चंडीगढ़ मेयर चुनाव से पहले 'आप' के किले में बड़ी सेंध—2 महिला पार्षदों ने थामा 'कमल', बहुमत की दहलीज पर पहुंची बीजेपी
चंडीगढ़, दिनांक: 24 दिसंबर 2025 — 'सिटी ब्यूटीफुल' चंडीगढ़ की राजनीति में कड़कड़ाती ठंड के बीच सियासी पारा अचानक सातवें आसमान पर पहुंच गया है। नए साल के पहले महीने यानी जनवरी में होने वाले चंडीगढ़ नगर निगम (MC) के मेयर चुनाव से ठीक पहले आम आदमी पार्टी (AAP) को एक ऐसा 'डबल झटका' लगा है, जिससे पार्टी की नींव हिल गई है। पार्टी की दो प्रमुख महिला पार्षदों ने ऐन मौके पर पाला बदलते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थाम लिया है।
इस दलबदल ने मेयर चुनाव के पूरे समीकरण को पलट कर रख दिया है। वार्ड नंबर 16 से पार्षद पूनम देवी और वार्ड नंबर 4 से सुमन शर्मा ने चंडीगढ़ बीजेपी कार्यालय में पार्टी अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा की मौजूदगी में सदस्यता ग्रहण की। इस रणनीतिक उलटफेर के बाद बीजेपी अब नगर निगम में बहुमत के जादुई आंकड़े के बेहद करीब पहुंच गई है।
दलबदल का कारण: 'अनदेखी' और 'मोदी नीति'
पार्टी छोड़ने वाली दोनों पार्षदों ने अपने फैसले के पीछे वैचारिक और संगठनात्मक कारण गिनाए हैं।
- पूनम देवी का दर्द: वार्ड 16 की पार्षद पूनम देवी ने आरोप लगाया कि AAP में उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही थी। उन्होंने कहा, "आप-कांग्रेस गठबंधन (AAP-Congress Alliance) बनने के बाद से पार्टी अपने मूल कार्यकर्ताओं और पार्षदों की अनदेखी कर रही है। हमारा दम घुट रहा था।"
- सुमन शर्मा का तर्क: वहीं, वार्ड 4 की पार्षद सुमन शर्मा ने कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मजबूत नेतृत्व और केंद्र सरकार की कल्याणकारी नीतियों से प्रभावित होकर बीजेपी में आई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि उनके पति पहले से ही बीजेपी से जुड़े हुए हैं, इसलिए यह उनकी 'घर वापसी' जैसा है।
नंबर गेम: बीजेपी 18, गठबंधन 18... अब क्या होगा?
इस दलबदल के बाद निगम का गणित बेहद रोमांचक हो गया है। आइए समझते हैं कि अब पलड़ा किस तरफ भारी है:
- कुल वोट: चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 निर्वाचित पार्षद हैं। इसके अलावा चंडीगढ़ के सांसद (मनीष तिवारी) का भी एक वोट मान्य होता है। यानी कुल वोटिंग संख्या 36 है।
- जादुई आंकड़ा: मेयर की कुर्सी पाने के लिए किसी भी दल को 19 वोटों की जरूरत है।
नई स्थिति:
- बीजेपी की ताकत: पहले बीजेपी के पास 16 पार्षद थे। 2 नए पार्षदों के आने से यह संख्या बढ़कर 18 हो गई है। यानी बीजेपी अब बहुमत (19) से महज एक वोट दूर है।
- गठबंधन की स्थिति: AAP के पार्षद घटकर 11 रह गए हैं। कांग्रेस के पास 6 पार्षद हैं। सांसद मनीष तिवारी (कांग्रेस) का 1 वोट मिलाकर गठबंधन के पास भी कुल 18 वोट हैं।
फिलहाल मुकाबला 18-18 की बराबरी (Tie) पर आ खड़ा हुआ है। निगम में 9 नामित पार्षद (Nominated Councilors) भी हैं, लेकिन उनके पास वोटिंग का अधिकार नहीं होता।
'शो ऑफ हैंड्स': इस बार नहीं होगी क्रॉस वोटिंग की गुंजाइश?
इस बार का मेयर चुनाव पिछले चुनावों से अलग और ज्यादा पारदर्शी होने वाला है। प्रशासन ने निर्णय लिया है कि वोटिंग 'सीक्रेट बैलेट पेपर' (गुप्त मतदान) से नहीं, बल्कि 'हाथ उठाकर' (Show of Hands) की जाएगी।
- पारदर्शिता: पिछली बार मेयर चुनाव में बैलेट पेपर को लेकर हुए भारी विवाद और सुप्रीम कोर्ट तक मामला पहुंचने के बाद यह बदलाव किया गया है।
- नियंत्रण: ओपन वोटिंग होने से पार्षदों के लिए 'क्रॉस-वोटिंग' (Cross Voting) करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा, क्योंकि उन्हें सबके सामने अपना वोट देना होगा। पार्टियां अपने पार्षदों पर बेहतर नियंत्रण रख सकेंगी।
क्या और टूट होगी? बीजेपी अध्यक्ष का दावा
चंडीगढ़ बीजेपी अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा ने इस घटनाक्रम को प्रधानमंत्री मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' मॉडल की जीत बताया। उन्होंने कहा, "देश में ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल हो रही हैं, यही कारण है कि बीजेपी का परिवार लगातार बढ़ रहा है।"
मेयर चुनाव में 19 का आंकड़ा छूने के सवाल पर मल्होत्रा ने एक सधा हुआ जवाब दिया। उन्होंने कहा, "हम चुनाव को एक खिलाड़ी की भावना से खेलते हैं। चुनाव वाले दिन सब स्पष्ट हो जाएगा कि मेयर किसका बनेगा।" राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि क्या कांग्रेस या AAP से कोई और पार्षद भी कतार में है?
हमारी राय
चंडीगढ़ मेयर चुनाव अब केवल एक स्थानीय निकाय का चुनाव नहीं रहा, बल्कि यह AAP और कांग्रेस के गठबंधन की परीक्षा बन गया है। चुनाव से ठीक पहले दो पार्षदों का टूटना यह दर्शाता है कि गठबंधन के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है और जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में असंतोष है।
The Trending People का विश्लेषण है कि 'शो ऑफ हैंड्स' की प्रक्रिया ने खरीद-फरोख्त की संभावनाओं को कम जरूर किया है, लेकिन दलबदल को नहीं रोक पाई है। 18-18 का यह टाई मैच अब एक 'सुपर ओवर' की तरफ बढ़ रहा है। बीजेपी का मनोवैज्ञानिक पलड़ा भारी है, जबकि गठबंधन को अपने बचे हुए पार्षदों को एकजुट रखने की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना होगा। अगर बीजेपी एक और वोट का जुगाड़ कर लेती है, तो चंडीगढ़ निगम पर भगवा फहराना तय है।