अमेरिका-भारत टैरिफ टकराव के बीच रूस-भारत-चीन मंच सक्रिय, ऊर्जा सहयोग से लेकर सुरक्षा मुद्दों पर होगी अहम वार्ता
नई दिल्ली: अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद और वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव के बीच रूस-भारत-चीन (RIC) मंच एक बार फिर चर्चा में है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने रूस की यात्रा पर जाएंगे, जबकि चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को भारत दौरे पर पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि भारत इस त्रिपक्षीय सहयोग को सक्रिय करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, रूस ने RIC सहयोग को पुनर्जीवित करने की कोशिशें तेज कर दी हैं और चीन ने भी इस पहल का स्वागत किया है। भारत ने इस पर ‘सावधानीपूर्ण लेकिन सकारात्मक’ रुख अपनाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल अमेरिका और पश्चिमी देशों के बढ़ते दबाव के बीच रणनीतिक संतुलन साधने का प्रयास है।
जयशंकर की रूस यात्रा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर इस महीने के अंत में रूस पहुंचेंगे, जहां ऊर्जा सहयोग, रक्षा साझेदारी और व्यापार विस्तार पर उच्च स्तरीय वार्ता होगी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल भी इसी महीने रूस का दौरा कर सकते हैं, जिससे रणनीतिक संवाद और गहरा होगा।
चीन के विदेश मंत्री का भारत दौरा
चीनी विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को नई दिल्ली पहुंचकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से मुलाकात करेंगे। दोनों के बीच सीमा विवाद, व्यापारिक संबंध और क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा होगी। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की आगामी बैठक से पहले हो रही है, जिससे इसका महत्व और बढ़ गया है।
अमेरिका-भारत टैरिफ विवाद
हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने की घोषणा की है, जो 27 अगस्त से लागू होंगे। जवाब में भारत ने भी कुछ अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क बढ़ाने के संकेत दिए हैं। ऐसे माहौल में रूस और चीन के साथ भारत की बढ़ती नजदीकियां क्षेत्रीय और वैश्विक शक्ति संतुलन के लिहाज से महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।
Final Thoughts (अंतिम विचार):
RIC मंच का दोबारा सक्रिय होना यह संकेत देता है कि भारत, रूस और चीन मौजूदा वैश्विक हालात में एक साझा रणनीति तलाशने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका के साथ टैरिफ विवाद ने भारत को नए भू-राजनीतिक विकल्पों पर विचार करने के लिए प्रेरित किया है। आने वाले हफ्तों में इन बैठकों के नतीजे न केवल त्रिपक्षीय संबंधों को प्रभावित करेंगे, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी असर डाल सकते हैं।