एसबीआई रिसर्च: भारत की रेटिंग वर्षों से कम आंकी गई, एसएंडपी का अपग्रेड सही दिशा में कदम
नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025 – स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) रिसर्च की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग एक दशक तक वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की साख को उसके वास्तविक आर्थिक मूल सिद्धांतों के अनुरूप आंका नहीं। हाल ही में एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स द्वारा भारत की दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग को बीबीबी (स्थिर दृष्टिकोण) तक बढ़ाना इस बात की पुष्टि है कि भारत की रेटिंग पहले से अधिक होनी चाहिए थी।
एसएंडपी की रिपोर्ट: विकास दर पर यथार्थवादी अनुमान
एसबीआई रिसर्च ने कहा कि एसएंडपी का भारत की रियल जीडीपी वृद्धि दर 6.5% का अनुमान अन्य वैश्विक एजेंसियों के मुकाबले अधिक व्यावहारिक है।
- अमेरिकी टैरिफ का असर – एसएंडपी ने माना कि इसका प्रभाव भारत की दीर्घकालिक विकास संभावनाओं पर नगण्य होगा।
- कम निर्यात जोखिम – फार्मास्यूटिकल्स और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में छूट मिलने के कारण टैरिफ-प्रभावित निर्यात का जोखिम जीडीपी के सिर्फ 1.2% पर सीमित है।
मुख्य आर्थिक अनुमान (2025–2028)
- चालू खाता घाटा (CAD): 1.0% से 1.4% के बीच रहने की उम्मीद।
- उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति: 4% से 4.5% के बीच अनुमानित।
- सार्वजनिक ऋण-से-जीडीपी अनुपात: FY25 के 83% से घटकर FY29 में 78% होने की संभावना।
सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 5–6 वर्षों में सरकारी खर्च की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
- पूंजीगत व्यय के लिए बजट आवंटन में 3.1% की वृद्धि
- मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं एक दशक पहले की तुलना में काफी स्थिर
एसएंडपी का रेटिंग अपग्रेड: पृष्ठभूमि
- मई 2024: भारत की रेटिंग दृष्टिकोण “स्थिर” से “सकारात्मक” में बदली गई।
- अगस्त 2025: दीर्घकालिक सॉवरेन क्रेडिट रेटिंग बीबीबी (स्थिर दृष्टिकोण) तक बढ़ाई गई।
- आधारभूत कारक:
- विश्वसनीय राजकोषीय समेकन
- मजबूत बाहरी स्थिति
- स्थिर मुद्रास्फीति संबंधी अपेक्षाएं
रिपोर्ट में दी गई चेतावनी
एसबीआई रिसर्च ने चेतावनी दी है कि अगर राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation) के प्रति राजनीतिक प्रतिबद्धता कमज़ोर पड़ी, तो रेटिंग में गिरावट संभव है।
- रेटिंग सुधार के लिए निरंतर आर्थिक सुधार
- सार्वजनिक ऋण-से-जीडीपी अनुपात में निरंतर कमी आवश्यक
क्यों महत्वपूर्ण है यह अपग्रेड?
- निवेशकों के लिए भरोसा – उच्च रेटिंग से विदेशी निवेश को बढ़ावा मिलेगा।
- उधारी लागत में कमी – सरकार और कॉर्पोरेट सेक्टर के लिए कर्ज़ सस्ता होगा।
- वैश्विक पहचान – भारत की आर्थिक साख अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में और मजबूत होगी।
TheTrendingPeople.com की अंतिम टिप्पणी
भारत की अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी ढांचे और स्थिर नीतियों के चलते एसएंडपी का रेटिंग अपग्रेड एक तार्किक कदम है। हालांकि, दीर्घकालिक स्थिरता के लिए राजकोषीय अनुशासन और सुधारों की निरंतरता जरूरी है। भारत अगर सार्वजनिक ऋण और घाटे को नियंत्रित रखते हुए निवेश और विकास पर ध्यान केंद्रित करता है, तो आने वाले वर्षों में और भी ऊंची रेटिंग हासिल करना संभव होगा।