंदाज में किया गया। पीएम अबिय अहमद ने न केवल उनकी अगवानी की, बल्कि खुद इलेक्ट्रिक कार की ड्राइविंग सीट संभाली और पीएम मोदी को बगल में बैठाकर एयरपोर्ट से होटल तक ले गए।
भावुक विदाई: यह सिलसिला यहीं नहीं रुका। जब पीएम मोदी की वापसी का समय आया, तो एक बार फिर इथियोपियाई पीएम ने स्टेयरिंग संभाली और उन्हें प्लेन तक छोड़ने आए।
यह दृश्य केवल एक शिष्टाचार नहीं था, बल्कि यह दोनों नेताओं के बीच व्यक्तिगत केमिस्ट्री और भारत-इथियोपिया के बीच गहरे होते विश्वास का प्रतीक था। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में ऐसे व्यक्तिगत जेस्चर (Personal Gestures) अक्सर समझौतों से ज्यादा असरदार होते हैं।
रणनीतिक साझेदारी: विकास से आगे बढ़कर सुरक्षा तक
प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री डॉ. अबिय अहमद अली के बीच हुई उच्चस्तरीय द्विपक्षीय वार्ता का सबसे बड़ा परिणाम रिश्तों के स्तर में बदलाव रहा। दोनों नेताओं ने भारत और इथियोपिया के संबंधों को औपचारिक रूप से 'रणनीतिक साझेदारी' (Strategic Partnership) का दर्जा देने का ऐलान किया।
इसका अर्थ है कि अब दोनों देशों का सहयोग सिर्फ अस्पतालों या सड़कों के निर्माण जैसी विकास परियोजनाओं (Development Projects) तक सीमित नहीं रहेगा। अब यह दायरा विस्तृत होकर:
- रक्षा और सुरक्षा: आतंकवाद से निपटने और समुद्री सुरक्षा में सहयोग।
- तकनीक और डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत के UPI और डिजिटल स्टैक जैसे मॉडल्स को साझा करना।
- व्यापार और आर्थिक मजबूती: द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाना और निवेश के नए रास्ते खोलना।
ग्लोबल साउथ की आवाज़ और BRICS का नया साथी
इस दौरे का समय (Timing) बेहद महत्वपूर्ण है। इथियोपिया अब केवल एक अफ्रीकी देश नहीं है, बल्कि वह BRICS समूह का नया सदस्य भी बन चुका है। इसके अलावा, अदीस अबाबा अफ्रीकी संघ (African Union) का मुख्यालय भी है, जिसे जी-20 में शामिल कराने में भारत ने अहम भूमिका निभाई थी।
- समानता की साझेदारी: भारत ने इस दौरे के जरिए यह संदेश दिया है कि उसकी नीति 'दाता और प्राप्तकर्ता' (Donor-Recipient) वाली नहीं, बल्कि बराबरी और साझा मूल्यों पर आधारित है। भारत ने खुद को 'ग्लोबल साउथ' (Global South) के एक भरोसेमंद साझेदार के रूप में पेश किया है, जो संकट के समय सबसे पहले मदद के लिए आगे आता है।
हॉर्न ऑफ अफ्रीका: भारत की कूटनीतिक बढ़त
भू-राजनीतिक (Geopolitical) नज़रिए से देखें तो इथियोपिया के साथ मजबूत रिश्ते भारत को हॉर्न ऑफ अफ्रीका (Horn of Africa) क्षेत्र में एक बड़ी रणनीतिक बढ़त देते हैं।
- रेड सी (Red Sea) की सुरक्षा: यह क्षेत्र लाल सागर और हिंद महासागर के व्यापारिक मार्गों के मुहाने पर स्थित है। समुद्री व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा के लिहाज से यह बेहद संवेदनशील इलाका है। यहाँ भारत की मजबूत उपस्थिति न केवल हमारे व्यापारिक हितों की रक्षा करेगी, बल्कि चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने में भी मददगार साबित होगी।
ओमान के लिए रवानगी: पश्चिम एशिया पर नज़र
इथियोपिया में अपनी सफल कूटनीतिक पारी खेलने के बाद, प्रधानमंत्री मोदी अब ओमान के लिए रवाना हो चुके हैं। ओमान के साथ भारत के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं और खाड़ी देशों में भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए ओमान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। इथियोपिया के बाद ओमान का दौरा यह दर्शाता है कि भारत अपनी विदेश नीति में अफ्रीका और पश्चिम एशिया (West Asia) के बीच एक संतुलन बनाकर चल रहा है।
हमारी राय
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इथियोपिया दौरा कूटनीति की पाठ्यपुस्तकों में एक उदाहरण के रूप में याद रखा जाएगा। 15 साल के लंबे अंतराल के बाद किसी भारतीय पीएम का वहां जाना ही अपने आप में एक संदेश था कि भारत अफ्रीका को भूल नहीं है। पीएम अबिय अहमद का उन्हें खुद ड्राइव करके ले जाना यह बताता है कि भारत की 'सॉफ्ट पावर' और मोदी का 'पर्सनल टच' वैश्विक मंच पर कितना प्रभावी है।
The Trending People का मानना है कि इथियोपिया के साथ रणनीतिक साझेदारी भारत के लिए एक 'मास्टरस्ट्रोक' है। यह न केवल हमें अफ्रीका के दिल (अफ्रीकी संघ मुख्यालय) तक सीधी पहुंच देता है, बल्कि BRICS में हमारे एक नए सहयोगी को भी मजबूत करता है। अब चुनौती यह होगी कि हम कागजों पर हुए इन समझौतों को कितनी तेजी से जमीन पर उतार पाते हैं, क्योंकि अफ्रीका में प्रतिस्पर्धा अब पहले से कहीं ज्यादा कड़ी है।