हरियाणा विधानसभा में गूंजा पंजाब का 'जिसका खेत, उसकी रेत' मॉडल—केजरीवाल बोले, "अच्छी नीतियां सीमाएं नहीं देखतीं"Image: News18
चंडीगढ़, दिनांक: 19 दिसंबर 2025 — हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में गुरुवार को एक अलग ही नज़ारा देखने को मिला। अमूमन पड़ोसी राज्यों की नीतियों की आलोचना करने वाले सदन में इस बार पंजाब की आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की एक विशिष्ट नीति की गूंज सुनाई दी। मुद्दा किसी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का नहीं, बल्कि किसानों को सीधा फायदा पहुंचाने वाली 'जिसका खेत, उसकी रेत' नीति का था।
यह नीति, जिसे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने लागू किया था, अब हरियाणा की राजनीति में भी केंद्र बिंदु बन गई है। कई विधायकों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मांग उठाई कि बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए हरियाणा में भी इस मॉडल को अपनाया जाना चाहिए।
विधानसभा से सोशल मीडिया तक: AAP की 'नैतिक जीत'
इस मुद्दे ने तब और तूल पकड़ लिया जब आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा ने विधानसभा की कार्यवाही का एक वीडियो क्लिप ट्वीट किया। उन्होंने लिखा कि हरियाणा के सदन में पंजाब सरकार के जनहितकारी कार्यों की चर्चा होना गर्व की बात है।
इस ट्वीट को रीट्वीट करते हुए AAP के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा सियासी संदेश दिया। उन्होंने लिखा:
"यह गर्व की बात है कि आज हरियाणा विधानसभा में भी पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के जनहितकारी कामों की चर्चा हो रही है। भगवंत मान जी की सरकार की ‘जिसका खेत, उसकी रेत’ नीति ने पंजाब के किसानों को उनका हक़ दिया और रेत माफ़िया पर लगाम लगाई। अच्छी नीतियां सीमाएं नहीं देखतीं और अब दूसरे राज्य भी पंजाब मॉडल अपनाने की बात कर रहे हैं।"
पंजाब के मुख्यमंत्री सरदार भगवंत सिंह मान ने भी केजरीवाल के ट्वीट को रीट्वीट कर इस बात पर मुहर लगाई कि उनकी सरकार अपने फैसलों को लेकर आश्वस्त है और इसे देश के सामने एक मॉडल के रूप में पेश कर रही है।
क्या है 'जिसका खेत, उसकी रेत' नीति?
पंजाब सरकार की यह नीति प्राकृतिक आपदा को अवसर में बदलने और किसानों को राहत देने का एक अनूठा उदाहरण है।
- स्वामित्व का अधिकार: पंजाब में बाढ़ के दौरान नदियों का पानी जब खेतों में घुसता है, तो अपने साथ भारी मात्रा में रेत (Sand) और गाद छोड़ जाता है। पहले इसे हटाने के लिए किसानों को सरकारी अनुमति के लिए दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते थे और कई बार उन पर अवैध खनन का आरोप लगता था।
- नया नियम: भगवंत मान सरकार ने नियम बदल दिए। अब खेत में जमा हुई रेत किसान की 'संपत्ति' मानी जाती है। सरकार न केवल उन्हें इसे हटाने की अनुमति देती है, बल्कि बेचने का अधिकार भी देती है।
- दोहरा लाभ: इससे किसान अपनी जमीन साफ कर अगली फसल की बुआई कर पाते हैं और रेत बेचकर अतिरिक्त कमाई भी करते हैं।
- बाजार पर असर: रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस नीति से पंजाब में रेत की कीमतों में 30-35 प्रतिशत तक की कमी आई है और अवैध खनन माफिया की कमर टूट गई है।
हरियाणा की ज़मीनी हकीकत: रेत में दबे किसानों के सपने
सिक्के का दूसरा पहलू हरियाणा की मौजूदा स्थिति है। यमुनानगर, अंबाला, करनाल, पानीपत, सोनीपत, कुरुक्षेत्र, कैथल, फतेहाबाद और सिरसा जैसे जिले बाढ़ की विभीषिका झेल चुके हैं। दिसंबर 2025 आ चुका है, लेकिन हजारों एकड़ जमीन अब भी खेती के लायक नहीं हो पाई है।
- किसानों की पीड़ा: बाढ़ का पानी तो उतर गया, लेकिन खेतों में कई फीट ऊंची रेत की परत जमा है। रबी की फसल (गेहूं, सरसों) की बुआई का समय निकला जा रहा है।
- सरकारी पेच: किसान आरोप लगा रहे हैं कि जब वे अपने ही खेत से रेत उठाने की कोशिश करते हैं, तो प्रशासन खनन कानूनों का हवाला देकर उन्हें रोकता है या उन पर जुर्माना लगाता है।
- विपक्ष का सवाल: आम आदमी पार्टी और अन्य विपक्षी नेताओं का सवाल सीधा है—"जब पड़ोसी पंजाब सरकार समाधान निकाल सकती है और मशीनरी उपलब्ध करा सकती है, तो हरियाणा सरकार नियमों की आड़ में किसानों को राहत देने से क्यों बच रही है?"
भाजपा सरकार के सामने चुनौती
हरियाणा की भाजपा सरकार के लिए यह स्थिति असहज करने वाली है। एक तरफ 'डबल इंजन' सरकार के दावे हैं, तो दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य का एक 'इनोवेटिव मॉडल' जो सीधे किसानों को राहत दे रहा है। विधानसभा में उठी यह मांग अब सिर्फ राजनीति तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह किसानों के हक़ और सम्मान का मुद्दा बन चुकी है। जानकारों का मानना है कि अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया, तो किसान आंदोलन की सुगबुगाहट फिर शुरू हो सकती है।
हमारी राय
राजनीति में अक्सर अच्छे विचारों की बलि चढ़ जाती है, लेकिन 'जिसका खेत, उसकी रेत' एक ऐसी नीति है जिसका सीधा सरोकार किसान के पेट और खेत से है। प्राकृतिक आपदा किसी राज्य की सीमा देखकर नहीं आती। जब बाढ़ पंजाब और हरियाणा दोनों के किसानों को समान रूप से प्रभावित करती है, तो समाधान भी समान और व्यावहारिक होना चाहिए।
The Trending People का मानना है कि हरियाणा सरकार को पंजाब मॉडल को 'राजनीतिक चश्मे' से देखने के बजाय 'प्रशासनिक दक्षता' के तौर पर देखना चाहिए। अगर एक नीति से अवैध खनन रुकता है, निर्माण सामग्री सस्ती होती है और सबसे बढ़कर—अन्नदाता को अपनी ही जमीन पर खेती करने का हक़ मिलता है, तो उसे अपनाने में कोई हर्ज नहीं होना चाहिए। अरविंद केजरीवाल का यह कहना सही है कि अच्छी नीतियां सीमाएं नहीं देखतीं; उन्हें बस इच्छाशक्ति की जरूरत होती है।
