कुरुक्षेत्र के 'भारत' की सफलता की कहानी—कंप्यूटर ऑपरेटर के बेटे ने पहना न्याय का काला कोट, सोशल मीडिया से दूरी और दादा की प्रेरणा ने बनाया जज
कुरुक्षेत्र — हरियाणा की धर्मनगरी कुरुक्षेत्र से एक ऐसी खबर सामने आई है, जो हर उस मध्यमवर्गीय युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो अभावों के बीच बड़े सपने देखने का हौसला रखता है। यहाँ के एक साधारण कंप्यूटर ऑपरेटर के बेटे, भारत जांगड़ा (Bharat Jangra) ने अपनी कड़ी मेहनत, अटूट लगन और अनुशासन के दम पर राजस्थान न्यायिक सेवा (RJS) की प्रतिष्ठित परीक्षा में पूरे भारत में छठा स्थान (All India Rank 6) हासिल किया है।
भारत की यह उपलब्धि केवल एक परीक्षा परिणाम नहीं है, बल्कि यह तीन पीढ़ियों के सपनों, संघर्षों और संस्कारों की जीत है। आज जब भारत ने सफलता का यह शिखर छू लिया है, तो उनके घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है और माता-पिता की आंखों में खुशी के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे।
दादा से मिली 'न्याय' की प्रेरणा: बचपन का वो सपना
हर बड़ी सफलता के पीछे एक मजबूत प्रेरणा होती है। भारत जांगड़ा के लिए वह प्रेरणा उनके दादा, स्वर्गीय श्याम लाल जांगड़ा थे। भारत के दादा कुरुक्षेत्र कंज्यूमर कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवाएं दे चुके थे। बचपन में जब भारत अपने दादा को देखते थे, तो उनकी न्यायप्रियता, समाज में उनका रूतबा और लोगों की समस्याओं को सुलझाने का उनका तरीका उनके बाल मन पर गहरा प्रभाव डालता था।
भारत ने एक साक्षात्कार में बताया, "मेरे दादाजी ही मेरे रोल मॉडल थे। उन्हें न्याय की कुर्सी पर बैठे देखना मेरे लिए सबसे बड़ा आकर्षण था। मैंने बचपन में ही तय कर लिया था कि मैं बड़ा होकर उनकी तरह ही न्याय के रास्ते पर चलूंगा और समाज की सेवा करूंगा।" आज जब पोते ने वही 'काला कोट' और जिम्मेदारी हासिल कर ली है, तो परिवार को महसूस हो रहा है कि दादा की विरासत अब सुरक्षित हाथों में है।
पिता का संघर्ष बना बेटे की ताकत
भारत की सफलता की कहानी उनके पिता सोहन लाल जांगड़ा के जिक्र के बिना अधूरी है। सोहन लाल वर्तमान में जेल विभाग में एक कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर तैनात हैं। अपनी कर्तव्यनिष्ठा के लिए उन्हें राष्ट्रपति अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है। एक सीमित आय वाले सरकारी कर्मचारी होने के बावजूद, सोहन लाल ने कभी भी अपने बेटे की पढ़ाई में संसाधनों की कमी नहीं आने दी।
अपने बेटे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर भावुक होते हुए सोहन लाल कहते हैं, "मैं एक छोटा कर्मचारी हूं, लेकिन मेरे बेटे ने आज मेरा मान बढ़ा दिया है। वह बचपन से ही पढ़ाई को लेकर बेहद गंभीर था। उसकी मेहनत को देखकर मुझे विश्वास था कि वह एक दिन जरूर बड़ा अफसर बनेगा।"
प्रतिभा का प्रमाण: भारत का शैक्षणिक रिकॉर्ड शुरू से ही शानदार रहा है:
- वे कक्षा 1 से लेकर अपनी पढ़ाई पूरी होने तक हमेशा अव्वल रहे।
- 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में उन्होंने जिले में टॉप किया।
- पंजाब यूनिवर्सिटी से लॉ (Law) की पढ़ाई के दौरान उन्होंने गोल्ड मेडल प्राप्त किया।
- वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं।
सफलता का मंत्र: सोशल मीडिया से 'संन्यास' और 12 घंटे की तपस्या
आज के दौर में जब युवा अपना अधिकतर समय सोशल मीडिया, रील्स और इंटरनेट सर्फिंग में बिताते हैं, भारत ने एक कठिन और अलग रास्ता चुना। उन्होंने अपनी तैयारी के दौरान सोशल मीडिया से पूरी तरह दूरी बना ली थी।
कड़ी दिनचर्या:
- अनुशासन: भारत रोजाना नियमित रूप से 10 से 12 घंटे पढ़ाई करते थे। उनकी एकाग्रता का स्तर इतना ऊंचा था कि उन्हें समय का पता ही नहीं चलता था।
- पिता की नसीहत: उनके पिता बताते हैं कि कई बार उन्हें जबरदस्ती भारत को सोने के लिए भेजना पड़ता था। "वह किताबों में इतना खो जाता था कि उसे खाने-पीने और सोने की सुध नहीं रहती थी। मुझे उसे बार-बार टोकना पड़ता था कि बेटा अब आराम कर लो," सोहन लाल याद करते हैं।
- फोकस: भारत का मानना है कि न्यायिक सेवा जैसी परीक्षाओं को पास करने के लिए 'स्मार्ट स्टडी' के साथ-साथ 'हार्ड वर्क' और सोशल मीडिया जैसे भटकावों से दूरी बेहद जरूरी है।
अब राजस्थान में करेंगे न्याय
आरजेएस (RJS) परीक्षा में छठी रैंक हासिल करने के बाद, भारत जांगड़ा अब राजस्थान की न्यायपालिका का हिस्सा बनेंगे। उनका चयन इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा किसी क्षेत्र या राज्य की सीमाओं में नहीं बंधती। हरियाणा का यह होनहार बेटा अब राजस्थान की अदालतों में बैठकर न्याय करेगा और पीड़ितों को राहत पहुंचाएगा।
इस सफलता पर कुरुक्षेत्र के वकीलों, समाजसेवियों और शिक्षाविदों ने जांगड़ा परिवार को शुभकामनाएं दी हैं। उनका कहना है कि भारत की सफलता आने वाली पीढ़ियों को यह संदेश देती है कि अगर इरादे पक्के हों, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।
हमारी राय
भारत जांगड़ा की यह उपलब्धि महज एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह उन मूल्यों की जीत है जो हमें सिखाते हैं कि सादगी और संघर्ष से बड़े से बड़ा मुकाम हासिल किया जा सकता है। एक कंप्यूटर ऑपरेटर का बेटा जब न्यायाधीश बनता है, तो यह भारतीय लोकतंत्र की खूबसूरती को दर्शाता है जहाँ हर किसी को आगे बढ़ने का समान अवसर मिलता है।
The Trending People का मानना है कि भारत जांगड़ा की सबसे बड़ी सीख उनका 'डिजिटल त्याग' है। जिस उम्र में युवा आभासी दुनिया (Virtual World) में खोए रहते हैं, उस उम्र में किताबों को अपना साथी बनाना एक बड़ी तपस्या है। हमें उम्मीद है कि भारत अपनी कलम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुंचाएंगे और अपने दादा के सपनों को एक नई ऊंचाई देंगे। उनकी यह यात्रा साबित करती है कि विरासत केवल संपत्ति की नहीं, बल्कि संस्कारों और सपनों की भी होती है।
