स्टेट डेस्क: बिहार में राशन डीलर बनने का 'बंपर' मौका—4942 नई दुकानों के लिए लाइसेंस जारी करेगी सरकार, पटना में सबसे ज्यादा अवसरImage: news18.com
पटना — बेरोजगारी के दौर में अगर आप स्वरोजगार की तलाश में हैं और सरकारी तंत्र के साथ जुड़कर काम करना चाहते हैं, तो यह खबर आपके लिए एक सुनहरा अवसर लेकर आई है। बिहार सरकार ने राज्य में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) को सुदृढ़ बनाने और राशन वितरण को पारदर्शी करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग ने राज्य भर में 4942 नई सरकारी राशन दुकानें खोलने का निर्णय लिया है।
यह पहल न केवल राज्य की पीडीएस व्यवस्था को मजबूत करेगी, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार का साधन भी उपलब्ध कराएगी। सबसे ज्यादा रिक्तियां राजधानी पटना में हैं, जहां डीलरशिप पाने के लिए होड़ मचनी तय है।
डीलरशिप का रोडमैप: दो चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
बिहार में बढ़ती आबादी और राशनकार्ड धारकों की संख्या में हुए इजाफे को देखते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। विभाग ने पूरी प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाने के लिए इसे चरणों में विभाजित किया है:
- पहला चरण: विभाग ने पहले चरण में 2583 नई राशन दुकानों के लिए विज्ञापन (Advertisement) जारी कर दिए हैं। इन दुकानों के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और आवेदकों की भारी भीड़ देखी जा रही है।
- दूसरा चरण: शेष 2359 दुकानों के लिए भी जल्द ही विज्ञापन जारी करने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।
आवेदनों की बाढ़: डीलरशिप पाने के लिए लोगों में कितना उत्साह है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2583 दुकानों के लिए अब तक विभाग को 13,794 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। यानी एक दुकान के लिए औसतन 5 से ज्यादा दावेदार कतार में हैं। अधिकारियों का मानना है कि सभी 4942 दुकानें खुलने के बाद राज्य की वितरण प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
क्यों पड़ी नई दुकानों की ज़रूरत?
आपके मन में यह सवाल उठ सकता है कि अचानक इतनी बड़ी संख्या में नई दुकानें क्यों खोली जा रही हैं? इसका जवाब विभागीय नियमों और ज़मीनी हकीकत में छिपा है।
- मानक अनुपात: सरकारी नियमों के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में औसतन 1350 राशनकार्ड धारकों पर और ग्रामीण क्षेत्रों में 1900 राशनकार्ड धारकों पर एक पीडीएस दुकान (PDS Shop) होनी चाहिए।
- वर्तमान स्थिति: बिहार के कई जिलों में राशनकार्ड धारकों की संख्या इन मानकों से कहीं ज्यादा हो चुकी है। इसका नतीजा यह है कि एक ही दुकान पर भारी भीड़ उमड़ती है और लोगों को राशन लेने के लिए लंबी कतारों में खड़ा होना पड़ता है या लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
- समाधान: नई दुकानों के खुलने से 'कार्ड-टू-शॉप' अनुपात संतुलित होगा, जिससे आम जनता को घर के पास ही आसानी से राशन मिल सकेगा।
जिलावार विश्लेषण: पटना में बंपर वैकेंसी, जानें अपने जिले का हाल
खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा अवसर राजधानी पटना में हैं। यहाँ एक सूची दी गई है कि किन जिलों में डीलरशिप के कितने मौके हैं:
जिला (District) | नई दुकानों की संख्या |
|---|---|
पटना | 435 |
मुजफ्फरपुर | 356 |
भागलपुर | 336 |
पूर्णिया | 320 |
मधुबनी | 248 |
रोहतास | 245 |
पश्चिम चंपारण | 242 |
गया | 240 |
सीवान | 229 |
सीतामढ़ी | 196 |
कटिहार | 191 |
इसके अलावा वैशाली, दरभंगा, समस्तीपुर, खगड़िया और किशनगंज जैसे जिलों में भी नई पीडीएस दुकानें खोलने की कवायद तेज है।
पश्चिम चंपारण मॉडल: दिलचस्प बात यह है कि पश्चिम चंपारण जिले ने इस मामले में बाजी मार ली है। वहां सभी 242 नई राशन दुकानों की रिक्तियां न केवल विज्ञापित की गईं, बल्कि उन्हें भरकर लाइसेंस भी जारी कर दिए गए हैं।
नो वैकेंसी ज़ोन: दूसरी ओर, बांका, बेगूसराय, नालंदा, भोजपुर, अररिया और सारण ऐसे जिले हैं जहां फिलहाल नई दुकानों की जरूरत नहीं है। यहां राशनकार्ड धारकों और दुकानों का अनुपात पहले से ही संतुलित है।
राशनकार्डों की 'सर्जिकल स्ट्राइक': 17 से 30 दिसंबर तक विशेष अभियान
नई दुकानें खोलने के साथ-साथ सरकार ने फर्जी राशनकार्डों पर नकेल कसने की भी तैयारी कर ली है। पीडीएस व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए 17 दिसंबर से 30 दिसंबर तक राज्यव्यापी विशेष जांच अभियान चलाया जाएगा।
- आधार सीडिंग और सत्यापन: भारत सरकार से प्राप्त संदिग्ध राशनकार्डों की सूची के आधार पर यह अभियान 'कैंप मोड' में चलेगा। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे घर-घर जाकर या कैंप लगाकर भौतिक सत्यापन (Physical Verification) करें।
- सख्त निर्देश: विभाग ने सभी अनुमंडल पदाधिकारियों (SDO) को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि शत-प्रतिशत आधार सीडिंग सुनिश्चित की जाए। जो कार्ड अपात्र (Ineligible) या फर्जी पाए जाएंगे, उन्हें तुरंत रद्द कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि अनाज केवल जरूरतमंदों तक ही पहुंचे।
कैसे करें आवेदन? (संभावित प्रक्रिया)
जो लोग इस डीलरशिप के लिए आवेदन करना चाहते हैं, उन्हें अपने जिले के अनुमंडल पदाधिकारी (SDO) कार्यालय या खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर नजर रखनी चाहिए।
- पात्रता: आमतौर पर आवेदक को स्थानीय निवासी होना चाहिए, न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता (प्रायः 10वीं पास) होनी चाहिए और उस पर कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं होना चाहिए।
- आरक्षण: आवंटन में सरकारी नियमों के अनुसार आरक्षण रोस्टर का भी पालन किया जाता है।
हमारी राय
बिहार सरकार का यह कदम "एक तीर से दो निशाने" जैसा है। एक तरफ यह बढ़ती आबादी के दबाव को कम करते हुए आम आदमी को सहूलियत देगा, तो दूसरी तरफ हज़ारों बेरोजगारों को आजीविका का साधन प्रदान करेगा। पटना और मुजफ्फरपुर जैसे बड़े जिलों में 400 से अधिक दुकानें खुलना यह दर्शाता है कि शहरीकरण के साथ-साथ पीडीएस नेटवर्क का विस्तार कितना अनिवार्य हो गया था।
The Trending People का मानना है कि केवल दुकानें खोलना ही काफी नहीं होगा। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि लाइसेंस आवंटन की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी हो और इसमें किसी प्रकार का भाई-भतीजावाद न हो। साथ ही, 17 दिसंबर से शुरू होने वाला सत्यापन अभियान अगर ईमानदारी से चलाया गया, तो यह लीकेज रोकने में मील का पत्थर साबित होगा। यह बिहार की खाद्य सुरक्षा प्रणाली को 'स्मार्ट' और 'जवाबदेह' बनाने की दिशा में एक सकारात्मक पहल है।