प्रशांत किशोर को बड़ा झटका: एक से अधिक वोटर आईडी रखने पर निर्वाचन आयोग का नोटिस, 3 दिन में मांगा स्पष्टीकरण
पटना/कोलकाता: बिहार विधानसभा चुनाव के बीच जन सुराज पार्टी के संयोजक प्रशांत किशोर एक बड़े विवाद में घिर गए हैं। एक मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने उन्हें एक से अधिक राज्यों की मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के मामले में नोटिस जारी किया है। आयोग ने प्रशांत किशोर से इस गंभीर मामले पर तीन दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा है।
क्या है पूरा मामला?
जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पर आरोप है कि उनका नाम बिहार और पश्चिम बंगाल, दोनों राज्यों की मतदाता सूची में दर्ज है। यह मामला मंगलवार को उस समय सामने आया जब उनकी पार्टी बिहार में विधानसभा चुनाव लड़ रही है।
आयोग ने अपने नोटिस में इस बात का जिक्र करते हुए पूछा है कि एक व्यक्ति का नाम एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में क्यों दर्ज है, जबकि कानून इसकी इजाज़त नहीं देता।
दो राज्यों में प्रशांत किशोर का पता
आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, प्रशांत किशोर दो अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं:
- बिहार: सासाराम संसदीय क्षेत्र के तहत करगहर विधानसभा क्षेत्र में। उनका मतदान केंद्र रोहतास जिले के अंतर्गत मध्य विद्यालय, कोनार है, जो उनका पैतृक गांव भी है।
- पश्चिम बंगाल: कोलकाता के भवानीपुर विधानसभा क्षेत्र में 121, कालीघाट रोड पर मतदाता के रूप में पंजीकृत हैं। यह पता तृणमूल कांग्रेस (TMC) मुख्यालय का भी है और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का निर्वाचन क्षेत्र है। यहां उनका एपिक नंबर 'आईयूआई0686683' दर्ज है।
कानूनी प्रावधान और सज़ा का खतरा
निर्वाचन आयोग ने अपने नोटिस में प्रशांत किशोर को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों की याद दिलाई है, जिसके उल्लंघन पर सज़ा का प्रावधान है।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 की धारा-17: यह स्पष्ट रूप से कहती है कि एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति को पंजीकृत नहीं किया जाएगा।
- धारा-31 के तहत दंड: आयोग ने बताया है कि यदि यह उल्लंघन साबित होता है, तो जन प्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 की धारा-31 के तहत एक साल तक का कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
चुनाव आयोग ने प्रशांत किशोर से साफ कहा है कि वे इन कानूनी प्रावधानों के आलोक में तीन दिन के अंदर अपना पक्ष रखें और स्थिति स्पष्ट करें। अब सबकी निगाहें प्रशांत किशोर के जवाब पर टिकी हैं कि वे इस दोहरी पहचान के विवाद पर क्या स्पष्टीकरण देते हैं।