पीएम मोदी की चीन यात्रा: SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होने की संभावना, रिश्तों में नए मोड़ के संकेत
नेशनल डेस्क। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर 2025 तक चीन के तियानजिन शहर में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए चीन की यात्रा कर सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीन ने प्रधानमंत्री मोदी को इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में शामिल होने के लिए औपचारिक निमंत्रण भेजा है। दोनों देशों के बीच इस उच्च-स्तरीय दौरे को लेकर बातचीत भी शुरू हो गई है, जिससे कूटनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
यदि यह यात्रा होती है, तो यह प्रधानमंत्री मोदी का चीन का सात साल बाद का पहला दौरा होगा। इससे पहले, उन्होंने जून 2018 में क़िंगदाओ में हुए SCO शिखर सम्मेलन में भाग लिया था। यह संभावित दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब वैश्विक भू-राजनीति में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखे जा रहे हैं, और भारत तथा चीन दोनों के लिए यह यात्रा कई मायनों में अहम मानी जा रही है।
भारत और चीन के रिश्तों में नया मोड़
यह प्रस्तावित दौरा ऐसे समय पर रणनीतिक रूप से काफी अहम माना जा रहा है जब अमेरिका, भारत और चीन—दोनों देशों पर आर्थिक दबाव बना रहा है। अमेरिका की ओर से भारत पर टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने की चेतावनियों के बीच, प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा को भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के रूप में देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि भारत चीन के साथ अपने आर्थिक संबंधों को फिर से मजबूत करने की कोशिश कर रहा है, और यह दौरा इस दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है। दोनों देशों के बीच व्यापारिक और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए यह एक महत्वपूर्ण अवसर साबित हो सकता है।
अजीत डोभाल का रूस दौरा: संभावित यात्रा से पहले की तैयारी
प्रधानमंत्री मोदी के संभावित चीन दौरे से पहले, भारत की कूटनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल 7 अगस्त को रूस की राजधानी मॉस्को में वरिष्ठ रूसी अधिकारियों से मुलाकात करेंगे। इस बैठक में भारत-रूस रक्षा सहयोग, तेल प्रतिबंधों और आगामी मोदी-पुतिन शिखर सम्मेलन पर गहन चर्चा की जाएगी। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, डोभाल बुधवार रात ही मॉस्को पहुंच गए थे। यह कदम इस बात का संकेत देता है कि भारत अमेरिका के दबाव में आए बिना अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने की रणनीति पर काम कर रहा है। यह बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था में भारत की बढ़ती भूमिका को भी दर्शाता है।
क्या है SCO सम्मेलन?
SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन का यह 25वां वार्षिक शिखर सम्मेलन है, जिसे राष्ट्राध्यक्ष परिषद बैठक भी कहा जाता है। इस बार यह सम्मेलन 31 अगस्त से 1 सितंबर, 2025 तक चीन के तियानजिन शहर में आयोजित किया जाएगा। यह पांचवीं बार है जब चीन इस वार्षिक शिखर सम्मेलन की मेज़बानी कर रहा है। SCO एक अंतर-सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 2001 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा, आर्थिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। भारत 2017 में इसका पूर्ण सदस्य बना था। यह संगठन क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
TheTrendingPeople.com के अंतिम विचार: प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा की संभावना, मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय संदर्भ में, कई महत्वपूर्ण संदेश देती है। यह न केवल भारत-चीन संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि भारत अपनी विदेश नीति में अपने रणनीतिक हितों को सर्वोपरि रखता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह दौरा दोनों देशों के बीच भविष्य के संबंधों और क्षेत्रीय गतिशीलता को कैसे प्रभावित करता है।