EPFO का ऐतिहासिक फैसला—नौकरी बदलने पर अब 'वीकेंड' नहीं बनेगा विलेन, सर्विस रहेगी कंटिन्यू, डेथ क्लेम में मिलेगी बड़ी राहत
नई दिल्ली — कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के करोड़ों सदस्यों और उनके आश्रितों के लिए एक बेहद राहत भरी और महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अक्सर देखा जाता था कि नौकरी बदलते समय छोटी-सी तकनीकी खामी या कुछ दिनों का अंतर (Gap) कर्मचारियों के सामाजिक सुरक्षा लाभों पर भारी पड़ जाता था। लेकिन अब ईपीएफओ ने एक नया सर्कुलर जारी कर इन पुरानी बाधाओं को दूर कर दिया है।
इस नए फैसले के मुताबिक, अब एक नौकरी छोड़ने और दूसरी ज्वॉइन करने के बीच आने वाले वीकेंड (शनिवार-रविवार) या सरकारी छुट्टियों को 'सर्विस ब्रेक' (Service Break) नहीं माना जाएगा। यह कदम विशेष रूप से डेथ क्लेम (Death Claim) और इंश्योरेंस (EDLI) से जुड़े विवादों को खत्म करने में मील का पत्थर साबित होगा।
क्यों पड़ी इस बदलाव की ज़रूरत? पुरानी व्यवस्था का दर्द
पुराने नियमों के तहत, ईपीएफओ 'लगातार सेवा' (Continuous Service) की गणना करते समय बेहद सख्त रवैया अपनाता था।
- तकनीकी पेंच: मान लीजिए किसी कर्मचारी ने शुक्रवार को अपनी पुरानी कंपनी छोड़ी और सोमवार को नई कंपनी ज्वॉइन की। बीच में शनिवार और रविवार का अंतर आ गया। पुराने सिस्टम में इसे 'सर्विस ब्रेक' माना जाता था।
- नुकसान: इस छोटे से तकनीकी गैप के कारण, यदि कर्मचारी के साथ कोई अनहोनी हो जाती थी, तो उसके परिवार को मिलने वाले बीमा (EDLI) और पेंशन के लाभ या तो खारिज कर दिए जाते थे या काफी कम मिलते थे।
- केस स्टडी: ईपीएफओ ने स्वीकार किया कि ऐसे कई मामले सामने आए जहाँ कर्मचारी की मौत के बाद EDLI क्लेम सिर्फ मामूली गैप की वजह से खारिज कर दिए गए। यह न केवल अन्यायपूर्ण था, बल्कि सामाजिक सुरक्षा के मूल उद्देश्य के खिलाफ भी था। इस विसंगति को दूर करने के लिए ही यह नया सर्कुलर लाया गया है।
लगातार सर्विस की नई परिभाषा: अब छुट्टियों की टेंशन खत्म
नए सर्कुलर ने 'कंटीन्यूअस सर्विस' की परिभाषा को व्यापक और कर्मचारी-हितैषी बना दिया है।
छुट्टियों को मिली मान्यता: अब यदि किसी कर्मचारी की एक नौकरी खत्म होने और दूसरी शुरू होने के बीच केवल निम्नलिखित छुट्टियां आती हैं, तो उसे 'सर्विस में' ही माना जाएगा:
- साप्ताहिक अवकाश (Weekly Off/Weekend)
- राष्ट्रीय अवकाश (National Holidays)
- राजपत्रित अवकाश (Gazetted Holidays)
- राज्य स्तरीय अवकाश (State Holidays)
प्रतिबंधित अवकाश (Restricted Holidays)
इसका मतलब है कि शुक्रवार को नौकरी छोड़कर सोमवार या मंगलवार (यदि सोमवार को छुट्टी हो) को ज्वॉइन करने पर आपकी सर्विस नहीं टूटेगी।
60 दिनों का ग्रेस पीरियड: ईपीएफओ ने एक और बड़ी राहत दी है। अगर नौकरी बदलते समय अधिकतम 60 दिनों तक का गैप भी होता है, तो भी विशेष परिस्थितियों में सर्विस को 'कंटीन्यूअस' माना जा सकता है, बशर्ते इसका वाजिब कारण हो और योगदान जारी रहे।
EDLI क्लेम: परिवारों के लिए 50,000 रुपये की सुरक्षा कवच
एम्प्लॉइज डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस (EDLI) स्कीम के तहत मिलने वाले लाभों को लेकर भी स्थिति स्पष्ट की गई है। यह स्कीम पीएफ खाताधारकों को मुफ्त जीवन बीमा प्रदान करती है।
- न्यूनतम भुगतान की गारंटी: नए नियमों के तहत, अब नॉमिनी या कानूनी वारिस को कम से कम 50,000 रुपये का भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा।
- शर्तों में ढील: पहले यह लाभ पाने के लिए शर्तों का कड़ा पालन करना होता था। अब यह न्यूनतम राशि तब भी मिलेगी, भले ही कर्मचारी ने लगातार 12 महीने की सर्विस पूरी न की हो।
- बैलेंस की बाध्यता नहीं: यह लाभ तब भी देय होगा जब कर्मचारी के पीएफ खाते में औसत बैलेंस 50,000 रुपये से कम हो। पहले कम बैलेंस होने पर क्लेम राशि घट जाती थी।
किन मामलों में लागू होगा नया नियम?
यह संशोधन उन मामलों के लिए संजीवनी है जहां परिवार का मुख्य कमाने वाला सदस्य नहीं रहता।
- 6 महीने का नियम: नया नियम उन मामलों पर भी प्रभावी होगा, जहां कर्मचारी की मौत उसके आखिरी पीएफ योगदान (Last PF Contribution) के छह महीने के भीतर हो जाती है। शर्त केवल यह है कि वह नियोक्ता के रिकॉर्ड में कर्मचारी के रूप में दर्ज होना चाहिए।
इसका सीधा असर यह होगा कि अब शोक संतप्त परिवारों को बीमा क्लेम के लिए लंबी कानूनी लड़ाई नहीं लड़नी पड़ेगी और न ही फाइलों के चक्कर काटने पड़ेंगे। प्रक्रिया अब ज्यादा पारदर्शी और मानवीय हो गई है।
हमारी राय
ईपीएफओ का यह फैसला नौकरशाही की बेड़ियों को तोड़कर मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का एक बेहतरीन उदाहरण है। सामाजिक सुरक्षा का मतलब केवल फंड जमा करना नहीं, बल्कि मुसीबत के समय बिना किसी तकनीकी बाधा के मदद पहुंचाना है। वीकेंड या छुट्टी को 'ब्रेक' मानकर क्लेम खारिज करना एक असंवेदनशील प्रथा थी, जिसे खत्म करके ईपीएफओ ने सराहनीय काम किया है।
The Trending People का मानना है कि 60 दिनों के गैप को मान्यता देना और न्यूनतम 50,000 रुपये का एश्योरेंस बेनिफिट देना, संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए एक बड़ा सुरक्षा चक्र है। हालांकि, जरूरत इस बात की भी है कि क्षेत्रीय पीएफ कार्यालय इन नए निर्देशों का सख्ती से पालन करें ताकि जमीनी स्तर पर लाभार्थियों को इसका फायदा मिल सके। यह कदम 'ईज ऑफ लिविंग' (Ease of Living) की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।
