भारत-बांग्लादेश रिश्तों में 'कोल्ड वॉर'—वीजा सेवाएं ठप, हिंदुओं पर हमले और यूनुस का अमेरिका को फोन, आखिर कहां जाकर रुकेगा यह तनाव?बांग्लादेश में उपद्रव - फोटो : पीटीआई VIA अमर उजाला
नई दिल्ली/ढाका, दिनांक: 23 दिसंबर 2025 — भारत और उसका सबसे करीबी पड़ोसी माने जाने वाले बांग्लादेश के रिश्ते अपने इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद से जो अविश्वास की खाई खुदनी शुरू हुई थी, वह अब कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी (Usman Hadi) की हत्या और उसके बाद भड़की हिंसा से एक गहरी खाई में तब्दील हो गई है। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो चुकी है कि कूटनीतिक शिष्टाचार दरकिनार हो रहे हैं और दोनों देशों ने एक-दूसरे के नागरिकों के लिए दरवाजे बंद करने (वीजा निलंबन) जैसे कठोर कदम उठा लिए हैं।
मंगलवार को घटनाक्रम तेजी से बदला जब बांग्लादेश ने भारत में अपनी वीजा सेवाएं निलंबित करने का ऐलान कर दिया। इसे भारत द्वारा चटगांव में भारतीय मिशन की सेवाएं रोकने के जवाब में एक 'बदले की कार्रवाई' (Tit-for-Tat) माना जा रहा है।
उस्मान हादी की हत्या: हिंसा का नया ट्रिगर
इस पूरे विवाद के केंद्र में कट्टरपंथी और भारत विरोधी नेता उस्मान हादी की हत्या है। बीते दिनों ढाका में उसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
- आरोप-प्रत्यारोप: बांग्लादेशी कट्टरपंथियों ने बिना किसी सबूत के यह नैरेटिव फैला दिया कि हादी के हत्यारे भागकर भारत चले गए हैं और वहां शरण लिए हुए हैं। हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने खुद स्वीकार किया है कि संदिग्धों के भारत भागने का कोई प्रमाण नहीं है और भारत ने भी इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है।
- अराजकता: इसके बावजूद, हादी की मौत ने कट्टरपंथियों को भारत विरोध का एक और मौका दे दिया, जिससे देश में अराजकता का माहौल है।
हिंदुओं पर नृशंसता: मयमनसिंह में 'लिंचिंग' से दहला विश्व
तनाव के बीच एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा है। उस्मान हादी की मौत के बाद प्रतिशोध की आग में जलते कट्टरपंथियों ने एक बार फिर अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाया।
- बर्बरता: बीते हफ्ते मयमनसिंह (Mymensingh) इलाके में एक हिंदू युवक की ईशनिंदा (Blasphemy) के झूठे आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और बाद में उसके शव को आग के हवाले कर दिया।
- वैश्विक निंदा: इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी गहरी चिंता जताई है। भारत सरकार ने इसे मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन बताते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की है।
'वीजा वॉर' और कूटनीतिक रस्साकशी
रिश्तों में खटास का सबसे बड़ा सबूत 'वीजा सेवाओं' का निलंबन है।
- भारत का कदम: चटगांव में भारतीय मिशन के बाहर हिंसक विरोध प्रदर्शन और राजनयिकों की सुरक्षा पर खतरे को देखते हुए भारत ने वहां अपनी सेवाएं निलंबित कर दी थीं। यह एक सुरक्षात्मक कदम था।
- बांग्लादेश का पलटवार: जवाब में, बांग्लादेश ने भारत में अपनी वीजा सेवाएं बंद करने का ऐलान कर दिया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल बदले की भावना से लिया गया फैसला है, क्योंकि भारत में बांग्लादेशी मिशन सुरक्षित हैं।
- उच्चायुक्त तलब: मामले को और तूल देते हुए बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को ढाका में भारतीय उच्चायुक्त को 'समन' (Summon) भेजा। यह समन नई दिल्ली में बांग्लादेशी उच्चायोग के बाहर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर जारी किया गया।
यूनुस की घबराहट और अमेरिका को फोन
अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस भारी दबाव में हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने मदद और समर्थन के लिए अमेरिका का दरवाजा खटखटाया है।
- फोन कूटनीति: सोमवार को यूनुस ने अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया के विशेष दूत सर्जियो गोर से करीब आधा घंटे बात की।
- चुनाव का वादा: उन्होंने अमेरिका को भरोसा दिलाया कि बांग्लादेश में आम चुनाव तय समय पर यानी 12 फरवरी को ही होंगे। देश में जारी हिंसा के कारण चुनाव टलने की आशंकाओं को खारिज करते हुए यूनुस अंतरराष्ट्रीय वैधता (Legitimacy) हासिल करने की कोशिश में हैं।
घर में घिरे यूनुस: 'इंकलाब मोर्चा' की धमकी और शेख हसीना का वार
मोहम्मद यूनुस के लिए 'आगे कुआं, पीछे खाई' वाली स्थिति है।
- कट्टरपंथियों का अल्टीमेटम: उस्मान हादी के संगठन 'इंकलाब मोर्चा' ने धमकी दी है कि अगर हत्यारों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया गया, तो वे यूनुस सरकार को उखाड़ फेंकेंगे। वे इसमें शेख हसीना की पार्टी की संलिप्तता की जांच की मांग भी कर रहे हैं।
- हसीना का हमला: अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस अराजकता के लिए सीधे तौर पर यूनुस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यूनुस सरकार अपनी कुर्सी बचाने के लिए कट्टरपंथियों को बढ़ावा दे रही है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता खतरे में है।
भारत में आक्रोश: सड़कों पर उतरा गुस्सा
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार की गूंज भारत में भी सुनाई दे रही है। दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता, सूरत और पटना समेत कई शहरों में लोग सड़कों पर उतर आए हैं। विश्व हिंदू परिषद (VHP) और अन्य संगठनों ने बांग्लादेशी उच्चायोग के बाहर प्रदर्शन किया और मोहम्मद यूनुस का पुतला फूंका। भारत में जनभावनाएं उग्र हो रही हैं, जो सरकार पर कड़े कदम उठाने का दबाव बना रही हैं।
मीडिया और अल्पसंख्यकों का दमन
बांग्लादेश में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी सुरक्षित नहीं है। हादी की मौत के बाद हिंसक भीड़ ने प्रमुख मीडिया संस्थानों के कार्यालयों में तोड़फोड़ और आगजनी की। इसे सच को दबाने की साजिश के तौर पर देखा जा रहा है। वहीं, डर के साये में जी रहे अल्पसंख्यक भी अब ढाका की सड़कों पर उतरकर सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।
हमारी राय
भारत और बांग्लादेश के रिश्ते, जो कभी 'सोनाली अध्याय' (Golden Chapter) कहे जाते थे, आज 'अंधकार युग' में प्रवेश कर चुके हैं। मोहम्मद यूनुस की सरकार न तो कट्टरपंथियों को संभाल पा रही है और न ही कूटनीतिक शिष्टाचार निभा पा रही है। वीजा सेवाओं का निलंबन और भारतीय उच्चायुक्त को समन भेजना अपरिपक्वता (Immaturity) को दर्शाता है।
The Trending People का मानना है कि भारत को अब अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत बांग्लादेश के प्रति अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करना होगा। जब पड़ोसी के घर में लगी आग की लपटें (कट्टरपंथ और शरणार्थी संकट) हमारे घर तक पहुंचने लगें, तो मूकदर्शक बने रहना विकल्प नहीं हो सकता। यूनुस सरकार को यह समझना होगा कि भारत विरोध की राजनीति उन्हें सत्ता में तो रख सकती है, लेकिन देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से बर्बाद कर देगी। अमेरिका को फोन मिलाने से पहले उन्हें अपने घर (बांग्लादेश) में अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतना चाहिए।