अमिताभ बच्चन ने साझा किया 'शोले' का 20 रुपये का टिकट, रात में रचनात्मकता पर दिए विचार
नई दिल्ली: बॉलीवुड के 'सदी के महानायक' अमिताभ बच्चन ने हाल ही में अपनी 1970 की ब्लॉकबस्टर फिल्म 'शोले' के एक पुराने सिनेमा हॉल टिकट की तस्वीर साझा की है, जिसने उनके प्रशंसकों को आश्चर्यचकित कर दिया। उन्होंने बताया कि उस समय इस टिकट की कीमत सिर्फ 20 रुपये थी, जो आज के समय में सिनेमा हॉल में एक कोल्ड ड्रिंक की कीमत के बराबर है। इसके साथ ही, अमिताभ ने रात के समय में रचनात्मकता और सोचने के अनूठे जादू पर भी अपने विचार व्यक्त किए।
'शोले' का 20 रुपये का टिकट: एक समय यात्रा
अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में मुंबई स्थित अपने आवास के बाहर प्रशंसकों से साप्ताहिक मुलाकात की कुछ तस्वीरें साझा कीं, और इसी के साथ उन्होंने 'शोले' टिकट की तस्वीर भी दिखाई, जिसे उन्होंने काफी संभालकर रखा हुआ था।
उन्होंने अपने ब्लॉग पर लिखा, "शोले का टिकट... जिसे संभाल कर रखा गया, जो ऊपर लिखी हुई बातों को सच साबित करता है... कीमत सिर्फ 20 रुपये थी।"
अमिताभ यह जानकर दंग रह गए कि उस वक्त फिल्म का टिकट 20 रुपये था, और अब उसी कीमत में हॉल में सिर्फ एक कोल्ड ड्रिंक मिलती है। उन्होंने इस पर अपनी हैरानी व्यक्त करते हुए लिखा, "मुझे बताया गया है कि आजकल सिनेमा हॉल में एक कोल्ड ड्रिंक की कीमत यही है... क्या ये सच है? बहुत कुछ कहने को है, लेकिन कह नहीं रहा... प्यार और सम्मान।" यह टिप्पणी सिनेमा के अनुभव और उसके मूल्य में आए बड़े बदलाव को दर्शाती है।
'शोले': एक कालजयी फिल्म बता दें कि 'शोले' रोमांचक एक्शन-एडवेंचर फिल्म थी, जिसे रमेश सिप्पी ने निर्देशित किया था। इसकी कहानी दो दोस्त, वीरू और जय के बारे में है जो छोटे-मोटे बदमाश हैं। इन्हें रिटायर्ड पुलिस अधिकारी ठाकुर बलदेव सिंह ने काम पर रखा, ताकि वे एक खतरनाक डाकू गब्बर सिंह को पकड़ सकें। दोनों अपनी हिम्मत, दोस्ती और चालाकी से गब्बर को चुनौती देते हैं। इस बीच ठाकुर से जुड़े कुछ रहस्य भी उजागर होते हैं। यह फिल्म आज भी दर्शकों के दिलों में खास जगह रखती है और भारतीय सिनेमा की सबसे प्रतिष्ठित फिल्मों में से एक मानी जाती है।
रात में रचनात्मकता का जादू: अमिताभ के विचार
मेगास्टार अमिताभ बच्चन ने अपने ब्लॉग में बताया कि रात में क्रिएटिविटी और सोचने का एक खास जादू होता है। उन्होंने कहा कि जब आसपास शांति होती है या सब चुप होते हैं, तब दिमाग सबसे साफ और तेज सोच पाता है।
अमिताभ बच्चन ने लिखा, ''ये वह समय होता है जब खामोशी होती है और हम जागे हुए होते हैं... ये एक रहस्य है, है ना? देर रात का समय सोचने और समझने के लिए सबसे अच्छा होता है। इस बात पर कई विचार हैं, लेकिन दो खास बातें हैं... एक, आप जो लिखते हैं उसे अच्छी तरह सुन पाते हैं और दूसरा, शोर के बीच अकेलापन महसूस करते हैं। ये एक अलग तरह की सोच है, लेकिन हैरानी की बात है कि जब चारों तरफ शांति होती है, तब दिमाग और रचनात्मकता सबसे बेहतर तरीके से काम करते हैं।'' यह उनके व्यक्तिगत अनुभव और रचनात्मक प्रक्रिया को दर्शाता है, जहां शांति और एकांत विचारों को स्पष्टता प्रदान करते हैं।
अमिताभ बच्चन द्वारा 'शोले' के टिकट की तस्वीर साझा करना और सिनेमा के बदलते मूल्य पर उनकी टिप्पणी, साथ ही रात में रचनात्मकता पर उनके विचार, उनके प्रशंसकों के लिए एक दिलचस्प अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं। यह न केवल भारतीय सिनेमा के इतिहास के एक महत्वपूर्ण हिस्से की याद दिलाता है, बल्कि एक दिग्गज कलाकार के चिंतनशील पक्ष को भी उजागर करता है।