विश्व आदिवासी दिवस 2025: समावेशी भारत की ओर आदिवासी सशक्तिकरण की मिसाल
“भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर हम समाज के प्रति अपनी संवेदनशीलता और करुणा को और गहरा करें। हम यह संकल्प लें कि समाज के हर सदस्य—गरीब, दलित, पिछड़े, आदिवासी—को साथ लेकर आगे बढ़ेंगे।”
— प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 15 अगस्त 2024
हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने विश्व के स्वदेशी समुदायों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया। इस अवसर पर भारत, अपने 10.42 करोड़ आदिवासी जनसंख्या के साथ, आदिवासी सशक्तिकरण का वैश्विक उदाहरण प्रस्तुत करता है।
पिछले दशक में भारत सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका और सांस्कृतिक संरक्षण में अभूतपूर्व निवेश किया है।
बजट और योजनाओं में ऐतिहासिक वृद्धि
- जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट 2014-15 में ₹4,497.96 करोड़ से बढ़कर 2024-25 में ₹13,000 करोड़ हो गया।
- विकास कार्य योजना (DAPST) के तहत 42 मंत्रालयों का आदिवासी विकास खर्च ₹21,525.36 करोड़ (2013-14) से बढ़कर ₹1.25 लाख करोड़ (2024-25) हो गया।
- पिछले 5 वर्षों में खर्च:
- 2020-21: ₹48,084.10 करोड़
- 2021-22: ₹82,530.58 करोड़
- 2022-23: ₹90,972.76 करोड़
- 2023-24: ₹1,03,452.77 करोड़
- 2024-25 (प्रोविजनल): ₹1,04,436.24 करोड़
मुख्य उपलब्धियां
- 25.11 लाख आदिवासी परिवारों को वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे मिले।
- 479 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों में 1.38 लाख छात्र पढ़ रहे हैं।
- 1.56 करोड़ छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति, ₹16,216.22 करोड़ वितरित (2019-20 से 2024-25)।
- वन धन विकास केंद्रों (VDVKs) से ₹129.86 करोड़ की बिक्री, अंतरराष्ट्रीय पहचान "आदि महोत्सव" के जरिए।
PM जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (PM JUGA)
2 अक्टूबर 2024 को हजारीबाग, झारखंड से शुरू हुआ यह अब तक का सबसे बड़ा आदिवासी ग्राम विकास कार्यक्रम है।
- बजट: ₹79,156 करोड़
- लक्ष्य: 63,843 आदिवासी-बहुल गांव और 112 आकांक्षी जिले
- प्रगति (जुलाई 2025 तक):
- 4 लाख से अधिक पक्के घर बने
- 692 छात्रावास स्वीकृत
- 70 मोबाइल मेडिकल यूनिट तैनात
- 8,654 घरों में बिजली
- 2,212 गांवों में मोबाइल नेटवर्क
- 282 आंगनवाड़ी केंद्र चालू
- 26,513 गांवों में पाइप जलापूर्ति
PM जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (PM JANMAN)
यह योजना विशेष रूप से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTGs) के लिए है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था —
“हमारे आदिवासी जनसंख्या का हिस्सा छोटा है लेकिन वे देशभर में छोटे समूहों में फैले हुए हैं। दूरस्थ क्षेत्रों में योजनाओं का लाभ पहुंचाना चुनौती है, लेकिन हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”
वन अधिकार अधिनियम 2006 (FRA)
- मई 2025 तक 25.11 लाख शीर्षक स्वीकृत और वितरित
- पारंपरिक भूमि और वन अधिकारों को कानूनी मान्यता, जबरन बेदखली से सुरक्षा
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)
- शिकायत निवारण मंच NCSTGRAMS
- 2025-26 (7 अगस्त तक) में 1,747 मामले दर्ज, 1,670 पर कार्रवाई
- स्थापना से अब तक 11,096 मामले दर्ज, 8,718 पर कार्रवाई
गैर-सरकारी संगठनों को अनुदान
- 2020-21: ₹59.50 करोड़ → 2024-25: ₹175 करोड़
- 10 वर्षों में लगभग ₹1,000 करोड़, 200 एनजीओ को सहायता
जनजातीय शोध संस्थान (TRIs) और संग्रहालय
- 29 TRIs, 2020-25 में ₹265.94 करोड़ आवंटित
- 2014 से अब तक 10 नई इमारतें
- 11 जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय स्वीकृत (3 पूर्ण):
- भगवान बिरसा मुंडा संग्रहालय, रांची
- राजा शंकर शाह-रघुनाथ शाह संग्रहालय, जबलपुर
- बादल भोई संग्रहालय, छिंदवाड़ा
संस्कृति संवर्धन: जनजातीय गौरव दिवस और आदि महोत्सव
- 15 नवंबर: भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में जनजातीय गौरव दिवस
- 2024 में 150वीं जयंती पर ₹6,640 करोड़ की योजनाएं शुरू
- आदि महोत्सव 2025:
- 600+ शिल्पकार, 500 कलाकार, 30+ राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों की भागीदारी
- 25+ एमओयू, बड़े रिटेल और ई-कॉमर्स ब्रांड से साझेदारी (Meesho, Reliance Retail)
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग: Torajamelo (इंडोनेशिया)
क्यों महत्वपूर्ण है यह बदलाव
- स्थानीय प्रभाव: आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार में सीधा सुधार
- राष्ट्रीय महत्व: सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की दिशा में बड़ी प्रगति, सामाजिक न्याय की मजबूत नींव
- वैश्विक संदेश: भारत, विश्व के स्वदेशी समुदायों के विकास में अग्रणी भूमिका निभा रहा है
टाइमलाइन (2014–2025)
- 2014-15: जनजातीय कार्य मंत्रालय का बजट ₹4,497.96 करोड़
- 2019-20 से 2024-25: ₹16,216.22 करोड़ छात्रवृत्ति योजनाओं में
- 2 अक्टूबर 2024: PM JUGA का शुभारंभ
- 15 नवंबर 2024: बिरसा मुंडा जयंती पर ₹6,640 करोड़ की योजनाएं
- मई 2025: FRA के तहत 25.11 लाख शीर्षक स्वीकृत
- अगस्त 2025: विश्व आदिवासी दिवस पर नई प्रगति रिपोर्ट
निष्कर्ष (Hindi.TheTrendingPeople.com)
विश्व आदिवासी दिवस 2025 पर भारत ने यह साबित कर दिया है कि विकास की मुख्यधारा में आदिवासी समुदायों को शामिल किए बिना समावेशी भारत का सपना अधूरा है। योजनाओं के माध्यम से केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण भी सुनिश्चित हो रहा है।
जैसे-जैसे भारत 2047 की ओर बढ़ रहा है, यह प्रतिबद्धता—“सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास”—देश की सामाजिक नींव को और मजबूत करेगी और आदिवासी समुदायों को गौरव, अधिकार और अवसरों के साथ भविष्य की ओर ले जाएगी।